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जीएसटी प्राधिकरण फाइनल, अभय योजना भी घोषित

अपीलो का होगा निपटारा

* सीए संस्थान की अप्रत्यक्ष कर समिति उपाध्यक्ष शर्मा व्दारा जानकारी
अमरावती/दि.1- सीए संस्थान की अप्रत्यक्ष कर समिति के अध्यक्ष सीए सुशील गोयल और उपाध्यक्ष सीए उमेश शर्मा आज अमरावती पधारे. उन्होंने सातुर्णा स्थित सीए भवन में सेवा व वस्तु कर अर्थात जीएसटी को लेकर व्यापारी और उद्यमियों एवं सीए से विशेष चर्चा की. पहली बाार हुआ कि सीए संस्थान की केंद्रीय समिति के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष अमरावती पधारे. अमरावती के पत्रकारों से भी उन्होंने बात की. समिति के उपाध्यक्ष सीए उमेश शर्मा ने बताया कि, जीएसटी की अपीलों का निपटारा करने के लिए बडे दिनों से जिस प्राधिकरण की मांग की जा रही थी, वह आज ही जीएसटी परिषद ने फाइनल कर दी है. आगामी कुछ माह में यह ट्रायबूनल कार्यरत हो जाएगा. उन्होंने बताया कि, सभी राज्यों में ट्रायबूनल रहेगा और व्यापारी-उद्यमियों के मामलों की सुनवाई करेगा. इसमें केंद्र सरकार का 1, राज्य सरकार का 1 और न्याय क्षेत्र से 1 विशेषज्ञ ऐसे 3 लोग मुख्य रुप से रहेंगे. जो लोगों की परेशानियों का निपटारा का प्रयास करेंगे. सीए शर्मा के अनुसार आगामी अक्तूबर तक यह ट्रायबूनल राज्यों में कार्यरत हो जाएंगे. उन्होंने बताया कि, स्लैब निहाय पहली बार अभय योजना एमनेस्टी की भी घोषणा हुई है. जिसमें व्यापारियों को दंड में स्लैब निहाय रियायत मिलेगी. ऐसे ही जिनके जीएसटी पंजीयन नंबर रद्द हो गए है, उन्हें रिस्टेट करने का मौका मिलेगा.
सीए भवन में पत्रकारों से बातचीत में अप्रत्यक्ष कर समिति के अध्यक्ष सीए गोयल ने बताया कि, जीएसटी नंबर मिलने में आ रही दिक्कतों की शिकायतें सभी तरफ से मिल रही है. इसके लिए मुख्य रुप से कागजात की खामियां जिम्मेदार है. सही तरीके से पैन, आधार और अन्य जानकारी तकनीक में रहने पर ही जीएसटी नंबर तुरंत अलॉट होता है. उन्होंने बताया कि, जुलाई 2017 में जब जीएसटी लागू हुआ था तब कई लोगों ने आनन-फानन में कागजात देकर नंबर प्राप्त किए थे. सिस्टम व्दारा पता लगाने पर काफी गडबडियां पाई गई. पिता के नाम पर किराये से दुकान बेटा चलाता मिला. जीएसटी सिस्टम ऐसी छोटी खामी को भी नहीं मानता इसलिए कई नंबर रद्द हो गए.
इनपुट क्रेडिट का विषय भी सीए की केंद्रीय समिति के सदस्य गोयल ने समझाकर बतलाया. उन्होंने कहा कि, जीएसटी मूल्य आधारित कर प्रणाली है. जिसमें व्यापारी को जितने मूल्य पर वह वस्तु मिली है उसी पर टैक्स देय है बाकी टैक्स वह उसके खरीदार से वसूल कर सकता है. यदि उस वस्तु पर पहले अधिक टैक्स लिया गया हो और रेट कम रहा हो तो वह रिटर्न मिलता है.
* गोयल ने किया आगाह
मूल रुप से कोलकाता निवासी सीए गोयल ने व्यापारियों से जीएसटी सिस्टम अपनाने का और उसे पूरी तरह समझने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि, अधिकांश रुप से तकनीक का उपयोग होने के कारण इस सिस्टम में ढलकर ही व्यापारी, उद्यमियों को काम करना है. ध्यान नहीं रहा ऐसा जवाब अब नहीं चलता. उसी प्रकार अपने आप को अपडेट रखने पर भी उन्होंने जोर दिया.
* आज से ऑडिट ट्रेल
सीए उमेश शर्मा जो संभाजीनगर से पधारे हैं, ने बताया कि आज 1 अप्रैल से ही सरकार ने आटिफिशीयल इंटेलिजेंस का उपयोग शुरु कर दिया है. जिससे प्रत्येक फर्म के आर्थिक लेन-देन पर सरकार की निगरानी अपने आप हो रही है. पहले पिछली तिथि में कोई एंट्री गलत हो गई तो उसे सुधारना आसान था. अब उसकी पूरी सिस्टम में जाकर उसे ठीक करना पडेगा, अन्यथा टैक्स या पैनल्टी भुगतनी होगी.
* सरकार को सब जानकारी
सीए शर्मा ने कहा कि, आज भी आम धारणा यही है कि सरकार को क्या पता चलेगा? मगर यह सरकार तकनीक को साथ लिए हुए है. उसे आपके आर्थिक लेन-देन की समस्त जानकारी है. आपसे अधिक सतर्क सरकार है. आपकी एक-एक वॉउचर की एंट्री कंपनी सॉफ्टवेयर में ऑडिट ट्रेल सिस्टम के कारण सरकार को हो जाती है. हर चीज पता चल जाती है. जीएसटी में तो पहले दिन से ही यह सब लागू है. इस समय अमरावती शाखा अध्यक्ष सीए विष्णुकांत सोनी, सचिव साकेत मेहता, पूर्व अध्यक्ष सीए पवन जाजू, कोषाध्यक्ष सीए दिव्या त्रिकोटी, सीए सुनील सलामपुरिया आदि भी उपस्थित थे.

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