अमरावती/ दि.27 – शहर के प्रतिष्ठित लढ्ढा परिवार की हेमा बद्रीनारायण लढ्ढा (65) व उनके पौत्र आरव मुकूंद लढ्ढा (10) को गीता परिवार व्दारा ‘गीताव्रती’ उपाधी से सम्मानित किया गया. गीता परिवार की डॉ. माया राठी ने बताया कि, हेमा लढ्ढा की श्ाुरु से ही आध्यात्मिक गतिविधियों में रुची रही है. गीता परिवार से जुडकर उन्होंने खुद को पठन के लिए तैयार किया. इतना ही नहीं उन्होंने कोरोना काल में शालाएं बंद होने पर ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही थी, उस समय उन्होंने अपने पौत्र आरव को भी गीता पठन करने के लिए प्रेरित किया. दादी-पोते ने एक दूसरे का साथ निभाते हुए यह कठिन पडाव पार किया.
डॉ. माया राठी ने आगे बताया कि, गीता पाठ के अलावा आरव ने ‘शिवतांडव स्त्रोत’ और गणेशजी के 108 नाम कठंस्थ किए, जो यूट्यूब पर उनके आवाज में सुने जा सकते हैं. संपूर्ण देश में कोरोना काल के चलते स्वामी गोविंद देवगिरी महाराज के मार्गदर्शन में संगमनेर स्थित उद्योजक संजय मालपानी ने गीता परिवार की स्थापना की. स्वामी गोविंद देवगिरी के मार्गदर्शन में गीता परिवार व्दारा श्रीमद् भागवत गीता के 18 चरणों का अध्यन कर चार चरणों में परीक्षा ली जाती है और अंत में गीताव्रती का पडाव होता है. इस परीक्षा को 700 श्लोक कठंस्थ कर परीक्षा देनी होती है. जो इस पडाव को पार कर लेता है उसे गीताव्रती उपाधी से सम्मानित किया जाता है. गीताव्रती में हेमा लढ्ढा और उनके पौत्र आरव लढ्ढा ने अंतिम परीक्षा में 600 में से 600 अंक हासिल कर सफलता प्राप्त की है और शहर का नाम रोशन किया. जिसमें दादी-पोते का गीता परिवार की माया राठी ने अभिनंदन किया.