अमरावती

मुंढे का तबादला होते ही पुराने ढर्रे पर लौटा स्वास्थ्य विभाग

सारी चुस्ती हुई काफूर, पहले जैसी सुस्त चाल हुई शुरु

अमरावती/दि.1 – स्वास्थ्य सेवा आयुक्त के पद पर तुकाराम मुंढे जैसे सक्त व अनुशासन प्रिय प्रशासनीक अधिकारी की नियुक्ति होते ही स्वास्थ्य महकमे के दिन बदलते नजर आने लगे थे. क्योंकि कर्तव्य में कोताही व लापरवाही करने की आदत से मजबूर अधिकारी व कर्मचारी भी कार्रवाई के भय से चुस्त-दुरुस्त व चौकन्ने हो गये थे. साथ ही आरोग्य केंद्र सहित मुख्यालय में काम करने वाले वैद्यकीय अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए अपने ड्यूटी पर समय पर उपस्थित रहने के साथ ही बायोमैट्रीक पर हाजिरी लगाना अनिवार्य किया गया था. जिसका कडाई से पालन भी हो रहा था. किंतु इसी बीच स्वास्थ्य सेवा आयुक्त पद से तुकाराम मुंढे का तबादला हो गया और दूसरे ही दिन से वैद्यकीय अधिकारी व कर्मचारी बायोमैट्रीक हाजिरी को भुल गये. यानि मुंढे के जाते ही स्वास्थ्य महकमा एक बार ुफिर अपने पुराने ढर्रे पर लौट आया है.
बता दें कि, सरकारी अस्पतालों सहित तहसील एवं ग्रामीण क्षेत्र ेके स्वास्थ्य केेंद्रों में डॉक्टर व कर्मचारी कई बार अनुपस्थित रहते है. रात के समय अगर कोई मरीज अस्पताल में आता है, तो उसे समय पर इलाज नहीं मिलता. बल्कि जिला सामान्य अस्पताल या निजी अस्पताल में भेज दिया जाता है. जिसके चलते सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था हमेशा ही सवालों के घेरे में रहती है. ऐसे में स्वास्थ्य महकमे द्बारा 2 वर्ष पूर्व बायोमैट्रीक पर हाजिरी लगाना अनिवार्य किया गया. लेकिन इस पर कोई खास अमल नहीं हुआ. इसी बीच विगत दिनों स्वास्थ्य सेवा आयुक्त के रुप में तुकाराम मुंढे की नियुक्ति हुई और आयुक्त मुंढे ने राज्य के कई अस्पतालों सहित स्वास्थ्य केंद्रों का अकस्मात दौरा करना शुरु किया. इस समय कई वैद्यकीय अधिकारी व स्वास्थ्य कर्मचारी गैर हाजिर रहने की बात सामने आई. जिसके चलते बायोमैट्रीक पर हाजिर को एक बार भी बेहद कडाई के साथ अमल में लाया गया और सरकारी स्वास्थ्य सेवा काफी हद तक चाक चौबंद व चुस्त-दुरुस्त होनी शुरु हुई. जिसके चलते सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर उम्मीद जागने लगी. परंतु इसी बीच तुकाराम मुंढे का स्वास्थ्य सेवा आयुक्त पद से तबादला हो गया और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों ने राहत की सांस लेने के साथ ही अपने पुराने तौर तरीकों से काम करना शुरु कर दिया. जिसके चलते कहा जा सकता है कि, मुंढे के जाते ही स्वास्थ्य महकमा एक बार भी अपने पुराने ढर्रे पर लौटा आया है और स्वास्थ्य सेवा में एक बार फिर वहीं पुराना लचर व सुस्त कामकाज दिखाई देने वाला है.

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