अमरावती/ दि. 21-प्याज कटाई के बाद केवल उचित नियोजन व व्यवस्थापन नहीेें होने से देश में हर वर्ष 30 लाख टन प्याज सडकर खराब हो जाता है. यह आंकडे सरकारी आंकडे है. निजी आकडे की माने तो हर वर्ष 60 लाख टन प्याज सडता है. हर साल होनेवाले इस नुकसान पर चिंता जताई जा रही है. हर वर्ष इतना अनाज खराब होने से उसका असर देश की अन्न सुरक्षा पर भी पड रहा है.
राष्ट्रीय प्याज व लहसून संशोधन केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. राजू काले ने बताया कि खरीफ व देरी से उत्पादित प्याज ज्यादा दिन टिकता नहीं है. इस प्याज में पानी की मात्रा अधिक रहती है. देश में 70 लाख टन प्याज स्टोअर रखने की व्यवस्था है. इनमें से अधिकांश प्याज चॉल में रखा जाता है. लेकिन चॉल में रखा गया प्याज तेज धूप, बरसात व तूफान के कारण खराब होता है. चॉल में रखा गया 30 से 40 प्रतिशत प्याज का नुकसान होता है. प्रतिकुल मौसम में यह नुकसान 60 प्रतिशत पर पहुंच जाता है. जिससे हर वर्ष अलग- अलग कारणों से 30 लाख टन प्याज का नुकसान होता है. इसलिए प्याज के स्टोरेज के पारंपरिक विकल्पों की जगह अन्य विकल्पों पर काम करना जरूरी हो गया है.