अमरावती

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वतीजी को भावपूर्ण श्रध्दांजलि

अमरावती-/ दि. 13 शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वतीजी का रविवार को निधन हो गया. उनके निधन से सभी ओर शोक का माहौल है. उनके निधन पर श्री रूक्मिणी विदर्भ पीठाधिश्वर जगतगुरू स्वामी श्री रामराजेश्वराचार्य ने भावपूर्ण श्रध्दांजलि अर्पित की.
रविवार को दोपहर 3.21 बजे जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती ने मध्यप्रदेश के नरसिंगपुर समीप गोटेगांव के झोेतेश्वर आश्रम में जीवन की अंतिम सांस ली. उनके वसुंधरा की यात्रा पूर्ण कर देवलोक यात्रा प्रारंभ करने का दुखद समाचार प्राप्त होते ही कौंडण्यपुर के रूक्मिणी विदर्भ पीठाधिश्वर जगतगुरू रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामराजेश्वर्याचार्य समर्थ माउली सरकार ने विनम्रतापूर्वक भावपूर्ण श्रध्दांजलि अर्पित की. इस अवसर पर रूक्मिणी विदर्भ पीठ, चिंतामणि विनायक मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारी, विश्वस्त भक्तों की उपस्थिति रही. मध्यप्रदेश के गोटेगांव आश्रम में जगतगुरू स्वामी ने बाल्यावस्था में नर्मदा परिक्रमा करते हुए शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की प्रथम भेंट लेकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया. इस समय उन्होंने उनकी यादों को ताजा किया.
उन्होंने सनातन वैदिक हिंदू धर्म एवं संस्कृति की ध्वजा के संवाहक बनकर अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया. इस बात का विश्व सदैव स्मरण करेगा.
सन 1981 से विश्व प्रसिध्द द्बारकाधीश एवं बद्रीनाथ ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य पद की जिम्मेदारी संभालते हुए उन्होंने अंतिम सांस तक हिन्दू सनातन वैदिक एवं सांस्कृतिक परंपराओं को निर्वहन करते हुए गंगा माता को राष्ट्रीय नदी घोषित करना, राम जन्मभूमि के लिए संघर्ष करना, स्वतंत्रता के काल में क्रांतिकारी साधु के रूप में 1842 में भारत छोडो आंदोलन में सक्रिय रहकर कारावास में सजा काटी. पाखंडीवाद का प्रबल विरोध करना, इन सभी आदर्शो से सनातनी हिंदू धर्मियों में जागृति लाने के लिए निरंतर प्रयास किए. उनके यह प्रयास हमेशा याद रखे जायेंगे. ऐसे महानुभावों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए उन्हें श्रध्दांजलि अर्पित की गई.

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