भाजपा ने तैयार करवाया अपने विधायकों का रिपोर्ट कार्ड
अपने कामकाज के ब्यौरे को देखकर हैरत में पड गए भाजपा विधायक
* कमियों को उजागर करते हुए पार्टी ने काम सुधारने चेताया
* निजी एजेंसी के जरिए पार्टी ने करवाया था गुप्त सर्वे
अमरावती/दि.30 – भाजपा द्बारा राज्य में अपने सभी विधायकों के निर्वाचन क्षेत्र में दिल्ली की एक निजी एजेंसी के जरिए गुप्त सर्वे कराया गया था. ताकि अपने विधायकों के काम करने के तरीकों को लेकर आम जनता की राय जानी जा सके. जिसके आधार पर सभी विधायकों का रिपोर्ट कार्ड तैयार किया गया और यह रिपोर्ट कार्ड भाजपा के सभी विधायकों के हाथ मेें थमाया गया. जिसमें उल्लेखीत छोटे-छोटे ब्यौरो को देखकर खुद भाजपा विधायक भी हैरत में पड गए. यह रिपोर्ट कार्ड सौंपने के साथ ही पार्टी प्रदेशाध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने सभी विधायकों से यह भी कहा है कि, इस समय चुनाव होने में करीब डेढ वर्ष का समय बाकी है. आपकी कमजोरियों आपके सामने उजागर कर दी गई है. जिन्हें दूर करते हुए अपने-अपने काम के तरीके व स्तर में सुधार करना जरुरी है. ऐसी विश्वसनीय जानकारी सामने आई है.
बता दें कि, पार्टी प्रदेशाध्यक्ष बावनकुले ने विगत सप्ताह ही प्रत्येक विभाग के विधायकों की पार्टी कार्यालय में अलग-अलग बैठके ली और इन बैठकों में ही विधायकों को उनके रिपोर्ट कार्ड सौंपे गए. इस रिपोर्ट कार्ड में विधायकों द्बारा अब तक किए गए पूरे कामकाज का ब्यौरा दर्ज है. जिसके तहत उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र मेें कौन-कौन से विकास कार्य किए, कौन से विकास कार्य प्रलंबित है, मतदाताओं के साथ उनका संपर्क कितना है, वे आम जनता की समस्याओं को कितनी गति से हल करते है और निर्वाचन क्षेत्र मेें पार्टी पदाधिकारियों के साथ उनके संबंध कैसे है, आदि सभी बातों का लेखाजोखा इस रिपेार्ट कार्ड में है. पता चला है कि, यह सर्वे करने का आदेश पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व द्बारा दिल्ली से जारी किया गया था और दिल्ली की एक एजेंसी को इस काम के लिए नियुक्त किया गया था.
* सोशल मीडिया पर भी जोर
– निर्वाचन क्षेत्र में प्रत्यक्ष किए जाते कामों व जनसंपर्क के साथ इस सर्वेक्षण में इस बात पर भी विशेष ध्यान दिया गया कि, पार्टी के विधायक सोशल मीडिया पर कितने सक्रिय है और वे पार्टी के कार्यक्रम तथा केंद्र व राज्य सरकार के फैसलों की जानकारी को सोशल मीडिया पर नियमित रुप से पोस्ट व शेयर करते है, या नहीं.
– साथ ही विधायकों द्बारा प्रधानमंत्री सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं के ट्वीट को रिट्वीट किया जाता है, अथवा नहीं. इसके अलावा विधायकों द्बारा फेसबुक लाइव के जरिए अपने मतदाताओं से किस तरह संपर्क साधा जाता है. इसकी जानकारी भी इस सर्वेक्षण में जुटाई गई.
– सूत्रों के मुताबिक साधारणत: अगले 3 माह बाद विधायकों को एक और लेखाजोखा दिया जाएगा, क्योंकि कुछ अन्य मुद्दों को लेकर भाजपा विधायकों के निर्वाचन क्षेत्र में अब भी सर्वेक्षण चल रहा है.
* 100 पन्ने का सर्वेक्षण, 5 से 6 पन्ने का रिपोर्ट कार्ड
– प्रत्येक विधायक के बारे में किए गए सर्वेक्षण हेतु करीब 100 पन्ने की रिपोर्ट तैयार की गई, लेकिन इसके आधार पर जो रिपोर्ट कार्ड विधायकों के हाथ में दिया गया है, वह केवल 5 से 6 पन्ने का ही है. क्योंकि इस रिपोर्ट कार्ड मेें केवल विधायकों की कमियों को ही उल्लेखित किया गया है. वहीं सर्वेक्षण के दौरान जिन अन्य बातों की जानकारियां हासिल की गई और जिन बातों का अध्ययन किया गया अभी उसकी जानकारी विधायकों को नहीं दी गई है.
* 4 माह से चल रहा था सर्वे, विधायकों को नहीं लगी हवा
पता चला है कि, भाजपा विधायकों के निर्वाचन क्षेत्र में यह सर्वेक्षण विगत 4 माह से किया जा रहा था. लेकिन इसके बारे में विधायकों को कोई जानकारी नहीं थी. यह सर्वेक्षण बेहद सुक्ष्म पद्धति से किया गया. जिसके तहत यह जानने का प्रयास किया गया कि, निर्वाचन क्षेत्रों में पार्टी पदाधिकारियों के बीच किस तरह की और कैसी गुटबाजी चल रही है, इस गुटबाजी का पार्टी पर क्या असर पड रहा है. विधायकों के विविध गुटों के साथ कैसे संबंध है. विधायकों का अपने निर्वाचन क्षेत्र में व्यक्तिगत प्रभाव कितना है. पार्टी के तौर पर भाजपा का प्रभाव कितना है. अलग-अलग समाजों में विधायक को लेकर क्या विचार है तथा सरकारी योजनाओं पर किस तरह से अमल हो रहा है.
* गुजरात पैटर्न पर हो सकता है अमल
उल्लेखनीय है कि, गुजरात में भाजपा ने चुनाव से कुछ माह पूर्व एक निजी संस्था के मार्फत ऐसे ही सर्वेक्षण किया था और विधायकों को उनके रिपोर्ट कार्ड देकर अपना काम सुधारने हेतु कहा था. टिकट वितरण से करीब एक-डेढ माह पहले दोबारा इस बात को लेकर सर्वेक्षण कराया गया कि, विधायकों ने अपने कामकाज में कितना सुधार किया है और जिन विधायकों के कामकाज में कोई सुधार नहीं दिखाई दिया. ऐसे करीब 50 विधायकों को पार्टी ने टिकट देने से इंकार कर दिया. वहीं अब महाराष्ट्र में भी गुजरात राज्य की तर्ज पर चुनाव से करीब डेढ वर्ष पहले पार्टी द्बारा गुपचूप तरीके से सर्वे कराते हुए विधायकों के हाथ में उनका रिपोर्ट कार्ड दिया गया है. जिसमें विधायकों की कमियों को उजाकर करते हुए उन्हें अपने कामकाज के तरीके में सुधार करने की ताकिद दी गई है. ऐसे मेें बहुत संभावना है कि, गुजरात पैटर्न पर अमल करते हुए पार्टी द्बारा उन विधायकों की टिकट चुनाव के समय काट दी जाएगी. जिनके कामकाज में कोई सुधार दिखाई नहीं देगा. जिसके चलते भाजपा के सभी विधायकों में इस सर्वेक्षण और इसके जरिए तैयार किए गए रिपोर्ट कार्ड को लेकर अच्छा खासा हडकंप मचा हुआ है.