पालकमंत्री यशोमती ठाकुर ने पत्रकार वार्ता में राणा पर साधा निशाना
राजनीतिक षडयंत्र के तहत मुझे बदनाम करने का प्रयास
* पुतला जलाने के साथ अति हीन दर्जे की भाषा का उपयोग किया
* नियमानुसार प्रशासन ने उडानपुल से शिवाजी का पुतला हटाया, मेरा कोई हाथ नहीं
अमरावती/ दि.19– पिछले तीन दिनों से देश के आराध्य छत्रपति शिवाजी महाराज पुतले के आड में कुछ राजनीतिक संगठना व व्यक्ति शहर की शांति और सुव्यवस्था बिगाडने का प्रयास कर रहे है. डॉ.बाबासाहब आंबेडकर ने दिये पवित्र संविधान के दायरे व कानून में रहकर चलना पडता है. देश के नागरिक के रुप में यह हमारी जिम्मेदारी है. परंतु कुछ लोग कानून हाथ में ले रहे है. गैर तरीके से कुछ लोगों ने राजापेठ उडानपुल पर शिवाजी महाराज का पुतला स्थापित किया. उस पुतले को प्रशासन ने हटाया. इसमें मेरा कोई हाथ नहीं, नियमानुसार प्रशासन ने कार्रवाई की है. इसके बाद भी सोची समझी राजनीतिक षडयंत्र के तहत मेरा पुतला दहन करने के साथ ही आक्षेप युक्त अति हीन दर्जे की भाषा का उपयोग किया, यह बडे ही दुख की बात है. महिला जनप्रतिनिधि के प्रति ऐसे शब्दों का उपयोग करना उनकी कैसी संस्कृति है, ऐसा प्रश्न उपस्थित करते हुए किसी का नाम न लेकर आज आयोजित पत्रकार वार्ता में जिले की पालकमंत्री एड.यशोमती ठाकुर ने राणा पर सीधा निशाना साधा.
आज स्थानीय सर्किट हाऊस में आयोजित पत्रवार्ता में जिले की पालकमंत्री एड.यशोमती ठाकुर ने उपस्थित पत्रकारों को संबोधित कर रही थी. आगे उन्होंने कहा कि, पुतला स्थापित करने के लिए कुछ नियम बनाये गए. उसके लिए अनुमति लेना पडता है. उसके बाद ही पुतला स्थापित किया जाता है. परंतु उन सभी नियमों को तोडते हुए उन लोगों ने उडानपुल पर शिवाजी महाराज का पुतला गैर तरीके से स्थापित किया. इसी वजह से प्रशासन को कार्रवाई करने के लिए कदम उठाना पडा. राजनीतिक सोची समझी साजिश के तहत मुझे बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है. परंतु ऐसे प्रयास की ओर ध्यान दे, इस तरह का नियम कांग्रेस पार्टी का आज तक नहीं रहा. मैंने पालकमंत्री के रुप में जिले के विकास कामों को ज्यादा महत्व दिया है. इसके वजह से इस बारे में किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं थी. परंतु पुतला जलाने के साथ ही हीन दर्जे की भाषा का हमारे बारे में उपयोग किया गया यह निश्चित ही दुख की बात है. छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम लेकर एक महिला जनप्रतिनिधि के बारे में ऐसे आक्षेप युक्त प्रचार करना किस तरह की संस्कृति है, ऐसा सवाल उठाते हुए यशोमती ठाकुर ने कहा कि, शिवाजी महाराज ने निर्माण किये स्वराज्य में महिलाओं को सम्मान दिया जाता था. उन्हें पूरी तरह से सुरक्षा प्रदान की जाती थी. परंतु उनके ही पुरोगी महाराष्ट्र में फिलहाल शुुरु इस कृत्य को रोकने के लिए अब बोलना ही चाहिए, इसी भावना से आज पत्रकार परिषद आयोजित की गई है.
