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मनपा के भारी टैक्स ने रोक रखी है अमरावती की ग्रोथ

पूर्व क्रेडाई अध्यक्ष शैलेश वानखडे का कहना

* संपत्ति कर में भी 200 प्रतिशत बढोतरी कैसे होगी स्वीकार
अमरावती/दि.9- पूरे महाराष्ट्र में मुंबई, पुणे, नाशिक, औरंगाबाद सहित कहीं भी अचल संपत्ति किराए से देने पर 56 प्रतिशत का भारीभरकम टैक्स नहीं है. केवल अमरावती के लोगों पर यह भुर्दंड आज भी कायम है. जबकि इसी टैक्स के कारण अमरावती का विकास रुका है. ग्रोथ रुकी है. शासन और प्रशासन को सबसे पहले इस टैक्स को हटाना होगा. यह दो टूक मांग के्रडाई के पूर्व अध्यक्ष और महाराष्ट्र पदाधिकारी शैलेश वानखडे ने उपस्थित की. वे आज दोपहर क्रेडाई ग्रैंड एक्स्पो में अमरावती मंडल से खास बातचीत कर रहे थे. उन्होंने दो विषयों पर मुख्य रुप से चर्चा की और शासन दरबार में तत्काल न्याय की अपेक्षा व्यक्त की. वानखडे के अनुसार टैक्स के अलावा अमरावती मनपा का एक साथ 15 वर्षो का असेस्मेंट कर परिसंपत्तियों पर 200 प्रतिशत और कई मामलों में इससे भी अधिक बढोतरी कोई कैसे मंजूर करेगा, यह विषय भी उठाया.
* कहीं नहीं है इतना टैक्स
मनपा के 56 प्रतिशत टैक्स के बारे में बोलते हुए वानखडे ने दावा किया कि चार छोटी मनपा को छोड दें तो प्रदेश के बडे शहरों सहित कहीं भी इतना टैक्स नहीं है. उन्होंने कहा कि उदाहरण के तौर पर आपको किसी घर या दुकान का वार्षिक 1 लाख रुपए किराया मिल रहा है तो उस पर आपको 56 हजार रुपए मनपा को देने होंगे. इसके अलावा जीएसटी तथा टीडीएस रहेगा वह अलग. इतना अधिक टैक्स मुंबई, पुणे में भी नहीं है.
* कैसे रुकती है ग्रोथ
30 वर्षो से भवन निर्माण और विकासक के रुप में 50 से अधिक प्रकल्प सफलतापूर्वक करने वाले शैलेश वानखडे ने समझाकर बतलाया कि भारी टैक्स की वजह से निवेशक अमरावती की संपत्तियों में निवेश करने से बचते हैं. उन्होंने मान लीजिए 30 लाख रुपए का फ्लैट खरीदा. उस पर सालाना 1 लाख 20 हजार रुपए किराया वसूला तो, मनपा को ही 56 प्रतिशत के हिसाब से 65 हजार टैक्स चुकाना होगा. निवेशक की लागत पर उसकी कमाई क्या रह जाएगी? यह प्रश्न उठाते हुए वानखडे ने कहा कि ऐसा कोई टैक्स होना ही नहीं चाहिए.
* संपत्ति टैक्स के बाद किराए में हक क्यों
वानखडे ने कहा कि मनपा के नियमों के मनमाने अर्थ निकालकर किराए में भारीभरकम टैक्स वसूला जा रहा है. इसमें मात्र मनपा का फायदा है. बाकी शहर और शहरवासियों का नुकसान ही है. यहां ग्रोथ रुकी पडी है. मनपा संपत्तिकर वसूलती है, उतना काफी है. किसी की संपत्ति के किराए में मनपा का हिस्सेदार बनना सरासर अन्यायपूर्ण है.
* कार्पोरेट और कंपनियां निवेश से बच रही
वानखडे ने बताया कि अमरावती के प्रोजेक्ट में निवेश करने के लिए अनेक कार्पोरेट और अन्य कंपनियां उसी प्रकार निवेशक तैयार है. किंतु उन्हें टैक्स की रेट ने अपेक्षित रिटर्न नहीं दिए, जिससे वे लोग यहां निवेश से हाथ खींच रहे हैं.

जिससे यहां संपत्तियों में अपेक्षित निवेश नहीं हो रहा है. यह अमरावती के साथ अन्याय है. क्योंकि टैक्स में बडा हिस्सा मनपा खींच रही. जबकि संपत्ति मालिक को कमाए गए किराए पर जीएसटी और टीडीएस भी चुकाना होता है. जिससे यहां का निवेश घाटे का सौदा रहने से जल्दी कोई तैयार नहीं हो रहा. यहां रेट भी नहीं बढ रहे. अमरावती से छोटे शहरों में संपत्तियों के रेट अधिक है.
* मनपा की गलती, लोग क्यों भुगते
शौलेश वानखडे ने मनपा व्दारा 15-18 वर्षो के बाद संपत्ति असेसमेंट कर लोगों को डबल से अधिक और कई केसेस में 200 प्रतिशत से अधिक हाउस टैक्स की नोटिस संपत्तिधारकों को भेजने पर भी प्रश्न उठाए. उन्होंने कहा कि मनपा ने डेढ दशक तक संपत्तियों का नियम तथा प्रावधानों के अनुसार असेसमेंट नहीं किया. उसका खामियाजा जनता क्यों भुगते? यह सवाल प्रसिद्ध भवन निर्माता व विकासक ने उठाया.

* सरकार से शिकायत, सोमवार को बैठक
वानखडे ने बताया कि आज डीसीपी अजीत पवार से इस बारे में के्रडाई ने बात की है. उन्होंने सकारात्मक रुख दर्शाया है. सोमवार को शीतसत्र दौरान इस विषय में संबंधित विभागों के साथ वित्त व नियोजन संभाल रहे अजीत दादा मीटिंग आहूत कर सकते हैं. दोनों ही विषयों पर उनसे न्याय की गुहार लगाई जाएगी. न्याय की अपेक्षा भी अमरावती के लोगों को रहने की बात वानखडे ने कही.

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