* कई स्थानों पर जनजीवन अस्त-व्यस्त
* अधिकांश नदी-नाले उफान पर
अमरावती/दि.16 – एक महिने तक विश्राम करने के बाद अब जिले में बारिश एक बार फिर सक्रिय हुई है और विगत 2-3 दिनों से चहूंओर झमाझम पानी बरस रहा है. जिसके तहत कई स्थानों पर मूसलाधार बारिश होने की भी खबरे सामने आयी है. साथ ही विगत 48 घंटों से भी अधिक समय से चल रही बारिश की वजह से मौसम काफी हद तक सर्द हो गया है. साथ ही लगातार बरसते पानी की वजह से जिले के सभी नदी-नालों में उफान आया हुआ है. जिसकी वजह से जिले के सबसे बडे बांध अथवा वर्धा प्रकल्प सहित अन्य सभी मध्यम व लघु प्रकल्पों में जलस्तर उंचा उठ रहा है. ऐसे में बांध में जलस्तर को नियंत्रित रखने हेतु अप्पर वर्धा बांध तथा पूर्णा मध्यम प्रकल्प के सभी दरवाजों को खोलकर वर्धा व पूर्णा नदी में पानी छोडा जा रहा है. साथ ही इन दोनों नदियों के किनारे रहने वाले लोगों व गांवों को सतर्क रहने की चेतावनी जारी की गई है.
बता दें कि, इस समय मानसून की वापसी का दौर शुरु हो गया है और मानसूनी हवाएं अब उत्तर भारत से वापिस लौटते हुए अरब सागर की ओर बढ रही है. ऐसे में एक बार फिर बारिश वाला मौसम बन गया है. इसके चलते विगत 2-3 दिनों से झमाझम बारिश हो रही है और यह स्थिति अगले 2-3 दिनों तक ऐसे ही बनी रह सकती है. इसे देखते हुए मौसम विभाग ने अमरावती जिले सहित पश्चिम विदर्भ क्षेत्र के लिए 16 व 17 सितंबर हेतु हायअलर्ट जारी किया है. वहीं दूसरी ओर जिले में विगत 14 सितंबर से दोबारा सक्रिय हुए मानसून के चलते झमाझम बारिश होने का दौर शुरु हुआ. जिसके तहत आसमान से लगातार दमदार पानी बरस रहा है. ऐसे में अमरावती शहर सहित जिले के अधिकांश इलाकों में आम जनजीवन काफी हद तक अस्त-व्यस्त हो गया है. वहीं दूसरी ओर हुए अगस्त माह के दौरान भारी उमस व गर्मी से जुझ रहे अमरावती जिले को इस बारिश के चलते कुछ हद तक राहत मिली है. क्योंकि अब मौसम काफी हद तक सर्द हो गया है.
* अप्पर वर्धा व पूर्णा बांध से जलनिकासी
लगातार हो रही बारिश के चलते जिले के सभी नदी-नालों में उफान आया हुआ है. जिसकी वजह से नदियों पर बनाए गए बांधों में बडे पैमाने पर पानी की आवक होकर जलस्तर तेजी से उपर उठ रहा है. ऐसे में बांध में जलसंग्रहण की स्थिति को नियंत्रित रखने हेतु पूरी सतर्कता रखते हुए हालात पर नजर रखी जा रही है. वहीं जिले के सबसे बडे बांध अप्पर वर्धा प्रकल्प एवं पूर्णा मध्यम प्रकल्प से जलनिकासी करनी शुरु कर दी गई है. जिसके तहत अप्पर वर्धा बांध के 13 में से 11 दरवाजों को 70 सेमी तक खोलकर वर्धा नदी में प्रति सेंकड 1255 घनमीटर पानी छोडा जा रहा है. इस समय अप्पर वर्धा बांध में प्रतिसेकंड 706 घनमीटर पानी की आवक हो रही है. जिसके चलते बांध में जलस्तर 342.48 मीटर तक जा पहुंचा है. इस समय अप्पर वर्धा बांध में 562.19 दशलक्ष घनमीटर का जलसंग्रह है. जो बांध की कुल क्षमता की तुलना में 99.67 प्रतिशत है. यानि अप्पर वर्धा बांध लगभग पूरी तरह से भरा हुआ है और बांध में अब भी बडे पैमाने पर पानी की आवक हो रही है. जिसे ध्यान में रखते हुए बांध से लगातार वर्धा नदी में पानी छोडा जा रहा है.
वहीं दूसरी ओर चांदूर बाजार तहसील के विश्रोली में पूर्णा नदी पर बनाए गए पूर्णा मध्यम प्रकल्प के सभी 9 दरवाजे को 50 सेमी तक खोलकर प्रतिसेकंड 388.50 घनमीटर जलनिकासी की जा रही है. पूर्णा बांध में इस समय 31.22 दशलक्ष घनमीटर का जलसंग्रहण है, जो बांध की कुल संग्रहण क्षमता का 88.27 फीसद है. साथ ही इस समय बांध में जलस्तर 451.09 घनमीटर तक जा पहुंचा है और बांध में पानी की आवक लगातार जारी है. क्योंकि बांध के पाणलोट क्षेत्र में विगत 36 घंटों से जबर्दस्त बारिश हुई है. ऐसे में पानी की लगातार हो रही आवक और बांध में लगातार बढ रहे जलसंग्रह की वजह से बांध से जलनिकासी शुरु की गई है. जिसके तहत पूर्णा बांध के सभी 9 दरवाजों को 50 सेमी तक खोलकर नदी में पानी छोडा जा रहा है.
