अमरावती-/दि.11 जून और जुलाई में अतिवृष्टि से हुए नुकसान के कारण राज्यसरकार की तरफ से आर्थिक सहायता वितरित की गई हो. फिर भी पटवारी, कृषि सहायक व ग्रामसेवकों के विवाद में यह सहायता की रकम अटकी हुई है. अधिकारियों के अड़ियल रवैये के कारण किसानों की दिवाली काली जायेगी क्या? ऐसा प्रश्न निर्माण हो गया है. विशेष यानि इस संदर्भ में विभागीय आयुक्त द्वारा पत्र जारी करने के बाद भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. दूसरी तरफ जनप्रतिनिधियों को इस बात की जानकारी रहने के बावजूद मध्यस्थी करने कोई तैयार न रहने से किसानों में संभ्रम की स्थिति है.
अमरावती जिले के किसानों को नुकसान भरपाई के रुप में अदा करने के लिये 543 करोड़ की सहायता निधि 20 दिन पूर्व ही जिले को प्राप्त हो गई है. यह सहायता निधि प्राप्त होेने के बाद दिवाली के पूर्व किसानों के खाते में वह जमा होना आवश्यक रहते हुए भी केवल विवादों के कारण यह निधि वैसे ही पड़ी है. पटवारी, ग्रामसेवक, कृषि सहायक की समिति तैयार की गई है. शासन नियमानुसार अतिवृष्टि की सहायता अनेक वर्षों से राजस्व विभाग के जरिए वितरित की जाती है.
जानकारी के मुताबिक, वर्ष 2011 का शासकीय अध्यादेश यह कृषि विभाग का है. लेकिन पश्चात निकाले गए अध्यादेश के मुताबिक यह रकम राजस्व विभाग को दी जाती है. इस कारण अनेक वर्षों से पटवारी ही इस निधि का वितरण करते हैं. लेकिन इस वर्ष पटवारियों ने अपने पर हो रही कार्रवाई को देखते हुए यह निधि समिति के सभी सदस्यों द्वारा किसानों को समान वितरित करने का निर्णय लिया. वहीं दूसरी तरफ कृषि सहायक ने भी इस निधि को वितरित करने का बहिष्कार किया. इस कारण इन विवादों में विभागीय आयुक्त को स्वयं मध्यस्थी करनी पड़ी. तीनों संगठन सहायता राशि वितरित करने तैयार न रहने से विभागीय आयुक्त ने प्रत्येक संगठन को कम से कम 33 प्रतिशत रकम वितरित करने के आदेश दिये. विभागीय आयुक्त का पत्र प्राप्त होने के बाद भी कृषि सहायक व ग्रामसेवक संगठना यह काम उनके विभाग से संबंधित न रहने की बात कर उसे करने का विरोध कर रही है. इस कारण अब किसानों की अतिवृष्टि की सहायता कौन वितरित करेगा, यह प्रश्न निर्माण हुआ है. वहीं दूसरी तरफ पटवारियों ने अपने अधिकार में आने वाली 33 प्रतिशत रकम वितरित करने के काम की शुरुआत की है. लेकिन 66 प्रतिशत रकम अभी भी वैसी ही पड़ी रहने से किसानों की दिवाली अंधेरे में जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है.
पंचनामा करना हमारा काम
पिछले अनेक साल से अतिवृष्टि की सहायता जिलाधिकारी स्तर से राजस्व विभाग को दी जाती है. सर्वेक्षण व पंचनामा करना यह कृषि सहायक का काम है. यह काम हमने पूर्ण किया है. पटवारियों ने बहिष्कार डाला, इस कारण विभागीय आयुक्त को पत्र निकालना पड़ा. वास्तविक रुप से देखा जाये तो 80 प्रतिशत डाटा पटवारियों के पास तैयार है. वहीं दूसरी तरफ कृषि सहायक को पूरा काम समझना पड़ेगा. इसमें पूरा समय जाएगा. दिवाली मुहाने पर रहते ऐसा निर्णय लेना उचित नहीं है. इस कारण उन्होंने काम पूरा करना चाहिए.
– विजय चोरे, जिलाध्यक्ष, कृषि सहायक संगठन
33 फीसदी काम पूर्ण
पटवारी संघ के अधिकार में आये 33 प्रतिशत सहायता वितरण की शुरुआत की गई है. जल्द ही किसानों के खाते में निधि जमा की जाएगी. शासन का अध्यादेश देखा तो वह वर्ष 2011 में कृषि विभाग के नाम से निकाला गया था, पश्चात यह काम राजस्व विभाग को दिया गया. काम के लिए तीन सदस्यीय समिति रही तो भी कार्रवाई पटवारियों पर ही होती है. इस कारण निधि वितरण का काम तीनों समितियों द्वारा किया जाना चाहिए. विभागीय आयुक्त के पत्रक के मुताबिक 33 प्रतिशत काम करने की शुरुआत की गई है.
-विलास ढोले, जिलाध्यक्ष, पटवारी संगठन
इतने वर्षों में अब विरोध क्यों?
ग्रामसेवकों का काम उन्होंने पूरा किया. अनेक वर्षों से पटवारी ही अतिवृष्टि सहायता की रकम वितरित कर रहे हैं. ग्रामसेवक किसी भी दृष्टि से सक्षम नहीं है. ग्रामसेवकों के पास केंद्र व राज्य की अनेक योजनाएं है. अतिवृष्टि में पंचनामा करने में ग्रामसेवकों ने सहायता की. इस कारण उनका काम पूरा हो गया. यह सहायता वितरित करने का काम पटवारियों का है. उनके पास संपूर्ण डाटा उपलब्ध रहने के बाद भी वह काम नहीं करते.
– कमलाकर वनवे, जिलाध्यक्ष, ग्रामसेवक संगठना