परतवाडा/प्रतिनिधि दि.११ – इंजेक्शन के नाम पर मन में भय निर्माण होता है. कोरोना के चलते सभी के मन में टीका लगवाने की इच्छा नहीं है. फिर भी महामारी से सुरक्षित बचाव के लिए तैयार होना ही पडेगा. टीकाकरण करते समय अचलपुर तहसील के वझ्झर स्थित शंकरबाबा पापलकर के दिव्यांग बच्चों को वैक्सीन लगवाते समय काफी हटकर प्रयोग किया गया. इधर मुंह में मिठाई और उधर वैक्सीन लगाए जाने का सफल प्रयोग दूसरी बार गुरुवार को किया गया.
बता दें कि वझ्झर में स्व. अंबादास पंत वैद्य मुक बधिर, मतिमंद बालगृह है. सामाजिक कार्यकर्ता शंकरबाबा पापलकर के 64 दिव्यांग बच्चों का कोविशिल्ड कोरोना टीकाकरण गुरुवार को किया गया. धामणगांव गढी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के स्वास्थ्य कर्मचारियों ने यह कैम्प लगाया था. जिसमें वैद्यकीय अधिकारी पूनम मोहोकार, स्वास्थ्य सेविका मुक्ता केंद्रे, देवेंद्र सांबे, मोनिका आठवले आदि ने सहभाग लिया.
दिव्यांग बच्चों का टीकाकरण कैसे करे बच्चों ने जरा भी हलचल की तो इंजेक्शन लगवाते समय काफी बडी चोट लगने का भी डर स्वास्थ्य विभाग को सता रहा था. वहीं अनाथों के नाथ शंकरबाबा पापलकर को भी अपने बच्चों की चिंता सता रही थी. इसके बाद शंकरबाबा ने स्वयं एक अनूठा सुझाव ढूंढ निकाला. दिव्यांग बच्चों को टीकाकरण के दरमियान रसगुल्ला और मिठाईयां बुलाई गई. इसके बाद दिव्यांग बच्चों के मुंह में एक रसगुल्ला रखते हुए दूसरा डोज लगाया गया. यह डोज लगाने की प्रक्रिया शांतिपूर्ण निपटाई गई. खास बात यह है कि टीका लगवाने के बाद एक भी बच्चें को बुखार नहीं आने की जानकारी स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने दी.
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बालगृह से सटा है कोरोना का आयसोलेशन केंद्र
वझ्झर में जहां शंकरबाबा पापलकर का दिव्यांग बच्चों के लिए स्थापित किया गया बालगृह है. उस बालगृह की दीवार से कुछ ही दूरी पर समाज कल्याण विभाग के निवासी स्कूल में कोरोना आयसोलेशन केंद्र था. लेकिन इस परिसर में शंकरबाबा ने सभी को आने के लिए मनाई की थी.