* असिंचित क्षेत्र के लिए केवल 6800 रुपए प्रति हेक्टेअर
* 2 लाख हेक्टेअर में अतिवृष्टि से हुआ नुकसान
अमरावती/दि.6 – प्राकृतिक आपदा के चलते खेती किसानी का नुकसान होने पर दी जाने वाली सरकारी सहायता के लिए एनडीआरएफ द्बारा 7 वर्ष पहले मानक तय किये गये, जो अब भी अमल में लाये जा रहे है, किंतु इस दौरान महंगाई आसमान छूने लगी है, ऐसे में 7 वर्ष पुराने मानकों के आधार पर कैसे काम चलेगा, यह सवाल किसानों द्बारा पूछा जा रहा है.
बता दें कि, प्राकृतिक आपदा के चलते हुए नुकसान के लिए राष्ट्रीय आपत्ती निवारण निधि के मानकों के तहत प्रभावितों को सरकारी सहायता दी जाती है. जिसके अनुसार जिला प्रशासन द्बारा सरकार से अनुदान की मांग की जाती है और इसके अनुसार प्राप्त निधि को आपदाग्रस्तों में वितरित किया जाता है. इस हेतू राजस्व एवं कृषि विभाग के स्थानीय कार्यालय द्बारा सबसे पहले पंचनामा किया जाता है. जिसके बाद दोनों विभागों की संयुक्त रिपोर्ट जिलाधीश के सामने पेश की जाती है. जिसके आधार पर अनुदान की मांग का प्रस्ताव तैयार होता है, जिसे सरकार को भेजा जाता है.
* ऐसे मिलती है मदद
– 4 लाख – प्राकृतिक आपदा में जीवित हानी होने पर मृतक व्यक्ति के परिजनों को 4 लाख रुपए की आर्थिक सहायता सरकार द्बारा प्रदान की जाती है. इसके लिए संबंधितों को दस्तावेजों की प्रक्रिया पूर्ण करनी पडती है.
– 95,100 – प्राकृतिक आपदा के चलते पक्के घरों का पूर्णत: या बडे पैमाने पर नुकसान होने के चलते 95 हजार 100 रुपयों तक की सहायता देने का प्रावधान एनडीआरएफ के मानकों में है.
– 4,300 – प्राकृतिक आपदा में घायल व्यक्ति यदि 7 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहकर इलाज करवाता है, तो उसे 4 हजार 300 रुपए की सहायता प्रदान की जाती है. वहीं इससे अधिक समय तक भर्ती रहने पर 12 हजार 700 रुपयों की सहायता दी जाती है.
– 30,000 – बडे दुधारु जानवर की मौत होने पर 30 हजार, छोटे दुधारु जानवर की मौत होेने पर 3 हजार, मेहनत के काम करने वाले बडे पालतू मवेशियों के लिए 16 हजार व मूर्गी के लिए 50 रुपए प्रति नग की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है.
– 6,000 – कच्चे या पक्के मकान का अंशत: नुकसान होने पर 6 हजार रुपए की सरकारी सहायता दी जाती है. साथ ही पूरी तरह से नष्ट हुई झोपडी के लिए भी 6 हजार रुपए की सरकारी सहायता प्रदान की जाती है.
– 2,100 – प्राकृतिक आपदा से प्रभावित हुए जानवरों के गोठे के लिए 2100 रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है.
* 7 वर्ष पुराने मानक कैसे चलेंगे
सरकार द्बारा 23 मई 2015 को प्राकृतिक आपदा की वजह से होने वाले नुकसान के लिए दी जाने वाली सरकारी सहायता के मानक घोषित किये गये, किंतु इसी दौरान जिवनावश्यक वस्तुओं व कृषि सहित्य के दाम कई गुणा अधिक बढ गये. ऐसे में प्राकृतिक आपदा के चलते होने वाले नुकसान की एवज में दी जाने वाली आर्थिक सहायता बेहद कम रहने का आरोप किसानों द्बारा लगाया जा रहा है और मुआवजे की राशि को बढाने की मांग की जा रही है.
* नुकसान भरपाई का केवल इंतजार
गत वर्ष एनडीआरएफ के मानकों की अपेक्षा अधिक मदद 3 चरणों में की गई. लेकिन सानुग्रह अनुदान के लिए तहसील स्तर पर कई मामलों में लेटलतिफी होती है.
* अतिवृष्टि प्रभावित क्षेत्रों के पंचनामें अब अंतिम चरण में है. इसके बाद स्पष्ट होगा कि, हकीकत में कितना नुकसान हुआ है, यह 3 तहसीलों की रिपोर्ट का थोडा काम बचा हुआ है.
– आशिष बिजवल, निवासी उपजिलाधीश.