* बगाजी सागर के सभी 31 दरवाजे खुले
वर्धा जिले की सीमा पर वरुड बगाजी गांव स्थित निम्न वर्धा प्रकल्प यानि बगाजी सागर बांध के सभी 31 दरवाजों को 35 सेमी तक खोलते हुए वर्धा नदी में प्रति सेकंड 969.86 घनमीटर पानी छोडा जा रहा है. उल्लेखनीय है कि, अप्पर वर्धा बांध से वर्धा नदी में की जा रही जलनिकासी के चलते वर्धा नदी पर बने लोवर वर्धा प्रकल्प में इस समय प्रतिसेकंड 952.14 घनमीटर पानी की आवक हो रही है. जिसके चलते वरुड बगाजी बांध में 184.93 दलघमी का जलसंग्रहण हो चुकी है तथा यहां पर जलस्तर 242.63 मीटर तक पहुंच चुका है. हालांकि वरुड बगाजी सागर में इस समय कुल क्षमता की तुलना में 68.45 फीसद जलसंग्रहण ही चुका है. लेकिन अप्पर वर्धा बांध से वर्धा नदी में छोडे जा रहे पानी की संभावित आवक को देखते हुए ऐहतियात के तौर पर लोअर वर्धा बांध से वर्धा नदी में पानी छोडा जा रहा है.
* फिलहाल चिखलदरा व मेलघाट जाना टाले
– जिला प्रशासन ने जारी की चेतावनी
उल्लेखनीय है कि, इस समय चिखलदरा सहित मेलघाट के पहाडी इलाकों में मौसम काफी सुहाना बन गया है. जिसका आनंद उठाने के लिए पर्यटक बडी संख्या में घुमने-फिरने के लिहाज से चिखलदरा व मेलघाट के इलाकों में पहुंच रहे है. साथ ही कई लोगों ने शनिवार और रविवार की छुट्टियों का आनंद उठाने के लिए घुमने-फिरने का प्लान बना रखा है. जिसे ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने अलर्ट जारी किया है और लोगों से आवाहन किया है कि, फिलहाल अगले एक-दो दिनों तक चिखलदरा सहित पहाडी क्षेत्रों में घुमने-फिरने हेतु न जाए. क्योंकि अगले एक-दो दिनों में भारी बारिश होने की संभावना है. जिसकी वजह से पहाडी रास्तों पर चट्टान खिसकने जैसी घटनाएं घटित होने की आशंका बनी हुई है.
* जिले सहित संभाग में अब भी बारिश का बैकलॉग बाकी
विशेष उल्लेखनीय है कि, इस वर्ष अमरावती शहर व जिले सहित समूचे संभाग में मानसून का आगमन थोडा विलंब से हुआ और जून माह का अधिकांश हिस्सा सुखा ही बिता. वहीं जुलाई माह में मुसलाधार बारिश और अतिवृष्टि वाली स्थिति बनी. जिससे इस वर्ष समाधानकारक बारिश होने के आसार बनते दिखाई दिए. लेकिन अगस्त महिना पूरी तरह से सुखा बीत गया और जारी सितंबर माह के पहले पखवाडे में भी बारिश लगभग नदारद रही. जिसकी वजह से इस वर्ष अमरावती जिले सहित समूचे संभाग में अपेक्षित बारिश का औसत स्तर भी पूरा नहीं हो पाया है. बता दें कि, 1 जून से 16 सितंबर तक अमरावती जिले में 785.3 मिमी. पानी बरसना अपेक्षित होता है. जिसकी एवज में जून माह से लेकर अब तक 487.7 मिमी. पानी बरसा है. जो कुल अपेक्षित औसत का 62.1 फीसद है. वहीं 1 जून से 30 सितंबर के दौरान अपेक्षित रहने वाली 862 मिमी. बारिश की तुलना में यह 56.6 फीसद बारिश है. इसके अलावा अमरावती संभाग में 1 जून से 16 सितंबर तक 684.4 मिमी. औसत बारिश की अपेक्षा होती है. जिसकी तुलना में संभाग में अब तक 582.3 मिमी. पानी बरसा है. जो अपेक्षित की तुलना में 85.1 मिमी. है. वहीं संभाग में 1 जून से 30 सितंबर के दौरान 749.8 मिमी. बारिश अपेक्षित होती है. जिसकी तुलना में अब तक 77.7 मिमी. बारिश हुई है. विशेष उल्लेखनीय है कि, अब बारिश का मौसम लगभग खत्म होने की ओर अग्रसर है तथा मानसून की वापसी का सफर भी शुरु हो गया है. साथ ही मौसम विभाग ने आगामी 19 सितंबर तक ही बारिश होने की संभावना जताई है. जिसे देखते हुए यह स्पष्ट है कि, इतने कम दिनों के दौरान बारिश का बचा हुआ बैकलॉग पूरा नहीं हो पाएंगा. जिसके चलते रबी फसलों की सिंचाई हेतु पानी की उपलब्धता को लेकर कुछ हद तक किल्लत का सामना करना पड सकता है. साथ ही अगले वर्ष गर्मी के सीजन में भी जलकिल्लत की समस्या पैदा हो सकती है. ज्ञात रहे कि, गत वर्ष बारिश के सीजन दौरान अमरावती जिले में 890.6 मिमी. बारिश हुई थी. जो अपेक्षित बारिश की तुलना में 113.4 फीसद रही. वहीं संभाग में 835.5 मिमी. बारिश दर्ज की गई थी, जो कुल औसत की तुलना में 122.1 फीसद थी. यहीं वजह है कि, जारी वर्ष की गर्मी के दौरान जिले सहित संभाग में इक्का-दुक्का स्थानों को छोडकर अन्य कहीं पर भी जलकिल्लत वाली स्थिति नहीं बनी.