अमरावतीमहाराष्ट्र

ड्रेस कोड से गुरुजी नाराज

जींस पैंट पर प्रतिबंध

* मूलभूत सुविधाओं पर ध्यान नहीं
अमरावती/दि.19– शिक्षा के अधिकार से बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अवसर प्राप्त हुआ, किंतु गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के बारे में सरकार हमेशा मौन रही है. अध्यापकों की संख्या अपूर्ण है. मूलभूत सुविधाओं की ओर भी शासन-प्रशासन का ध्यान नहीं है. जबकि दो दिन पहले गुरुजी को ड्रेस कोड का नया आदेश जारी किया गया. इससे अध्यापक वर्ग खफा होने का दावा किया जा रहा है. अध्यापकों ने जींस पैंट नहीं पहनने का फरमान जारी हुआ है. गुरुजी के गले से यह आदेश नहीं उतर रहा.

* हल्के रंग के कुर्ते पहनने कहा
सरकार के आदेश में गुरुजी को जींस पहनने की मनाही करते हुए हल्के रंग की शर्ट और गहरे रंग के पैंट धारण कर शर्टिंग करने कहा गया है. उसी प्रकार पैरों में अच्छे दिखे ऐसे जूते या सैंडल पहनने कहा गया है. अध्यापकों से शाला परिसर में अपना व्यवहार सहज, सरल रखने की भी हिदायत दी गई है.

* जींस में क्या खराबी
सरकारी आदेश मिलते ही गुरुजी वर्ग में प्रतिक्रिया हो रही है. उनका कहना रहा कि शाला और परिसर में अध्यापकों का व्यवहार संयत और शालीन रहने की बात समझ में आती है. अध्यापकों के व्यवहार से बच्चे प्रेरणा लेते हैं. इसलिए यह ठिक हैं किंतु जींस पहनने की मनाई करना समझ में नहीं आ रहा. अध्यापक वर्ग कटी-फटी जींस धारण नहीं करते. अध्यापकों ने जींस के प्रचलन शुरु करने के इतिहास का भी उल्लेख किया. यह कहा कि जींस अमीर गरीब सभी सामान्य रुप से पहनते है.

* कार्यालयों में प्रतिबंध
शालेय अध्यापकों पर ड्रेस कोड का आदेश जारी करने से पहले सरकार ने वर्ष 2020 में सभी सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों को जींस पहनने की मनाही की थी. फिर जल्द ही आदेश में संसोधन कर जींस अलाऊ कर दिया था. अब शाला में अध्यापकों पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है.

* क्या कहती है शिक्षक समिती
महाराष्ट्र राज्य शिक्षक समिती ने यह कहते हुए शासनादेश पर प्रश्न खडे किए है कि अध्यापक की पोषाक बदलने से क्या कुछ बदल जाएगा. समिती ने कहा कि तथाकथित संस्कृती रक्षा का आविर्भाव क्यों लाया जा रहा है. जबकि शिक्षा संस्थाओं में कई प्रकार की बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. सरकार को पहले इन पर ध्यान देना चाहिए. शिक्षक ने शाला में जींस पहनी तो शिक्षा प्रक्रिया अथवा बच्चे के शैक्षणिक श्रेणी में क्या फर्क पड जाएगा.

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