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सुपर में गुर्दा प्रत्यारोपण की हाफ सेंच्युरी

पत्नी नजमा ने पति शेख मेहबूब को दिया नया जीवन

अमरावती/ दि. 20- स्थानीय विभागीय संदर्भ सेवा अस्पताल ( सुपर स्पेशलिटी) में हाल ही में 50 वी किडनी प्रत्यारोपण शस्त्रक्रिया पूर्ण की गई. महिला ने अपने यजमान को अपनी एक किडनी देकर उन्हें नया जीवन दिया. उल्लेखनीय है कि सुपर स्पेशालिटी में यह ऑपरेशन न केवल शासकीय योजना में नि:शुल्क बल्कि सफल किया गया. अस्पताल के विशेषज्ञ चिकित्सक मरीजों को राहत देने के लिए तत्पर रहे हैं.
बालापुर के शेख मेहबूब 9 माह से त्रस्त
अकोला जिले के बालापुर के निवासी 58 वर्षीय शेख मेहबूब शेख अहमद गत 9 माह से गुर्दे की बीमारी से जूझ रहे थे. उनकी 57 वर्षीया पत्नी नजमा बी उन्हें अपना एक गुर्दा देने के लिए तैयार हुई. कागजी कार्रवाई पूर्ण कर गत 7 मार्च को शल्य क्रिया की गई. पति- पत्नी दोनों की तबियत अब तेजी से सामान्य हो रही है.
इन चिकित्सकों ने की सर्जरी

नेफरोलॉजिस्ट डॉ. प्रणित काकडे, डॉ.नयन काकडे, डॉ.फैजान अन्सारी,यूरो सर्जन डॉ.राहुल पोटोडे, डॉ.विक्रम देशमुख, डॉ. राहुल घुले, डॉ.विशाल बाहेकर,डॉ. प्रतीक चिरडे,बधिरिकरण तज्ञ- डॉ. रोहित हातगांवकर, डॉ. बालकृष्ण बागवाले, डॉ. दिपाली देशमुख, डॉ. अश्विनी मडावी, डॉ. शीतल सोलंके, डॉ.अंजू दामोदर, डॉ.विक्रांत कुलमेथे, डॉ.शाम गावंडे,डॉ. जयश्री पुसदेकर,समाजसेवा अधीक्षक (वैद्यकीय) शीतल बोंडे, ऋषिकेश धस, डॉ.सोनाली चौधरी,महात्मा ज्योतिराव फुले जन आरोग्य योजना के एम.सी.ओ.डॉ. पायल रोकडे ,डॉ. दिव्यांनी मुंदाने, रेश्मा काले आदि का योगदान रहा. उसी प्रकार अधीसेविका माला सुरपाम के निर्देशानुसार सिस्टर लता मोहता, सरला राऊत, नीलिमा तायडे, नीता कांडलकर, पूजा लांडे, दिपाली तायवाडे, अक्षय पवार,नयना राऊत, कीर्ती तायडे, अभिजीत निचत,नम्रता दामले,अनु वडे,योगिश्री पडोलेे,रेखा विश्वकर्मा, वैशाली ढोबळे, अभिजीत देवधर, कल्याणी राठोड, नितीन मते, विजय भुरे,आहारतज्ञ रश्मिता डिंगरे,औषध विभागामधील योगेश वाडेकर, पंकज बेलुरकर,गजनान मातकर,सुनीता ठाकूर, ज्ञानेश लांजेवार, सागर गणोरकर, अविनाश राठोड, पाटील,दिपटे, भेंडकर, गजू,प्रशांत,निलेश आत्राम आदि का किडनी प्रत्यारोपण शस्त्रक्रिया में सहकार्य रहा.

मां ने दिया 29 संतानों को नवजीवन
सुपर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अमोल नरोटे तथा विशेष कार्य अधिकारी डॉ. मंगेश मेंढे के मार्गदर्शन में लगातार बढे ऑपरेशन सक्सेसफुल हो रहे हैं. इसी कडी में आज मूत्रपिंड प्रत्यारोपण की 50 वीं शल्यक्रिया सफल रही. अब तक मां ही अपनी संतानों को नवजीवन देने, उन्हें डायलिसीस की पीडा से मुक्ति दिलाने आगे आयी है. 50 में से 29 प्रत्यारोपण में महिलाओं ने संतान के लिए अपना एक मूत्रपिंड सहज दिया. उसी प्रकार 10 ऑपरेशन में पिता ने, 6 में पत्नी ने अपनी किडनी दी. एक प्रकरण में भाई ने भी किडनी दी है.

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