दर्यापुर/दि.5– श्रद्धेय दादासाहब कालमेघ के सबसे छोटे पुत्र जिनका उल्लेख शिव परिवार में कर्तव्य एवं सेवा भाव से सार्थक उत्तरदायित्व स्वीकार करने वाले व्यक्ति के रूप में किया जाता है, उनका नाम हेमंत कालमेघ है. यह सर्वविदित है कि, जीवन में कठिन प्रसंगों पर पारंपरिक बुद्धिमत्ता व अचूक निर्णय क्षमता द्वारा विजय प्राप्त कर कार्य पवित्रता सिद्ध करने का सामार्थ्य हेमंत भाउ को मिला है. कीर्तिवंत पिता का साथ जीवन में मध्य में हीं छूट गया, फिरभी उन्होंने उनके बताये मार्ग पर चलने का दृढ़ संकल्प किया और अपने बड़े भाई शरददादा के आदेश के तहत कार्य करने की शपथ लेकर नाशिक आरोग्य विज्ञान विद्यापीठ में प्रथम स्थान प्राप्त करनेवाली संस्था स्थापित कर उसे चलाकर दिखाने का दिव्य कार्य उन्होंने किया है. और नागपुर में स्थित दंत महाविद्यालय स्व.दादासाहेब के यानी कुलगुरु पिता के नाम पर होने से इसे समाज में विशेष स्थान प्राप्त हुआ है.
यह तथ्य कि पूरे महाराष्ट्र और उसके बाहर जिन परिवारों से उनके पिता के घनिष्ठ संबंध थे, उनके साथ आज भी हेमंतराव के उसी प्रकार के संबंध हैं. श्री शिवाजी शिक्षण संस्थान के पूर्व अध्यक्ष दादा साहब कालमेघ ने संस्थान के आजीवन सदस्यों के प्रति बहुत प्रेम दिखाया और पिछले 26 वर्षों से अमरावती और नागपुर में हेमंतराव ने उसी निष्ठा, प्रेम और सम्मान को देखते हुए बनाए रखा है सभी वरिष्ठ सदस्यों में बड़ों की उपस्थिति और सम्मानपूर्ण शब्द काका के साथ उनका सम्मान किया. और कृतज्ञता के इस यज्ञ को तेजोमय रखा. अमरावती व नागपुर में पुण्यतिथि कार्यक्रम में आयोजन की निरंतरता को साबित किया. शरददादा की बेटी और हेमंतराव की बेटी दोनों बेटियों ने कालमेघ परिवार की प्रसिद्धि में इजाफा किया है. दादासाहेब कालमेघ के जीवन में जिन- जिन आध्यात्मिक स्थानों पर घनिष्ठ संबंध रखे थे, उन सभी स्थानों पर हेमंत कालमेघ का उसी पद्धती का तथा सेवा कार्य का संबंध प्रस्थापित है. यह किसी आम आदमी का काम नहीं हो सकता. इन सभी व्यस्त दिनचर्या से समय निकालकर, उन्होंने अंजनगांव (सुर्जी) तहसील में अपने जन्मस्थान चौसाला और उसी तहसील में वरुड (खुर्द) के ग्रामीण क्षेत्र के प्रति एक विकासात्मक दृष्टिकोण विकसित किया है जहां उनके पिता ने पहली बार काम किया था. दैनिक दिनचर्या में हेम्या इस आशीर्वाद पर नाम से पुकारने वाली मां तथा हेमू नाम से अपने प्यार का अधिकार जताने वाला भाई यह हेमंत भाई की सफलता प्राप्ती की अचल संपत्ति है.
4 अक्टूबर को उनकी जयंती के अवसर पर, मैं उनके मित्र के रूप में और हमारे सभी नेक मित्रों की ओर से मैं यह जानकारी प्रसारित करता हूं कि, पूरे विदर्भ में और उनमें से, अमरावती और नागपुर डिवीजन में, हर तहसील में, जिले में और यहां तक की हर गांव में, हेमंत कालमेघ जैसा कोई व्यक्तित्व नहीं है.सामाजिक-राजनीतिक क्षेत्र के लोग भी उनके कार्य की सराहना करते है. इंजीनियरिंग के क्षेत्र में डिग्री प्राप्त एक सुशिक्षित नवयुवक ने समाज को शैक्षिक एवं सामाजिक दिशा देने के लिए पूरा समाज मेरा रिश्तेदार इस उक्ति को अपनाकर अपना जीवन जीना चाहिए. आज के समय में यह अत्यंत आवश्यक है. हेमन्त भाऊ को परिवार के परम पूज्य संत एवं गुरु सत्यदेव बाबा (भारवाडी) एवं पूज्य गुरुजी जीतेन्द्रनाथ महाराज, देवनाथ मठाधीश का सदैव आशीर्वाद प्राप्त रहा है. विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक विजयजी भटकर, शब्दाचार्य डॉ. वेद प्रकाश मिश्रा, पूर्व मंत्री एवं वर्तमान श्री शिवाजी शिक्षण संस्थान के अध्यक्ष हर्षवर्धनजी देशमुख, कोषाध्यक्ष दिलीप बाबू इंगोले और संस्था की पूरी कार्यकारिणी अपने छोटे भाई हेमन्त और संस्था के कार्यकारिणी सदस्य पर सदैव अपनी सराहना और प्यार बरसा रही है. अपनी सर्वांगीण नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवाने वाले हेमंत वासुदेवराव कालमेघ को उनके जन्मदिन पर मैं सभी की ओर से बधाई और शुभकामनाएं देता हूं.
-प्रा. गजानन रामकृष्ण भारसाकाले, अध्यक्ष
गाडगेबाबा मंडल, दर्यापुर