जिले में जगह-जगह हनुमान भक्तों ने खींची बैलगाडियां
हनुमान जयंती के मौके पर परंपराओं का किया गया निर्वहन
अमरावती/दि.18- हनुमान जयंती के अवसर पर जिले में विभिन्न स्थानों पर कई तरह के धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. जिसके तहत कई स्थानों पर हनुमान भक्तों द्वारा अपने हाथों से एक के पीछे एक बंधी कई बैलगाडियों को खींचा गया. इन आयोजनों में संबंधित क्षेत्रों एवं आसपास के परिसर में रहनेवाले नागरिक बडी संख्या में उपस्थित हुए थे और इन आयोजनों के दौरान पूरे विधि-विधान के साथ परंपराओं का निर्वहन किया गया.
जलका में हनुमान भक्त ने खींची पांच बैलगाडियां
* पूरे गांव में लगायी प्रदक्षिणा, परिसरवासियों की उमडी भारी भीड
जिले की धामणगांव रेल्वे तहसील अंतर्गत जलका गांव में प्रति वर्षानुसार इस वर्ष भी एक के पीछे एक बंधी पांच बैलगाडियों को एक हनुमान भक्त द्वारा अपने हाथों से खींचा गया और पूरी रफ्तार के साथ पूरे गांव की प्रदक्षिणा पूर्ण की गई. इस नजारे को देखने के लिए जलका सहित आसपास के गांवों के नागरिक बडी संख्या में उपस्थित थे. जलका गांव में यह परंपरा विगत करीब सवा सौ वर्ष से चली आ रही है. जिसके तहत हनुमान जयंतीवाली रात गाड-पगाड की परंपरा का निर्वहन किया जाता है. इसके तहत इस वर्ष शनिवार 16 अप्रैल की रात 8 बजे लक्ष्मी माता व तेलंगा माता का पूजन किया गया. साथ ही 50 वर्षीय हनुमानभक्त पंडित कंगाले को पूरे विधि-विधान के साथ स्नान कराया गया. इस दौरान पांच महिलाओं द्वारा गाडपगाड में शामिल की जानेवाली पांच बैलगाडियों का पूजन करते हुए बैलगाडियों के पहियों पर हल्दी लगायी गई. जिसके उपरांत तुतारी वादन होते ही पंडित कंगाले ने अपने हाथों से एक पीछे एक बंधी बैलगाडियों को खिंचना शुरू किया. इस समय सभी बैलगाडियों पर गांववासी सवार थे और पूरा परिसर लक्ष्मी माता, तेलंगा माता व हनुमान जी की जयजयकार से गूंजायमान हो गया था. पंडित कंगाले ने पांचों बैलगाडियों को अपने हाथों से खींचते हुए गांव के डेढ किलोमीटर परिसर की प्रदक्षिणा की. जिसके उपरांत पांचों बैलगाडियों को देवी मंदिर के सामने लाया गया. जहां पर इस आयोजन का समापन हुआ. इस आयोजन को देखने हेतु पूरे परिसर में अच्छी-खासी भीड उमडी हुई थी और व्यवस्था बनाये रखने हेतु यहां पुलिस का कडा बंदोबस्त भी लगाया गया था.
* मंगरूल में सदाशिव महाराज ने खींची 11 बैलगाडियां
वहीं नांदगांव खंडेश्वर तहसील अंतर्गत मंगरूल चवाला गांव में प्रति वर्षानुसार इस वर्ष भी हनुमान जयंती के अवसर पर सदाशिव महाराज द्वारा एक के पीछे एक बांधी गई 11 बैलगाडियों को अपने हाथों से खींचा गया. इस आयोजन से पहले सर्वप्रथम सदाशिव महाराज को हनुमान मंदिर के प्रांगण में हल्दी व चंदन का लेप लगाया गया. पश्चात उन्होंने हनुमान मंदिर में करीब पांच मिनट तक मौन साधना की. जिसके उपरांत वे आयोजन स्थल पर पहुंचे. जहां पर सदाशिव महाराज के कंधे व कमर पर लोहे के छल्लों के साथ बैलगाडियों की रस्सी बांधी गई. पश्चात सदाशिव महाराज ने भाविक श्रध्दालुओं से लदी व एक के पीछे एक बंधी 11 बैलगाडियों को खींचना शुरू किया. साथ ही बेहद तेज रफ्तार के साथ गांव की प्रदक्षिणा पूर्ण की. जिसके उपरांत हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना करते हुए इस आयोजन का समापन हुआ.
* हिंगलासपुर देवी के उत्सव में भी हुआ ‘गाडपगाड ’
– साढे सात सौ वर्ष से चली आ रही परंपरा
– भगत परिवार की दसवीं पीढी कर रही निर्वहन
इसके साथ ही नांदगांव खंडेश्वर तहसील अंतर्गत श्री क्षेत्र हिंगलासपुर में विगत करीब साढे सात सौ वर्ष से पुरातन ज्वालामुखी हिंगलासदेवी के उत्सव में गाडपगाड यानी भगत द्वारा अपने हाथों से एक के पीछे एक बंधी बैलगाडियों को खींचने की परंपरा चली आ रही है. जिसका इस वर्ष भी पूरे विधि-विधान के साथ निर्वहन किया गया और गांव में रहनेवाले भगत परिवार की दसवीं पीढी ने इस आयोजन में हिस्सा लेकर बैलगाडियों को खींचते हुए यह विधान पूर्ण किया. उल्लेखनीय है कि, पहले हिंगलासपुर में एक के पीछे एक बंधी 21 बैलगाडियां खींची जाती थी. जिसके बाद अगले कुछ वर्षों तक 11 बैलगाडियां खींची गई. वही इस वर्ष पंकज रामदास भगत ने पांच बैलगाडियां खींची. यह कार्यक्रम शनिवार की सुबह 10 बजे शुरू हुआ और दोपहर करीब 12.30 बजे तक चला. जिसके उपरांत देवी की पालखी निकाली गई. इस समय क्षेत्र के विधायक प्रताप अडसड व जिला परिषद के पूर्व सदस्य रविंद्र मुंदे ने उपस्थित रहकर देवी पूजन किया. इसके उपरांत महाप्रसाद वितरण करते हुए देवी के दस दिवसीय उत्सव का समापन किया गया. इस आयोजन में सरपंच बंडू भगत, अंबादास लाहे, विष्णु लाहे, भास्कर लाहे, विलास भगत, विनोद भगत, शिवदास रंगाचार्य, जन्मेश रंगाचार्य, अंबादास भगत, वासुदेव महिंगे, श्याम लोणकर, बाबूलाल मुंदे, नागेश लाहे, भावेश लाहे सहित हिंगासलपुर गांव एवं आसपास के क्षेत्रों के भाविक श्रध्दालु बडी संख्या में उपस्थित थे.