अमरावतीविदर्भ

शिक्षको की उपस्थिति में स्पष्ट आदेश हो

विमाशि के प्रकाश कालबांडे की उपसंचालको से मांग

अमरावती/दि.४ – कोरोना के समय शिक्षको की शाला की उपस्थिति संबंध शासन ने २४ जून को परिपत्रक निकाला था. किंतु उस परिपत्रक का पालन नहीं किया जा रहा है. शासन का इस संबंध में आदेश स्पष्ट न होने से संस्था चालक तथा मुख्याध्यापको ने शिक्षको को उपस्थित रहने के लिए जोर दिया जा रहा है. उसे टालने के लिए अपन प्रत्येक जिले के शिक्षाधिकारी द्वारा शाला व्यवस्थापन को स्पष्ट आदेश देने के निर्देश देने की मांग विदर्भ माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रकाश कालबांडे ने शिक्षा उपसंचालको को दिए गये निवेदन में दी है.

पूरी दुनिया में कोरोना के संक्रमण के कारण पूरा जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया है. जिसके कारण शिक्षा व्यवस्था बिखर गई है. हाल ही में यह संक्रमण दिनों दिन बढ़ता जा रहा है. जिससे अनेक लोग बाधित हो गये है. जिसके कारण शासन विविध शासकीय कार्यालय में कर्मचारियों की उपस्थिति में सहूलियत दी है. सप्ताह में एक या दो दिन कर्मचारियों को बुलाए, ऐसे निर्देश शासन के है तथा सभी कर्मचारियो को एक ही दिन में नहीं बुलाया जाए और ५५वर्ष की आयु वाले तथा मधुमेह,रक्तदाब तथा अन्य बीमारी वाले कर्मचारियों की उपस्थिति में सहूलियत दी गई है. परंतु शासन ने २४ जून को निकाले गये परिपत्रक का पालन शाला ने नहीं किया ऐसा दिखाई दे रहा है. शाला में शिक्षा के काम बंद होने पर भी जबर्दस्ती से शिक्षको को तथा कर्मचारियों को शाला में उपस्थित रहने के आदेश दिए गये है. शिक्षाधिकारियों की ओर से कोई भी स्पष्ट आदेश शाला व्यवस्थापको को न होने से अनेक स्थानों पर शिक्षको पर शाला में जबर्दस्ती से उपस्थित रहने को कहा जा रहा है. जिसके कारण अधिक उम्र वाले तथा अन्य बीमारी से ग्रस्त रहनेवाले शिक्षक तथा कर्मचारियों को जान हथेली में रखकर उपस्थित रहना पड रहा है.

राज्य शासन की ओर से प्रत्यक्ष में शाला शुरू होने तक शिक्षको को वर्क फ्रॉम होम की सुविधा दी जाए तथा ऑनलाईन तरीके से शिक्षा देने का शिक्षाधिकारी आदेश दे. विभाग के प्रत्येक जिले की कुछ शाला व्यवस्थापन शासन के आदेश का पालन नहीं कर रही है. उन्हें इस संबंध में सूचना दी जाए, ऐसी मांग प्रकाश कालबांडे ने की है. इसी प्रकार जहां पर आवश्यक हो वहां पर नियमानुसार शिक्षको को उपस्थित रहने का कहा जाए, ऐसा भी कालबांडे ने कहा. प्रशासन के कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखकर गंभीरता से विचार कर निर्णय लेना आवश्यक होने का कालबांडे ने कहा.

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