अमरावती/दि.2- कहने को अमरावती महानगर हैं. 7 लाख की आबादी हैं. प्रमुख ज्वैलरी प्रतिष्ठानों की भी कमी नहीं. एक से बढकर एक ज्वैलरी प्रतिष्ठान यहां हैं. किंतु भारतीय मानक ब्यूरो की मान्यता वाला एक भी हॉलमार्क सेंटर अमरावती में नहीं हैं. जिससे यहां के छोटेे-बडे स्वर्ण आभूषण व्यवसायियों को अपने जेवरात पर हॉलमार्किंग के लिए अकोला अथवा नागपुर की दौड लगानी पड रही. यह बडा जोखिम वाला काम हैैं कीमती गहने भेजने और लाने पडते हैं.
* मुंबई, जलगांव से आते जेवर
अमरावती और ऐसे श्रेणी दो के महानगर और बाजार में सोने के गहने मोटे तौर पर यहां बनाए जाते हैं. ग्राहकों की पंसद के अनुसार स्वर्णकार गहने गढकर देते हैं. फिर भी थोक व्यापारी अंगूठियां, कान के, पैंडल सेट और अन्य छोटे-बडे जेवर मुंबई, जलगांव तथा कुछ बडे शहरों से यहां लाकर रिटेल व्यापारियों को देते हैं. इन सभी गहनों पर हॉलमार्क होता हैं. गहनों पर हॉलमार्क सरकार ने अनिवार्य कर रखा हैं.
* हॉलमार्क के लगते शुल्क
जेवर को गुणवत्ता के अनुसार हॉलमार्क किया जाता हैं. जिसका मानक ब्यूरो की मान्यता प्राप्त हॉलमाकिर्ंग सेंटर शुल्क लेता हैं. पहले 50 रुपए प्रति दागिना शुल्क था. कुछ माह से अमरावती के हॉलमार्क सेंटर की मान्यता कतिपय कारणवश रद्द कर दी गई हैं. बीआयएस की मान्यता हेतु केंद्र संचालक पुन: प्रयत्नशील हैं. अमरावती जैसे बाजार में ऐसे केंद्र की नितांत आवश्कयता सभी संबंधित व्यापारी और स्वर्णकार बताते हैं.
* 1 हजार कारीगर
अमरावती में सराफा बाजार काफी बडा हैं. एक स्थान पर ही सैंकडों दुकानें हैं. उसी प्रकार अनेक प्रमुख, प्रतिष्ठित ज्वैलरी प्रतिष्ठान हैं. 1 हजार से अधिक कारीगर है जो सोने के जेवर गढते हैं. उनके हाथों से बने गहने हॉलमार्किंग के लिए अन्यत्र ले जाने पडते हैं. जिसमें बहुत संभालकर पार्सल लाना-ले जाना पडता हैं. हालांकि ग्राहकों के संतोष के लिए आवश्यक हैं. इसलिए यह सारी कवायद यहां के स्वर्णाभूषण व्यापारी कर रहे हैं.