अमरावती

हेडफोन के प्रयोग से बढ रहा सरदर्द

अमरावती/दि.15 – इन दिनों मोबाईल का प्रयोग लगातार बढने की वजह से कई लोगों ने हेडफोन का पर लगाकर अपने अन्य काम करने की आदत बना ली है. किंतु हेडफोन की 80 से 100 डेसिबल तक की आवाज लगातार कान पर पडने से इसका विपरित परिणाम होता है. साथ ही कान का परदा फट जाने से बहरेपन व सिरदर्द की शिकायत भी इन दिनों लोगों में बडे पैमाने पर देखी जा रही है.

कान पर पडती है 105 डेसिबल की आवाज

किसी भी मनुष्य के लिए साधारणत: शून्य से 60 डेसिबल तक की आवाज ही प्राकृतिक रूप से उचित है. किंतु मोबाईल के स्पीकर का आवाज 85 से 120 डेसिबल तक होता है और इस आवाज को ईयरफोन के जरिये सुनना काफी तकलीफदेह भी होता है. जिसकी वजह से कान का परदा फटकर बहरापन भी आ सकता है.

… तो बहरे हो जाओंगे

ध्वनि प्रदूषण के चलते 60 से 105 डेसिबल तक ईयरफोन की आवाज बढाकर मोबाईल पर सतत संपर्क साधने की वजह से कई लोगों के कानों में तकलीफ बढ गई है. ऐसी जानकारी ईएनटी विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा दी गई है.

यह तकलीफें भी हो सकती हैं

कान का संक्रमण
कान में दर्द
मस्तिष्क में तकलीफ
चक्कर आना
मानसिक तनाव

छोटे बच्चों से हेडफोन को रखे दूर

साधारणत: शून्य से 60 डेसिबल का आवाज सुनाई देने के लिहाज से बेहद सामान्य होती है. किंतु ईयरफोन, पटाखा, हॉर्न, स्पीकर या ब्लास्ट के जरिये आनेवाली आवाज 85 से 105 डेसिबल तक होती है. ऐसे में छोटे बच्चों को हेडफोन से दूर रखना चाहिए. चूंकि उनके कानों का परदा बेहद नाजूक होता है. ऐसे में हेडफोन से आनेवाली आवाज की वजह से उनके कानों को नुकसान पहुंच सकता है.

कुछ हद तक हेडफोन सुरक्षित भी होता है, लेकिन ईयरफोन काफी हद तक खतरनाक साबित होता है. ईयरफोन का लगातार प्रयोग करने से कान का परदा फटकर बहरापन भी आ सकता है.
– डॉ. बबन बेलसरे
ईएनटी विशेषज्ञ

85 डेसिबल से अधिक आवाज को सुनना टालना चाहिए. साथ ही ईयरफोन का प्रयोग भी लगातार नहीं करना चाहिए. अगर एक बार कान का परदा फट गया, तो वह दोबारा दुरूस्त नहीं होता.
– डॉ. श्रीकांत महल्ले
ईएनटी विशेषज्ञ

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