अमरावती

उदार नागरिकों के योगदान से मधुबन के बुजुर्गों के लिए शुभ दिवाली

सांसद डॉ. अनिल बोंडे का बयान

* बुजुर्गों के साथ दिवाली मनाएं
अमरावती/दि.13– कलावतीबाई जोजारे के अथक प्रयासों से मधुबन वृद्धाश्रम की स्थापना हुई. उसके बाद उदार नागरिकों के योगदान से मधुबन को लगातार बड़ी मदद मिलती रही. इसीलिए मधुबन वृद्धाश्रम के नागरिकों का जीवन खुशहाल हो गया है. राज्यसभा सांसद डॉ. अनिल बोंडे ने कहा कि नागरिक इसके लिए मदद करते रहेंगे. रविवार को उन्होंने वृद्धाश्रम में डॉ. वसुधा बोंडे के साथ दिवाली मनाई. इस दौरान वृद्धाश्रम में बुजुर्गों को कपड़े, मिठाइयां, नाश्ता समेत विभिन्न सामान वितरित किए गए। आज़ाद हिंद मित्र मंडल की पहल पर, कोंडेश्वर मार्ग पर मधुबन वृद्धाश्रम हर साल दिवाली के अवसर पर बुजुर्गों के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करता है.

इस समय डॉ. बोंडे बोल रहे थे. विलास इंगोले, शहर कांग्रेस अध्यक्ष बबलू शेखावत, मालताई डोईफोडे, जयश्री पोद्दार, मनोहर आंडे, डॉ.राहुल ढोबले, अमित अरोकर, अरविंद गावंडे, सुभाष पावड़े, अरुण ठाकरे, हाजी रम्मू सेठ, डॉ.संगीता कडु, किशोर फुले, दत्तात्रेय गेदाम, योगेश्वर खासबागे, नीलेश फुटाने, राहुल जाधव व अन्य उपस्थित थे. इस अवसर पर विलास इंगोले, डॉ. वसुधा बोंडे, अरविंद गावंडे समेत विभिन्न गणमान्य लोगों ने अपने विचार व्यक्त किये. इस दौरान सांसद डॉ. अनिल बोंडे ने कहा कि जब कलावती बाई जोजारे ने कृष्णमूर्ति बालकश्रम की शुरुआत की थी, तब वह 50 बच्चों की देखभाल कर रही थीं. वह एक वटवृक्ष में परिवर्तित हो गया है. अगर वे आज जीवित होते तो खुश होते. कलावती बाई, जो स्वयं एक स्वतंत्रता सेनानी थीं, ने अपने परिवार के लिए कुछ नहीं किया. लेकिन समाज के लिए उनका योगदान महान है. स्वर्गीय अंबादास पंत वैद्य, प्रभाकर वैद्य ने कलावती बाई की चुनौती का लगातार जवाब दिया. वज्जर के शंकर बाबा पापड़कर ने भी समाज सेवा की विरासत को आगे बढ़ाते हुए वज्जर मॉडल विकसित किया. हम देख सकते हैं कि वहां के लड़के-लड़कियों का जीवन स्तर ऊंचा उठा है. कार्यक्रम की प्रस्तावना विलास इंगोले ने रखी और संचालन दिलीप दाभाड़े ने किया.

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