अमरावती

नयन लुणिया अपहरण कांड में सौतेली दादी को हाईकोर्ट का झटका

हाईकोर्ट ने एफआईआर रद्द करने से किया इन्कार

  • मामले को व्यक्तिगत की बजाय सामाजिक अपराध माना

  • आपसी समझौते के आधार पर अपराध रद्द करने से किया मना

अमरावती/दि.13 – विगत वर्ष फरवरी माह में स्थानीय शारदा परिसर से नयन मुकेश लुणिया नामक चार वर्षीय बच्चे का उस समय अपहरण कर लिया गया था, जब वह अपनी दादी और बहन के साथ खेल रहा था. पश्चात इस मामले की जांच-पडताल में पता चला कि, इस मामले की मास्टरमाइंड नयन लुणिया की दादी ही थी. जिसने अपने कुछ रिश्तेदारों के साथ मिलकर अपहरण की इस घटना को अंजाम दिया था, ताकि लुणिया परिवार से पांच करोड रूपये की फिरौती हासिल की जा सके. पकडे जाने के बाद नयन लुणिया की सौतेली दादी मोनिका उर्फ गुड्डी ने जमानत प्राप्त करने के साथ-साथ अपने खिलाफ दर्ज अपराध को खारिज करने हेतु नागपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की. जिसमें लुणिया परिवार के साथ आपसी समझौता हो जाने के चलते एफआईआर को दर्ज करने की गुहार लगायी गई. किंतु अदालत ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि, किसी बच्चे का अपहरण यह कोई व्यक्तिगत अपराध नहीं है, बल्कि इसे समाज के खिलाफ किया गया अपराध माना जाना चाहिए. अत: ऐसे मामले में आपसी समझौते को आधार मानकर एफआईआर को रद्द नहीं किया जा सकता. इसे अपहरण मामले की मास्टरमाईंड मोनिका लुणिया के लिए जबर्दस्त झटका माना जा रहा है.
बता दें कि, स्थानीय शारदा नगर परिसर में जसवंतराज लुणिया का परिवार रहता है. जिनके दो बेटे भी है. दोनों बेटों का विवाह हो चुका है. कुछ अरसा पूर्व जसवंतराज लुणिया की पहली पत्नी का देहांत हो गया था. पश्चात उन्होंने अपने संपर्क व परिचय में आयी मोनिका उर्फ गुड्डी से दूसरा विवाह कर लिया था और मोनिका उर्फ गुड्डी भी लुणिया परिवार की सदस्य बनकर अमरावती स्थित शारदा नगर परिसर में लुणिया परिवार के निवास पर रहने लगी. किंतु बेहद कमजोर आर्थिक स्थिति से वास्ता रखनेवाली मोनिका लुणिया के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था तथा उसने अपने परिजनों के साथ मिलकर अपने सौतेले बेटे मुकेश लुणिया के चार वर्षीय पुत्र नयन लुणिया के अपहरण की योजना बनाई, जिसके तहत तय किया गया कि, नयन लुणिया का अपहरण करने के बाद लुणिया परिवार से उसे छोडने की ऐवज में पांच करोड रूपये की फिरौती मांगी जायेगी. जिसके बाद 17 फरवरी 2021 की शाम वह हमेशा की तरह नयन लुणिया को घुमाने-फिराने हेतु बाहर लेकर निकली. इस दौरान मोनिका की सगी बहन तथा एक अन्य आरोपी वहां पर पहुंचे और वे नयन लुणिया को अपनी दुपहिया पर बिठाकर ले भागे. नयन लुणिया का अपहरण होने की जानकारी सामने आते ही लुणिया परिवार सहित पूरे शहर में जबर्दस्त हडकंप मच गया और पुलिस ने मामले की जांच करनी शुरू की. जिसमें मोनिका लुणिया पर संदेह होने के चलते उसे भी जांच के दायरे में लिया गया और उसके मोबाईल के कॉल डिटेल्स रिकॉर्ड को खंगालते ही पूरा मामला सामने आ गया. क्योंकि इस घटना से पांच मिनट पहले तक मोनिका लुणिया व आरोपियों के बीच बातचीत हो रही थी. साथ ही यह भी पता चला कि, आरोपी मोनिका के मायके अहमदनगर से वास्ता रखते थे तथा नयन लुणिया को अपहरण के बाद अमरावती से अहमदनगर ही ले जाया गया है. जिसके बाद पुलिस ने तुरंत हरकत में आते हुए अहमदनगर जाकर नयन लुणिया को सकुशल बरामद किया. साथ ही आरोपियों की गिरफ्तारी शुरू की गई. इस मामले में मोनिका लुणिया सहित कुल 11 आरोपी गिरफ्तार किये गये. जिनके खिलाफ जिला व सत्र न्यायालय में आरोपपत्र दाखिल किया गया. जहां पर अदालत ने मोनिका को जमानत देने से इन्कार कर दिया. अत: मोनिका ने जमानत हेतु नागपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की.
इसी दौरान लुणिया परिवार ने मोनिका पर दया दिखाते हुए उसके साथ समझौता करने और उसे माफ कर देने की तैयारी दिखाई. ऐसे में मोनिका ने अपने खिलाफ दर्ज मामले को खारिज करने हेतु भी उच्च न्यायालय में अपील दायर की. किंतु न्या. विनय देशपांडे व न्या. जी. एस. सानप की खंडपीठ ने ऐसे मामलों में आपसी समझौते की गुंजाईश को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि, किसी बच्चे का अपहरण करना बेहद गंभीर स्वरूप का अपराध है और यह समाज के खिलाफ किया गया अपराध है. अत: ऐसे मामले दुबारा घटित न हो, इस हेतु इस मामले में एफआईआर को रद्द नहीं किया जा सकता.

अभियोजन पक्ष ने किया जबर्दस्त युक्तिवाद

इस याचिका को लेकर हुई सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी अधिवक्ता संजय डोईफोडे ने रिकॉर्ड पर रहनेवाले ठोस सबूतों की ओर अदालत का ध्यान दिलाते हुए एफआईआर को रद्द किये जाने का जबर्दस्त विरोध किया. जिसके तहत अदालत को बताया गया कि, पूरे मामले की साजीश खुद मोनिका ने तैयार की थी और वह अपहरणकर्ताओं के साथ लगातार संपर्क में थी. जिसके तहत वह आरोपियों को अपहरण से पहले तथा अपहरण के बाद पल-पल की अपडेट दे रही थी. ऐसे में उसका इस अपराध में सक्रिय सहभाग साबित होता है. अत: इस मामले में मोनिका को किसी तरह की कोई राहत नहीं दी जानी चाहिए. अदालत ने इस युक्तिवाद को ग्राह्य मानते हुए मोनिका लुणिया को जमानत देने से इन्कार करने के साथ-साथ उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज करने से भी इन्कार कर दिया.

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