पुजारी के कब्जे से हनुमानजी हुए मुक्त
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जरुड में मना जल्लोष

* गांववासियों ने निकाली शानदार रैली
* सन 1974 से लसकरे परिवार ने कब्जा रखा था हनुमान मंदिर
अमरावती/दि.27- जिले के वरुड तहसील अंतर्गत जरुड गांव के मुख्य चौराहे पर स्थित हनुमान मंदिर व अखाडे की जगह पर विगत 35 वर्षों से जबरन कब्जा करने के साथ ही अतिक्रमण कर बैठे हुए पुजारी के दावे को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट में गांववासियों के पक्ष में फैसला सुनाया और विगत 35 वर्षों से लसकरे नामक पुजारी के कब्जे में रहने वाले हनुमानजी को मुक्त करवाया. सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही गांववासियों ने जमकर जल्लोष मनाते हुए गांव में एक शानदार रैली निकाली तथा अबीर गुलाल उडाकर अपनी खुशियों का इजहार किया.
जानकारी के मुताबिक जरुड गांव निवासी हनुमंत यशवंत देशमुख ने अपनी मालकी वाले मंदिर और अखाडे की जगह सन 1974 में रजिस्टर्ड दानपत्र के जरिए जरुड ग्राम पंचायत को दी थी. जिसके बाद हनुमान मंदिर व कुश्ती अखाडे की देखभाल करने हेतु हनुमंतदास लसकरे की पुजारी के तौर पर नियुक्ति की गई. लेकिन आगे चलकर हनुमंतदास लसकरे व उसके बेटे श्याम लसकरे ने मंदिर और अखाडे की जगह पर अपना खुद का कब्जा कर लिया और गांववासियों को मंदिर में पूजा-अर्चना करने से मना कर दिया. जिसके बाद गांववासियों ने सत्र न्यायालय, जिला न्यायालय व उच्च न्यायालय सहित सर्वोच्च न्यायालय मेें याचिका दायर करते हुए मंदिर और अखाडे की जगह को पुजारी के कब्जे से छुडाकर ग्रामपंचायत को सौंपे जाने की मांग उठाई. गांववासियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने विगत बुधवार को ही जरुड ग्रामपंचायत के पक्ष में फैसला सुनाया. जिसके तहत न्या. एम. एस. सुंदरेश एवं न्या. अरविंदकुमार ने मंदिर व अखाडे की जगह पर रहने वाले लसकरे परिवार के अतिक्रमण को हटाकर वह पूरी जगह ग्रामपंचायत के ताबे में देने का आदेश जारी किया. यह खबर मिलते ही जरुड गांववासियों ने गत रोज जमकर खुशियां मनाई तथा गांव में विजयी जुलूस भी निकाला. इस समय गांववासियों ने हनुमान मंदिर व अखाडे के सामने ढोल-ताशे की थाप पर थिरकते हुए जमकर अबीर गुलाल भी उडाया.