-शासकीय उदासीनता के चलते पर्यटकों की जान से खिलवाड़
परतवाड़ा/मेलघाट/चिखलदरा दी ६-घटांग के लिए निर्माणधीन 70 करोड़ की सड़क का काम अलग-अलग पेटी कॉन्ट्रैक्टर द्वारा किये जाने से और कोई भी शासकीय जवाबदेही तय नहीं किये जाने के चलते 60 किलोमीटर के इस कार्य मे सत्रह सौ साठ खामियां देखने को मिल रही है.बताते है कि उक्त ठेका सीधे राज्य सरकार द्वारा आवंटित किए जाने के चलते लोक निर्माण विभाग अचलपुर और डिप्टी अभियंता पीडब्ल्यूडी मिलिंद पाटणकर भी अपनी जवाबदारी से साफ पल्ला झाड़ रहे है.इस कारण निर्माणधीन सड़क की बदहाली की शिकायत नागरिक आखिर करे भी तो किसे यह सवाल भी उठने लगा है.
परतवाड़ा से धामनगावँ गढ़ी तक दस किलोमीटर सड़क का काम पूर्ण होते ही इसमें फारेस्ट ने अड़ंगा डाल दिया.जैसे तैसे उक्त समस्या सुलझाई गई तो अब मुख्य ठेकेदार ने इसे अनेक उप ठेकेदारों को सौप दिया है.ताजा स्थिति में यह सड़क नागरिको व पर्यटकों के लिए जानलेवा साबित हों रही है. सफर करते लोगो को जान हथेली पर रखकर सफर तय करना पड़ता है. विशेष बात यह कि इस महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट पर नियंत्रण रखने और गुणवत्ता बनाये रखने की जवाबदारी जिसे दी गई है,वो कंपनी भोपाल की है.भोपाल के अधिकारी व अन्य लोग आज तक कार्यस्थली पर देखे नही गये है. लोगो मे उटपटांग ढंग से किये जा रहे इस कार्य को लेकर काफी आक्रोश है. पिछले तीन वर्षों से परतवाड़ा, घटांग व्हाया चिखलदरा सड़क का काम किसी न किसी वजह से अधरताल ही दिखाई दे रहा.न काम में एकरूपता है और न ही गुणवत्ता का कही ध्यान रखा जा रहा है. नई सड़क बनने से परतवाड़ा और चिखलदरा की तरफ पर्यटकों का रुझान बढ़ेगा इस प्रकार की जो अपेक्षा की जा रही थी, वो अब धूमिल होती दिखाई पड़ती है.
धामनगावँ गढ़ी से चिखलदरा तक गावं जहां वहां सीमेंट रोड और शेष डांबर की सड़क बनाने का यह कार्य ठेका दिल्ली के वेलस्पन कंपनी को दिया गया है.कंपनी ने किसी अन्य एजंसी को ठेका बेच दिया. ताजा स्थिति में 18 किलोमीटर सड़क का काम भी पूर्ण नही हुआ है.ठेकेदार उसकी मर्जी में आये तब काम शुरू करता और मर्जी न हो तो बंद कर देता है.आधे-अधूरे काम,जगह-जगह पर फैला हुई साहित्य सामग्री,सड़क पर ही खड़ी यंत्र सामग्री व वाहन आदि के कारण भयानक हादसा होने की पूरी संभावना रहती है.पीडब्ल्यूडी की मालकी की सड़क होने के बाद भी ठेकेदार किसी अफसर की कोई बात सुनने को तैयार नही रहता है.डांबरीकरण से बनी सड़क के गड्ढे को मिट्टी से भरा जा रहा है.कई किलोमीटर सड़क की दोनों ओर मिट्टी के ढेर लगा दिए गए.इससे आते-जाते दुपहिया चालक रोजाना दुर्घटनाग्रस्त होने की भी जानकारी है.
धामनगावँ गढ़ी से चिखलदरा तक 28 किलोमीटर के मार्ग में 10 किलोमीटर सड़क क्रांकीट से बनाई जानी है.शेष 18 किमी सड़क को डांबर से बनाया जायेगा.सड़क की चौड़ाई को टाइगर रिजर्व की कड़ी शर्तो के कारण बढ़ाया नही जा सका.इस कारण 70 करोड़ लागत की उक्त सड़क पर खर्च में कुछ कमी आने की संभावना पीडब्ल्यूडी के अधिकारी व्यक्त कर रहे है.
भोपाल की जी.व्ही. कृष्णा कंपनी को महाराष्ट्र सरकार ने सलाहकार और गुणवत्ता नियंत्रण के रूप में नियुक्त किया है.पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों को इस सड़क की देखरेख का फिलहाल कोई अधिकार नही है.इस कारण अंधेर गर्दी-चौपट राजा की तर्ज पर ठेकेदार मनमाफिक काम कर रहे है.