अमरावतीमुख्य समाचार

अरे बाप रे… जीते जी खुद अपनी ही तेरहवीं!

सेवानिवृत्त पीएसआई डबरासे का अजीबोगरीब व साहसी निर्णय

* आज अपने सभी परिचितोें के साथ अपनी तेरहवीं मनायी

* जिंदगी का आनंद लेने के बाद मौत का स्वागत करने की ऐसी भी तैयारी

अमरावती/दि.31- सनातन हिंदू परंपरा में किसी भी व्यक्ति की मौत के बाद उसके परिजनों द्वारा अंतिम संस्कार के बाद अगले 13 दिनों तक तमाम धार्मिक विधि-विधान व कर्मकांड पूर्ण करते हुए 13 वें दिन तेरहवीं का कार्यक्रम आयोजीत किया जाता है. जिसमें समाज के सभी लोगों को भोजन करने हेतु आमंत्रित किया जाता है. किंतु आज 31 दिसंबर को अमरावती शहर में तेरहवीं का एक अजीबोगरीब कार्यक्रम आयोजीत हुआ. जिसके तहत सुखदेव डबरासे नामक एक सेवानिवृत्त पुलिस उपनिरीक्षक ने अपने जीते जी खुद अपनी तेरहवीं का कार्यक्रम आयोजीत किया और अपनी तेरहवीं के निमित्त अपने परिचितों व समाज बंधुओें को भोजन हेतु आमंत्रित किया. इस हेतु उन्होंने बाकायदा एक निमंत्रण पत्रिका भी प्रकाशित की है, जो इस समय जबर्दस्त चर्चा का विषय बनी हुई है.
बता दें कि, मूलत: अमरावती जिले के मोर्शी तहसील निवासी सुखदेव दमडूजी डबरासे 10 अप्रैल 1981 को पुलिस महकमे की सेवा में आये और उन्होंने 1987 से 1989 तक अचलपुर में सेवा दी. जिसके बाद दौंड में प्रशिक्षण प्राप्त करने के पश्चात अमरावती पुलिस मुख्यालय में उन्होेंने नौकरी की और वे अकोला में भी प्रशिक्षक के तौर पर कार्यरत थे. पुलिस सेवा में रहने के दौरान ही उन्होंने पुलिस उपनिरीक्षक पद हेतु परीक्षा दी. जिसे उत्तीर्ण कर वे बुलडाणा में बतौर पीएसआई पदस्थ हुए और बुलडाणा से ही सेवानिवृत्त भी हुए. पांच वर्ष पूर्व पीएसआई पद से सेवानिवृत्त हुए सुखदेव डबरासे अमरावती आकर रहने लगे और रहाटगांव-राजुरा मार्ग स्थित नये आयटीआय कॉलेज के सामने सिल्वर कैम्प परिसर में उनका निवास है. जहां पर आज उन्होंने अपने सभी परिचितों को अपनी तेरहवीं के आयोजन हेतु आमंत्रित किया है.
सुखदेव डबरासे द्वारा लिये गये इस निर्णय का उनकी पत्नी और पुलिस महकमे में रहनेवाली बडी बेटी ने विरोध किया है. वहीं छोटी बेटी व दामाद ने उनके इस फैसले का स्वागत किया. अपने इस फैसले के संदर्भ में सुखदेव डबरासे ने कहा कि, उन्होंने यह फैसला अपनी इच्छा से काफी सोच-समझकर लिया है. डबरासे के मुताबिक कई लोग सेवानिवृत्ति के बाद साल-दो साल में अपनी अंतिम सांस लेते हुए इस दुनिया को अलविदा कह देते है. किंतु वे विगत पांच वर्षों से अपनी सेवानिवृत्ति के बाद भी चुस्त-दुरूस्त और तंदुरूस्त है. साथ ही अपने जीवन का भरपूर आनंद भी उठा रहे है. ऐसे में अब यदि कभी भी उनकी मौत आती है, तो वे उस पल का भी सत्कार करने के लिए तैयार है. डबरासे के मुताबिक मौत कब आयेगी, यह तय नहीं है और उनकी मौत के बाद जब उनकी तेरहवीं में उनके सभी नातेदार, रिश्तेदार व परिचित जुटेंगे, तब उन्हें देखने के लिए वे खुद मौजूद नहीं रहेंगे. ऐसे में उनकी इच्छा थी कि, उनके सभी पुराने दोस्त और किसी न किसी वजह से दूर हो चुके रिश्तेदार उनकी आंखों के सामने एकत्रित हो और वे अपनी तेरहवीं का आयोजन अपनी आंखों से देखे. इसी भावना के चलते उन्होंने आज जारी वर्ष के अंतिम दिन अपनी मृत्युपूर्व तेरहवीं का आयोजन किया और वे इसे अपने जीवन का सबसे आनंदपूर्ण क्षण मानते है.

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