अमरावती

ईडी व फॉरेन्सीक ऑडिट बढायेंगे ‘हार्ट बीट’

जिला बैंक के 3.39 करोड रूपयों की दलाली का मामला

अमरावती/दि.30 – स्थानीय जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक द्वारा किये गये 700 करोड रूपये के निवेश तथा इसकी ऐवज में दिये गये 3.39 करोड रूपयों की दलाली को आर्थिक गडबडी मानते हुए इसकी जांच प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की जा रही है. साथ ही इसे लेकर दर्ज शिकायत की जांच कर रही आर्थिक अपराध शाखा ने भी बैंक के पूरे व्यवहार का फॉरेन्सीक ऑडिट जल्द से जल्द करवाने के प्रयास किये है और इस ऑडिट रिपोर्ट को पुलिस द्वारा अदालत में पेश किया जायेगा. ऐसे में जिला बैंक से संबंधित कई लोगों के ‘हार्ट बीट’ बढे हुए है.
बता दें कि, जिला बैंक द्वारा निप्पॉन नामक कंपनी के म्युच्युअल फंड में 700 करोड रूपये का निवेश किया था और कंपनी व बैंक के बीच सीधा व्यवहार रहने के बावजूद इस मामले में 3 करोड 39 लाख रूपयों की दलाली दिये जाने की बात लेखा परीक्षण रिपोर्ट में सामने आयी थी. पश्चात 15 जून को बैंक के प्रशासक द्वारा दर्ज करायी गयी शिकायत के मुताबिक जिला बैंक के तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी, चार कर्मचारी, निप्पॉन के स्थानीय व्यवस्थापक तथा पांच ब्रोकर ऐसे कुल 11 लोगों के खिलाफ सिटी कोतवाली पुलिस थाने में जालसाजी व धोखाधडी की शिकायत दर्ज करायी गई थी. पश्चात इस मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा को सौंपी थी. जिसके द्वारा बैंक का फॉरेन्सीक ऑडिट करवाने का निर्णय लिया गया और नागपुर की एक ऑडिट फर्म को इस काम के लिए नियुक्त किया गया. बैंक का फॉरेन्सीक ऑडिट करनेवाली नागपुर की फर्म ने इस काम के लिए जिला उपनिबंधक से तीन माह की मुदत मांगी थी. जिसमें से डेढ माह का समय बीत चुका है. वहीं इस बीच आर्थिक गडबडी से संबंधित इस मामले में अब ईडी ने भी ध्यान देते हुए जांच करनी शुरू की है. जिसके तहत इस मामले में नामजद हुए बैंक के तत्कालीन सीईओ जे. सी. राठोड को सबसे पहले समन्स जारी करते हुए 7 सितंबर को मुंबई स्थित ईडी कार्यालय में उपस्थित रहने का आदेश दिया गया था. इसके साथ ही बैंक के पूर्व अध्यक्ष बबलू देशमुख व उत्तरा जगताप के नाम भी ईडी की ओर से समन्स जारी किया गया था. जिसमें से उत्तरा जगताप को 20 सितंबर व बबलू देशमुख को 23 सितंबर को ईडी के समक्ष हाजीर रहने का आदेश दिया गया. किंतु दोनों ने ईडी के समक्ष उपस्थित रहने हेतु कुछ अतिरिक्त समय मांगा था. पश्चात ईडी द्वारा दुबारा समन्स जारी करते हुए उत्तरा जगताप को 30 सितंबर की सुबह 11 बजे मुंबई स्थित ईडी कार्यालय में हाजीर रहने हेतु कहा गया.
ईडी की ओर से नोटीस व समन्स जारी होने के साथ ही जिला बैंक के आर्थिक लेन-देन से संबंधित करीब पांच ऑडिओ क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल होने शुरू हुए. जिसे लेकर दावा किया गया कि, इन ऑडिओ क्लिप्स में बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष बबलू देशमुख, तत्कालीन संचालक वीरेंद्र जगताप, सीईओ जे. सी. राठोड तथा निप्पॉन कंपनी के अधिकारियों की बातचीत है, जो पैसों के लेन-देन को लेकर बात कर रहे है. इन तमाम ऑडिओ क्लिप्स की भी फॉरेन्सीक जांच चल रही है और अब तक ऑडिओ क्लिप्स में मौजूद आवाजों को लेकर कोई पुष्टि नहीं हो पायी है.

इन लोगों के खिलाफ दर्ज हुए मामले

बैंक के तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी जे. सी. राठोड, कर्मचारी निलकंठ जगताप, सुधीर चांदूरकर, राजेंद्र कडू, रोहिणी चौधरी, निप्पॉन कंपनी के स्थानीय व्यवस्थापक अजीतपालसिंह हरीसिंह मोंगा, कमीशन एजेंट नीता गांधी, पुरूषोत्तम रेड्डी, शोभा शर्मा, शिवकुमार गट्टाणी व राजेंद्र गांधी के खिलाफ सिटी कोतवाली थाना पुलिस में अपराध दर्ज किया गया है.

नाबार्ड के अधिकारी भी जिला बैंक में दाखिल

– चर्चाओं का बाजार हुआ गर्म, दावा नियमित जांच का
इस समय जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक में चुनाव की प्रक्रिया चल रही है और एक-दूसरे के आमने-सामने खडे दोनों पैनलों द्वारा जमकर आरोप-प्रत्यारोप लगाये जा रहे है. जिससे जिला बैंक सहित सहकार क्षेत्र की राजनीति का वातावरण तपा हुआ है. वहीं दूसरी ओर कल बुधवार 29 सितंबर को नाबार्ड अधिकारियों का एक पथक अचानक ही जिला सहकारी बैंक में पहुंचा. ऐसी जानकारी सामने आयी है. नाबार्ड अधिकारियों के अचानक ही जिला बैंक में पहुंचने की वजह से कई तरह की चर्चाएं भी शुरू हो गई. वहीं अब यह दावा भी किया जा रहा है कि, नाबार्ड के पुणे स्थित अधिकारी चांदूरकर अकेले ही जिला बैंक में पहुंचे है तथा प्रत्येक दो वर्ष में एक बार सहकारी बैंकों की नियमित तौर पर जांच की जाती है. इसी के तहत उनका अमरावती आगमन हुआ है. साथ ही नाबार्ड अधिकारी चांदूरकर के इस दौरे का बैंक में उजागर हुए भ्रष्टाचार से किसी तरह का कोई संबंध नहीं है. नाबार्ड अधिकारी चांदूरकर द्वारा की गई जांच-पडताल के समय बैंक के मुख्य प्रशासक कोलवाडकर भी उपस्थित थे. जिन्होंने कहा कि, सभी सहकारी बैंक नाबार्ड के अधिकार क्षेत्र में ही काम करती है. जिसकी वजह से नाबार्ड के अधिकारियों द्वारा नियमित अंतराल के बाद सभी सहकारी बैंकों की जांच-पडताल की जाती है.

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