जिला मध्यवर्ती जेल में जीपीएस सहित हाईटेक सिस्टम
कैदियों की सुरक्षा को लेकर प्रशासन हुआ सर्तक
अमरावती/प्रतिनिधि दि.१५ – जिला मध्यवर्ती कारागृह में बंद सजायाफ्ता कैदियों पर 25 सीसीटीवी कैमरों द्बारा निगरानी रखी जाती है. यहां बंद सजायाफ्ता व विचाराधीन कैदियों में से अनेकों कैदी संगीन अपराधों में लिप्त रहे है. उन कैदियों की गतिविधियों पर निगरानी रखने हेतु जेल प्रशासन को सुविधा उपलब्ध करवायी गई है अब इसके साथ ही कारागृह परिसर को और भी अधिक सुरक्षित बनाने के लिए जेल परिसर में जीपीएस प्रणाली व अन्य आधुनिक उपकरण लगाकर हाईटेक सिस्टम तैयार किया जा रहा है.
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मध्यवर्ती कारागृह में 1100 कैदियों की क्षमता
अमरावती मध्यवर्ती जिला कारागृह में 1100 कैदियों की क्षमता है. वर्तमान स्थिति में यहां पर विविध अपराधों के चलते 900 कैदी बंद है. हर कैदी पर नजर रखना जेल प्रशासन के लिए संभव नहीं है. इसके लिए कारागृह परिसर में 25 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए है. जिसमें कैदियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए जेल प्रशासन को काफी सहायता मिल रही है इसके अलावा कारागृह अधीक्षक रमेश कांबले के मार्गदर्शन में दर्जनों कारागृह में तैनात अधिकारी व कर्मचारी 24 घंटे यहां गश्त लगाते रहते है.
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अलग-अलग बैरक की व्यवस्था
कैदियों के अपराध के अनुसार उन्हें अलग-अलग विभागों में बांट दिया गया है. इसमें कभी-कभी आने वाले, हमेशा जेल में आने वाले तथा विशिष्ठ अपराधियों की अलग-अलग श्रेणियां बनाई गई है. कैदियों को सुनवाई गई सजा के अनुसार उन्हें उस श्रेणी में रखा जाता है. तीन माह से कम सजा पाने वाले अल्पावधि कैदी, तीन माह से दो साल तक सजा पाने वाले मध्यम कैदी तथा दो साल से अधिक सजा पाने वाले अपराधी को दीर्ध अवधी वाले कैदी के रुप में पहचाना जाता है. दीर्ध अवधी वाले कैदियों पर कारागृह प्रशासन द्बारा विशेष निगाह रखी जाती है.
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185 साल पुरानी हो चुकी जेल
अमरावती जिला कारागृह का निर्माण ब्रिटिश सरकार द्बारा 1836 में करवाया गया था. कारागृह का निर्माणकार्य भले ही पुराना हो चुका है लेकिन इसकी सुरक्षा व्यवस्था अभेद है. यहां की दीवारे फौलाद की तरह पत्थर की बनी होने के कारण इस पर गोला बारुद का भी असर नहीं होता. कारागृह की अभेद सुरक्षा को और मजबूत बनाने के लिए कारागृह की हर हलचल पर सीसीटीवी कैमरे द्बारा निगाह रखी जा रही है.
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समयानुसार उपलब्ध करवायी जाती है सुविधा
कारागृह में सजायाफ्ता कैदी तथा विचाराधीन कैदियों पर 24 घंटे निगाह रखने के साथ उनके मौलिक अधिकारों को अबाधित रखते हुए उनकी दिनचर्या में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया जाता. जेल के अधिकारी व कर्मचारियों के अलावा कैदियों को समयानुसार सभी कार्य करवाकर उन्हें नियमानुसार सुविधाएं उपलब्ध करवायी जाती है.