आगे उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता की लडाई में इस जिले का बडा योगदान रहा है. खासतौर पर महिलाओं का विशेष सहयोग रहा. स्वतंत्रता के बाद अमरावती जिले का नाम महात्मा गांधी के विचारों पर चलने वाले सभी धर्म समभाव ऐसा रहा.कर्मयोगी संत गाडगे बाबा, वंदनीय संत राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज, डॉ.पंजाबराव देशमुख जैसे महान समाजसेवक इसी जिले के है. इसी तरह कुष्ठरोगियों को अपना जीवन समर्पित करने वाले दाजीसाहब पटवर्धन भी यहां के है. राजनीतिक क्षेत्र में महिला नेतृत्व की परंपरा जिले को प्राप्त हुई है. प्रतिभाताई पाटील के रुप में महिला राष्ट्रपति भी इसी जिले की है. सामाजिक, शैक्षणिक, राजकिय समृध्द परंपरा रहने वाले इस शहर में केवल राजनीतिक लाभ के लिए शुरु यह मामले निश्चित ही निषेध लायक है.
उन्होंने कहा कि, एक तरफ कोरोना का खतरा शुरु है. जिसे जैसे तेैैसे सुरक्षित रहने का प्रयास किया जा रहा है, ऐसे वक्त में विवाद निर्माण किया गया. हकीकत देखा जाए तो कोरोना महामारी में कई परिवार के कर्ताधर्ता दुनिया में नहीं रहे. कई छोटे बच्चों ने अपने दोनों पालकों को खो दिया, ऐसी पीडादायी घटना के कारण अब महाविकास आघाडी सरकार ने उनके आंसू पोछने व पालक न रहने वाले बच्चों की सहायता के लिए हाथ बढाया है. लॉकडाउन की वजह से पहले ही जिले के व्यापार, उद्योग पर खतरा मंडरा रहा था. उस स्थिति से जैसे तेैसे उभरने का प्रयास किया जा रहा है, ऐसे में पुतले की आड में राजनीतिक लाभ के लिए अनुचित घटना को पूर्व नियोजित तरीके से अंजाम दिया गया. इसके कारण फिर से शहर में धार्मिक व जातिय दृष्टि से कानून व सुव्यवस्था को खतरे में डालने का उद्योग शुरु किया जा रहा है. अगर इस तरह के मामलों पर वक्त रहते पाबंदी नहीं लागू की गई तो, शहर में कामय तोैर पर अशांति फैलेगी. यहां किसी तरह के उद्योग नहीं आयेंगे, जिसके चलते औद्योगिक विकास पिछड सकता है. ऐसी परिस्थिति निर्माण हुई तो बेरोजगारों की संख्या बडे पैमाने में बढने लगेगी और आने वाली पीढि इतिहास में हमें माफ नहीं करेगी.
पालकमंत्री ने संबोधित करते हुए कहा कि राजनीति करने का किसी का विरोध नहीं. चुनाव कोई भी लड सकता है. यह तो संविधान ने दिया अधिकार है. परंतु ऐसे अनुचित तरीके से कोई राजनीति कर धर्म ओैर समाज में व्देष फैला रहा है तो, यह बात निश्चित ही निषेध युक्त है. इसका सभी नागरिकों ने विरोध करना चाहिए, क्योंकि छत्रपति शिवाजी महाराज बगैर अनुमति पुतला स्थापित करने वाले के आदर्श नहीं थे. वे तमाम देशवासियों के आदर्श है, यह पहले समझ लेने की जरुरत है. जनप्रतिनिधि के रुप में विकास काम करना पहली जिम्मेदारी रहती है. जनप्रतिनिधि के रुप में जनता व्दारा चुने जाने के बाद उनकी अपेक्षा पूरी होनी चाहिए. पुतला स्थापित करने के लिए अनुमति लेना जरुरी होता है. पुतला बगैर अनुमति के स्थापित करने पर उसे हटाया जाएगा, यह मालूम होने के बाद भी केवल पालकमंत्री ने आदेश दिया, ऐसी बात फैलाकर शहर में तनाव व राजनीतिक लाभ लेने का यह सारा मांजरा है. अंत में उन्होंने कहा कि, कोरोना के नियमों का पालन करते हुए फिर एक बार इस खतरे से निपटेंगे, ऐसा आह्वान इस समय पालकमंत्री ने जनता से किया.