अमरावती

भोले का जयकारा है, भक्ति बढाना है

सागर से आया श्री शंभू डमरू दल

* शिव पुराण महा कलश शोभायात्रा का आकर्षण

अमरावती / दि. 15- देवाधिदेव महादेव सबकुछ देनेवाले हैं. उनकी थोडी भक्ति भी बडे-बडे सुफल प्रदान करती है. लोगों, संत महात्माओं ने सप्रमाण कहा है कि भोले की भक्ति व्यर्थ नहीं जाती.  देशभर में यही भक्ति बढाना है, इसलिए सभी गांव, नगरों में निमंत्रण आते ही पहुंच जाते हैं. यह कहना रहा, शिव महापुराण महा कलश शोभायात्रा के आकर्षण रहे श्री शंभू डमरू दल के आदर्श प्रजापति का. उनके संग 14 वादक  विशेष रूप से सागर मध्यप्रदेश से यहां अंबानगरी पधारे. अमरावती मंडल से झुनझुनवाला धर्मशाला में उनसे बातचीत की गई.

* दल के सभी युवा प्रखर शिव भक्त

आदर्श प्रजापति ने बताया कि उनके दल के सभी युवा अपने आप में महाकाल और शिव के अनन्य भक्त है. दल में प्रजापति के साथ मयंक  पटेल, सौरभ रजक, राहुल कुशवाह, अभिषेक चीपा, मोहित कोल, पराग नेमा, कमल प्रजापति, राजीव बेन, हर्ष बेन, आदित्य, गौरव का समावेश है. वे कलश या कथा की शोभायात्रा में देशभर में जाते हैं.

* सीहोर रूद्राक्ष कथा से जुडे

सीहोर के अब अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक हो चले प.पू. प्रदीप मिश्रा जी की कथा से जुडे हैं. सीहोर में आयोजित रूद्राक्ष महायज्ञ के समय सर्वप्रथम प्रस्तुति दी थी. भक्तों द्बारा पसंद किए जाने से सतत दो वर्षो से जुडे हैं. जहां भी बुलावा आता है पहुंचने का प्रयत्न होता है. अनेक  जगह लोगों ने उनकी श्रध्दापूर्ण प्रस्तुति की प्रशंसा की है.

डमरू, मंजीरे, ढोल पर शिव भक्ति

रंप्रजापति ने बताया कि डमरू दल के रूप में पहचाना जाता है. मंजीरे और ढोल की थाप पर शिव भक्ति का उनका प्रयत्न हैं. लोग सराहना करते हैं. थिरकते हैं. इससे उनका आनंद और भक्तिभाव बढ जाता हैं. पिछले दिनों जलगांव में भी उन्होंने शोभयात्रा में शिव भक्ति और महाकाल का जयकारा लगाया था. भाविकाेंं का आनंद बढाने, शिवभक्ति में अभिवृध्दि करने से उन्हें भी आनंद मिलता है. संतोष प्राप्त होता हैं. सागर से यह दल आया हैं. प्रजापति ने बताया कि आने जाने  का किराया और रहने आदि का प्रबंध कर देने के मात्र से वे आने के लिए तैयार है. जबलपुर, कटक, भुवनेश्वर, पुरी, सीहोर सभी स्थानों पर डमरू दल ने शिवशंभो का उदघोष किया हैं. नर्मदा जी की यात्रा में भी प्रस्तुति दे चुके हैं. अमरावती के लगभग 11 किमी के कलश यात्रा मार्ग पर अनेक स्थानों पर श्री शंभू डमरू दल आकर्षण का केंद्र बना. सैकडों शिवभक्त उनकी ताल पर महादेव की भक्ति में थिरकते रहे.

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