पालकमंत्री व विधायक सामने सामने, एक दूसरे पर अप्रत्यक्ष हमले
खोडके राष्ट्रवादी को मजबूत कर रही हैं - पालकमंत्री
* पालकमंत्री ने कांग्रेस को गिराने वालों को कांग्रेस में लिया – खोडके
अमरावती/दि.1– बीते रविवार को अ.भा. कांग्रेस कमिटी के वरिष्ठ पदाधिकारी तथा पार्टी के महाराष्ट्र प्रदेश चुनाव अधिकारी पल्लम राजु अमरावती जिले के दौरे पर थे और उन्होंने यहा पर पार्टी को संगठनात्मक रुप से मजबूत करने हेतु वर्हाडे मंगल कार्यालय में अमरावती शहर व जिले सहित समूचे संभाग के कांग्रेस पदाधिकारियों की बैठक को संबोधित किया. इस बैठक के बाद उम्मीद जताई जा रही थी कि, अमरावती शहर व जिले में कांग्रेस की एकजूटता बढेगी. किंतु उम्मीद से विपरित अमरावती शहर में कांग्रेस दो फाड होती दिखाई दे रही है. इसी बैठक में वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री व जिला पालकमंत्री एड. यशोमति ठाकुर ने अमरावती की कांग्रेस विधायक सुलभा खोडके पर टेढे तीर चलाये और विधायक सुलभाताई खोडके का नाम लिये बीना कहा कि, इस समय अमरावती जिले में कांग्रेस के तीन विधायक रहने के बावजूद केवल दो ही विधायक पार्टी के साथ है और एक विधायक द्बारा कांग्रेस की बजाय किसी अन्य पार्टी को मजबूत करने का काम किया जा रहा है. अत: भविष्य में ऐसे बाहरी लोगों को पार्टी में कोई स्थान नहीं मिलना चाहिए. यद्यपि पालकमंत्री ठाकुर ने अपने बयान में किसी का नाम नहीं लिया था किंतु उनका इशारा साफ तौर पर अमरावती की विधायक सुलभा खोडके की ओर था. ऐसे में अब विधायक सुलभा खोडके ने भी बिना नाम लिये इशारों ही इशारों में पालकमंत्री यशोमति ठाकुर पर किया है. जिसके तहत उन्होंन कहा कि, जिन्होंने वर्ष 2009, वर्ष 2014 और वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी को गिराने का प्रयास किया और लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ प्रचार में हिस्सा लिया. आज वे पार्टी के भीतर खुद को बडा इमानदार बता रहे है और मुझे बाहरी बताने वाले लोगों के साथ ‘मांडी से मांडी’ लगाकर बैठे है. ऐसे लोग मुझे कांग्रेस की विचारधारा न सिखाये बल्कि अपने गिरेबान में झांककर देखे. जिले की दो कद्दावर महिला नेत्रियों के बीच अब एक तरह से जुबानी जंग तेज हो गई है और जल्द ही आरोप प्रत्यारोप का नया दौर भी शुरु हो सकता है. ऐसे आसार साफ तौर पर दिखाई दे रहे है. साथ ही इस समय जिला पालकमंत्री यशोमति ठाकुर तथा स्थानीय विधायक सुलभा खोडके आमने सामने आकर एक दूसरे पर अप्रत्यक्ष रुप से हमले कर रहे है. जो आगे चलकर किसी बडी रार या तकरार में बदल सकती है.
ज्ञात रहे कि, जिला पालकमंत्री यशोमति ठाकुर के पिता पूर्व विधायक स्व. भैय्यासाहब ठाकुर जिले के कद्दावर कांग्रेस नेता रहे. जिनके बाद उनकी विरासत को मौजूदा जिला पालकमंत्री यशोमति ठाकुर ने संभाला. जो लगातार तीन बार तिवसा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुई है. वहीं दूसरी ओर विधायक सुलभा खोडके किसी समय राकांपा प्रत्याशी के तौर पर बडनेरा विधायक सभा निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित हुई थी. किंतु वर्ष 2009 तथा वर्ष 2014 में उन्हें बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र में हार का सामना करना पडा था. इसमें से वर्ष 2009 का चुनाव उन्होंने राकांपा प्रत्याशी के तौर पर लडा था. वहीं वर्ष 2014 के चुनाव में वे कांग्रेस की ओर से प्रत्याशी बनाई गई थी. पश्चात कांग्रेस ने उन्हें वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में अमरावती निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतारा और वे पंजा चुनाव चिन्ह पर चुनाव लडते हुए भारी बहुमत के साथ विजयी हुई थी. इस दौरान विधायक सुलभा खोडके के पति संजय खोडके 2014 से पहले राकांपा में प्रदेश महासचिव के पद पर थे. जो वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के समय राजनीतिक समीकरण उलट पूलट हो जाने की वजह से राकांपा छोडकर कांग्रेस में चले गये थे. यहीं वजह थी कि, 2014 के विधानसभा चुनाव में सुलभा खोडके को बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस द्बारा उम्मीदवारी दी गई थी. वहीं 2019 का लोकसभा चुनाव आते आते संजय खोडके एक बार फिर कांग्रेस छोडकर राकांपा में वापिस चले गये. किंतु सुलभा खोडके कांग्रेस में ही बनी रही. जिन्हें कांग्रेस द्बारा वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में अमरावती निर्वाचन क्षेत्र से अपना प्रत्याशी बनाया गया और सुलभा खोडके ने भाजपा प्रत्याशी को पराजित करते हुए चुनाव जिता. लेकिन इसके बावजूद विधायक सुलभा खोडके को कांग्रेसियों द्बारा हमेशा से ही बाहरी उम्मीदवार माना जाता रहा है. साथ ही उन पर यह आरोप भी लगते रहे है कि, विधायक निर्वाचित होने के बाद भी वे कांग्रेस की बजाय राष्ट्रवादी कांग्रेस को मजबूत करने पर ज्यादा ध्यान देती है और उनका कांग्रेस के स्थानीय पदाधिकारियों के साथ कोई तालमेल या समन्वय नहीं है. साथ ही वे कांग्रेस पार्टी के कार्यक्रमों में भी दिखाई नहीं देती. इन्हीं तमाम बातों को लेकर विगत रविवार को हुई कांग्रेस पार्टी की संभागस्तरीय बैठक में पालकमंत्री यशोमति ठाकुर ने पार्टी के केंद्रीय नेताओं के सामने बिना नाम लिये एक तरह से विधायक सुलभा खोडके को लेकर अपनी शिकायत में नाराजगी जताई. साथ ही पार्टी से यह निवेदन भी किया कि, भविष्य में ऐसे बाहरी लोगों को पार्टी का हिस्सा न बनाया जाए. जिस पर पलटवार करते हुए विधायक सुलभा खोडने ने भी किसी का नाम लिये बिना एक तीर से दो निशाने साधने का प्रयास किया और इशारों ही इशारों में पालकमंत्री यशोमति ठाकुर को जवाब देने के साथ ही पूर्व विधायक सुनिल देशमुख को भी लपेट दिया.
ज्ञात रहे कि, वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी द्बारा तत्कालीन विधायक सुनील देशमुख को टिकट देने से इंकार करते हुए तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभाताई पाटील के पूत्र रावसाहब शेखावत को प्रत्याशी बनाया गया था. इस फैसले के खिलाफ डॉ. सुनील देशमुख ने बदावत करते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडा था. हालांकि वे हार गये थे. पश्चात डॉ. देशमुख ने अपने समर्थकों के साथ भाजपा में प्रवेश किया और वर्ष 2014 का चुनाव भाजपा प्रत्याशी के तौर पर लडते हुए कांग्रेस प्रत्याशी रावसाहब शेखावत से अपना पिछला हिसाब किताब पूरा कर लिया. इसके बाद डॉ. देशमुख ने वर्ष 2019 का चुनाव भी भाजपा प्रत्याशी के तौर पर लडा. हालांकि इस बार उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी सुलभा खोडके के हाथों हार का सामना करना पडा. पश्चात जून 2020 में पूर्व विधायक सुनील देशमुख भाजपा छोडकर एक बार फिर कांग्रेस में लौट गये. जहां पर कांग्रेस पदाधिकारियों द्बारा उनके हाथों हाथ लिया गया. इन्हीं तमाम बातों का संदर्भ लेते हुए विधायक सुलभा खोडके ने पालकमंत्री यशोमति ठाकुर द्बारा दिये गये बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि, जिन लोगों ने तीन-तीन बार कांग्रेस के प्रत्याशी को गिराने का प्रयास किया और लोकसभा चुनाव में भी पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ प्रचार किया. आज वे पार्टी मेें सम्मानित बने घूम रहे है और पार्टी को अपनी बपोवती समझने वाले लोग भी ऐसे लोगों को अपना झंडाबरदार बनाये बैठे है. साथ ही उन जैसी समर्पित कार्यकर्ता को बाहरी बताने का काम किया जा रहा है. जबकि वे वर्ष 2014 से अब तक पूरी निष्ठा के साथ पार्टी का काम कर रही है और जब पूरे देश में जबर्दस्त मोदी लहर थी, तब उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडते हुए भाजपा के उसी प्रत्याशी को 20 हजार से अधिक वोटों से पराजित किया था तथा अमरावती निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी का झंडा बुलंद किया था. अत: कोई उन्हें कांग्रेस की विचारधारा समझाने का प्रयास न करें. विधायक सुलभा खोडके ने यह भी कहा कि, कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को अच्छे से पता है कि, यहां ‘बाहरी’ कौन है और ‘भीतराघाती’ कौन है. अत: उन्हें इस बारे में कोई स्पष्टीकरण देने की जरुरत नहीं है.