हरे माधव सत्संग का आरंभ हरे माधव वाणी अरदास से हुआ
हरिराया सतगुरू बाबा ईश्वरशाह साहिब जी का पावन आगमन
* भारी संख्या में प्रेमी भक्तों की भीड
अमरावती/ दि. 23– अमरावती शहर के प्रेमी भक्तों की विनय सुन लंबे अंतराल के पश्चात माधवनगर कटनी के हरिराया सतगुरू बाबा ईश्वरशाह साहिब जी का पावन आगमन अमरावती की धरा पर 20 मई को हुआ. लगभग 4 वर्षो के बाद हरिराया सतगुरू जी के नगर आगमन की खुशी से भारी संख्या में प्रेमी भक्तों का हुजूम एकत्रित हुआ. जैसे ही सतगुरू साहिबान जी का काफिला अमरावती स्टेशन से कृष्णानगर गली नं. 3 पहुंचा तो वहां भारी तादाद में प्रेमी भगत ढोल नगाडों, शहनाईयों के साथ श्रध्दाभाव, प्रेमभाव, विरहभाव में अखियां बिछाए आपजी का इंतजार कर रहे है. जिसमें अमरावती सहित अनेक नगरों-कस्बों से भक्तगण आए. सारी संगतें अपने सतगुरू जी के नगर आगमन की खुशी में पावन दर्शन कर झूम रही. सतगुरू साहिबानजी के श्रीवाहन के आगे हरे माधव यूथ टीम एवं हरे रूहानी बाल संस्कार के सेवादार भी मनमोहक प्रस्तुति देते हुए चल रहे. राह में अंखिया बिछाए खडे भक्त , नैनों में आंसू और हाथों में प्रेम के पुष्प लिए सतगुरू श्री चरणों में सत्कार कर रहे थे. सतगुरू साहिबान जी के श्री वाहन (कार) के आगे-पीछे खुशी से नाचते- गाते- झूमते हुए संगतों के भारी हूजूम ही दिख रहे थे. हरे माधव शोभायात्रा कृष्णानगर से प्रांरभ हुई एवं रामपुरी कैंप, माधव नगर होते हुए हरे माधव दरबार साहिब पहुंची. पूरा मार्ग हरे माधव, हरे माधव के नादों से गुंजायमान था. सतगुरू बाबा ईश्वर शाह साहिब जी का पावन दीदार कर सभी वर्गो के धर्मप्रेमियों के आत्मिक आनंद की लहर दौड पडी. सहकार नगर ग्राउंड, अमरावती में आयोजित पावन हरे माधव सत्संग का आरंभ सायं 7 बजे हरे माधव वाणी अरदास से हुआ. सतगुरू बाबा ईश्वरशाह साहिब जी की हुजूरी में पावन सत्संग के परम वचन आए. समस्त संतापों का निवारण केवल और केवल भजन सिमरन के भण्डारी सतगुरू की ओट शरण, सेवा चाकरी, बंदगी और श्रीदर्शन ही है. साधसंगतजी ! बर्फ की वादियों को देख ठंड उभर पडती है. लू के मौसम में सैर सपाटा कर ठंडे पानी की याद आती है. यह हम अपने जीवन काल में अनुभव करते है.
इसी तरह पूरण सतगुरू का दर्शन कर हमे हरे माधव अकह परमेश्वर की याद, उनके अंश होने की याद आती है. पूरण सतगुरू के दर्शन कर यह ज्ञात होता है कि संसार पराया है और जिस प्रभु से हम बिछडे है उस अकह प्रभु के प्रगट रूप पूरण सदगुरू है. भजन सिमरन के भंडारी सतगुरू का दर्शन कर आत्मा आनंदित हो उठती है. ऐसे कमाईवाले सतगुरू का दर्शन जीव को दुखों, कष्टों, कलेशों से उबार लेता है. ऐसे श्रीदर्शन से आतम सार भजन का सुख पा लेती है और भवसागर से पार हो जाती है.
समस्त संसार को चलानेवाली एक अदृश्य सत्ता है, जिसे हम पारब्रम्ह कहा है. जो कण-कण में व्याप्त है और कण कण से परे भी है. हरिराया सतगुरू व पारब्रम्ह अभेद रूप है. केवल भजन- सिमरन के प्रताप से आलोकित परमत्वमय हरिराया सतगुरू ही जीवात्माओं को वह सोझी व दृष्टि बक्शते है, जिससे जीव अपने अंतर गुप्त परमात्मा के परम विराट श्रीदर्शन कर सकता है. ऐसे तत्वदर्शी हरिराया सतगुरू की मंगलमय संगति से लाग प्रीत स्नेही जोड रखना, उनकी प्रभुमय वचनों वाणियों को शिरोधार्य कर सतगुरू-भगति, सेवा बंदगी, प्रेमा- प्रीत नीजारी भाव से, कमाना और बलिहारी भाव से अंतर आतम में मंगलकारी भाव को पिरोजना चाहिए. ि
पावन हरे माधव सत्संग में हजारों की संख्या में अमरावती सहित, अन्य अनेक छोटे-बडे शहरों, गांवों के श्रध्दालुजन जैसे अकोला, मूर्तिजापुर, भुसावल, नागपुर,वर्धा, परतवाडा, अकोट, यवतमाल, आर्वी, वाशिम, मोर्शी, वरूड, पुलगांव,, चांदुर रेलवे, पुसद, कारंजा, आर्वी, नांदुरा, मलकापुर, अकोट, मुंबई, जालना, मिरज , बालाघाट,भोपाल, खंडवा, कटनी, जबलपुर, आदि से पधारे एवं सत्संग के अमृत वचनों का लाभ लिया सतगुरू बाबाजी के श्री चरणों में मात्था टेक दया आशीष प्राप्त की. सत्संग पश्चात सभी ने भंडारा प्रसाद ग्रहण किया.