खुद की उंचाई पांच फीट, बालों की लंबाई छह फीट
देश में सर्वाधिक लंबे बालोंवाली महिलाओं में समावेश
सांगली-दि.27 उसकी अपनी उंचाई पांच-साढे पांच फीट की है, लेकिन उसके सिर के बाल करीब 6 फीट लंबे है. यानी उसकी अपनी उंचाई से करीब पौन-एक फीट लंबे उसके बाल है. विशेष यह है कि, एक हादसे का शिकार होने के बाद उसे अपने पूरे बाल काटने ही पडे थे. जिसके बाद पूरी जिद के साथ खुद को संभालने के साथ-साथ उसने अपने बालों को भी संभाला और आज वह देश में सबसे अधिक लंबे बाल रखनेवाली महिलाओं में गिनी जाती है. उसके इस जिद और हौसले की दखल इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्डस् को भी लेनी पडी और उसे एक रिकॉर्डधारी महिला होने का सम्मान प्राप्त हुआ.
यह कहानी है सांगली में रहनेवाली श्रध्दा सदामते (वाघमारे) की. सांगली में रहते समय वर्ष 2005 में श्रध्दा को एक बस ने टक्कर मारी थी. जिसमें उसकी जान तो बच गई, लेकिन मस्तिष्क और रीढ की हड्डी पर जबर्दस्त मार लगी. जिसकी वजह से उसकी कई बडी-बडी शल्यक्रियाएं करनी पडी. इसके लिए उसके सिर के सभी बालोें को निकालना पडा. महज 16-17 वर्ष की आयु में अपने सिर के सभी बालों को निकाल देने का दर्द हादसे की वजह से हुई वेदनाओं की तुलना में कहीं अधिक था और स्त्री सौंदर्य का मानबिंदू कहे जाते बालों को निकालते समय एकबारगी यह भी लगा कि, इससे तो बेहतर था की जान ही चली जाती. लेकिन जान सलामत, तो बाल हजार वाली बात को ध्यान में रखते हुए बालों पर कैंची चलाई गई.
श्रध्दा ने डेढ वर्ष आईना नहीं देखा
श्रध्दा की तबियत ठीक होने में करीब डेढ वर्ष का समय लगा और इस दौरान उसने एक बार भी खुद को आईने मेें नहीं देखा. वह अपने सिर पर कपडा बांधकर अपनी कक्षा में बैठा करती थी. इसी दौरान उसका विवाह भी हो गया. जिसके बाद उसने एक बार फिर अपनी पढाई-लिखाई शुरू की और वास्तु विषारद शाखा में पदवी प्राप्त करने के बाद पदव्युत्तर पदवी प्राप्त करने के लिए पुणे चली गई. इस दौरान उसने अपने बाल बढाने की ओर भी ध्यान दिया और बालों का नैसर्गिक तरीके से संगोपन किया.
श्रध्दा बताती है कि, उसने अपने बालों पर कभी भी किसी रासायनिक तेल का प्रयोग नहीं किया और उस हादसे के बाद कभी अपने बालों पर कैंची भी नहीं चलायी. जिसके चलते आज उसके बाल करीब छह फीट लंबे हो गये है. जिसके चलते उसका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है.
मेरे बाल छह फीट तक बढे, इसका मुझे निश्चित तौर पर आनंद है. साथ ही इन बालों की वजह से मेरा आत्मविश्वास वापिस लौट आया. यह सबसे महत्वपूर्ण है. सबकुछ खो देने के बाद भी दुबारा नये उत्साह के साथ शिखर पर पहुंचा जा सकता है. इसका मुझे अब ऐहसास हुआ है.
– श्रध्दा सदामते (वाघमारे)