अमरावती

युवावस्था में जकड रहा हृदयरोग व मधुमेह

अमरावती/दि.11 – अमूमन हृदयरोग व मधुमेह को ढलती आयु के दौरान होनेवाली बीमारियां माना जाता है. किंतु अब बदलती जीवनशैली और व्यायाम के अभाव की वजह से 30 वर्ष से कम आयुवाले युवाओं को भी यह बीमारियां अपनी जकड में ले रही है. ऐसा इन दिनों बडे पैमाने पर देखा जा रहा है. इस बात के मद्देनजर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि, किसी भी तरह के दबाव में काम न करे, नियमित भोजन करे और नियमित तौर पर अपनी स्वास्थ्य जांच कराये.

फीट रहने हेतु इन आदतों को बदले

आधुनिकता की ओर बढते समय इन दिनों कामों का स्वरूप भी बदल गया है. काम को लेकर तनाव, शारीरिक हलचलों का कम होना व लगातार बैठकर काम करना आदि वजहों के चलते शरीर में पर्याप्त हलचल नहीं होती. साथ ही मस्तिष्क पर तनाव पैदा होकर उस पध्दति से हार्मोन्स निर्माण होते है. इसके अलावा फाईबर का प्रमाण कम होने व अपचन होने से रक्तवाहिनी में ब्लॉकेज बढते है तथा फ्रि कोलेस्ट्रॉल रफ्चर होते है.

नियमित स्वास्थ्य जांच कराये

40 वर्ष की आयु तक शरीर थकता नहीं है. किंतु आधुनिकता की ओर बढते समय काम का स्वरूप बदल रहा है. जिसकी वजह से शारीरिक हलचले कम होने के साथ ही शरीर के अंदरूनी घटकोें पर इसका परिणाम होता है. ऐसे में 30 वर्ष की आयु के दौरान ही नियमित तौर पर स्वास्थ्य जांच करानी चाहिए.

रक्तजांच

30 वर्ष की आयु के बाद अस्वस्थता महसूस होने पर रक्तजांच करानी चाहिए. शरीर में निश्चित तौर पर कौनसा घटक असंतुलित है, यह पता चलने पर इलाज करना काफी सुविधाजनक हो जाता है.

रक्तदाब जांच

अपने शरीर में रक्त का प्रमाण स्थिर रहने हेतु नियमित व्यायाम व आहार ये दोनों घटक बेहद जरूरी है. साथ ही 30 वर्ष की आयु के बाद नियमित तौर पर ब्लड प्रेशर की जांच की जानी चाहिए.

लिपीड प्रोफाईल टेस्ट

शरीर में कौन से घटक असंतुलित होकर कम या अधिक हो गये है. इसकी जानकारी लिपीड प्रोफाईल टेस्ट से मिलती है. इस टेस्ट की रिपोर्ट के आधार पर योग्य इलाज कराने पर आकस्मिक हानी को टालना संभव होता है.

क्या कहते है हृदयरोग विशेषज्ञ

बदलती जीवनशैली, व्यसनाधिनता, अनियमित निंद, काम का तनाव, व्यायाम का अभाव तथा आहार की अनदेखी आदि बातें हृदयविकार व मधुमेह जैसे बीमारियों की वजह बनती है. जिसकी ओर विशेष रूप से ध्यान देना अब बेहद जरूरी हो चला है.
– डॉ. नीरज राघानी
हृदयरोग विशेषज्ञ

मौजूदा तकनीकी युग में शारीरिक की बजाय बौध्दिक काम बढ गये है. ऐसे में शारीरिक हलचले बेहद कम होती है और मस्तिष्क के साथ ही आंखों पर काफी अधिक तनाव पडता है. जिसकी वजह से अंतर्गत बीमारियां बढने लगी है और इससे ही मधुमेह व हृदयविकार की समस्याएं सामने आती है.

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