अमरावती/दि.27- बेरोजगारी निर्मूल की घोषणा केवल कागजों पर ही दिखाई देती है. जिले के ग्रामीण इलाकों के बीए, बीकॉम हुए सुशिक्षित बेरोजगार युवक भी महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के काम पर हाथ में घमेले, फावडे, कुदाली लेकर जा रहे है. क्योंकि ग्रामीण इलाकों में नौकरी का अवसर नहीं है और कुशल काम भी नहीं है. इस कारण जिले में ऐसे 2 हजार युवक है जो सुशिक्षित रहने के बावजूद रोगायो अंतर्गत मिलने वाले काम कर रहे है. इन युवकों को हर दिन 274 रुपए मजदूरी मिलती है.
1 से 3 एकड तक खेती, दयनीय आर्थिक अवस्था, बूढे माता-पिता की देखरेख, कोरोनाकाल में हाथ से गई नौकरी आदि विविध कामों से ग्रामीण इलाकों के सुशिक्षित बेरोजगारों को महानगर में जाकर निजी नौकरी करना संभव नहीं है. बंजर जमीन के कारण खेत से कुछ हासिल भी नहीं होता. खेती भी छोडते नहीं आ सकती और नौकरी के लिए गांव के बाहर जाते भी नहीं आता ऐसी अवस्था रहने से गांव में जो रोगायो के काम होते है, उसे करे बगैर पर्याय न रहने की जानकारी सुशिक्षित बेरोजगार युवक ने दी. इसके अलावा हाथ में अन्य कोई काम न रहने से इन सुशिक्षित बेरोजगारों को मजबूरन खुदाई काम, मिट्टी के बांध तैयार करने जैसे अकुशल काम करने पडते है. जिले में 584 ग्राम पंचायत में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत शुरु रहे 2792 काम पर वर्तमान में 42 हजार कामगार काम कर रहे हैं. ग्रामीण इलाकों में ग्रीष्मकाल में खेती का काम नहीं रहता है. इस कारण अकुशल कामगार रोगायो के काम पर जाते है. लेकिन पिछले कुछ सालों से सुशिक्षित बेरोजगार युवक भी रोगायो के काम कर किसी तरह अपना पेट भर रहे है. अनेक बार नियमित रुप से काम न मिलने की जानकारी भी इन कामगारों ने दी.
* बेवजह रोगायो के काम पर जाना पडता है
जिस समय खेती के काम समाप्त होते है. उस समय कोई काम नहीं रहता, इस कारण मजबूरन रोजगार गारंटी योजना के काम पर जाना पडता है. नियमित काम भी नहीं मिलता. स्नातक रहने के बावजूद नौकरी न मिलने से परिवार को सहयोग करने के लिए रोगायो के काम करने पडते है.
– चरणदास पखाले, स्नातक
* कुशल-अकुशल जैसी ही मजदूरी दी जाती है
कुशल रहे अथवा अकुशल सभी कामगारों को एक जैसी ही अथवा हर दिन 274 रुपए मजदूरी दी जाती है. यह रकम उनके खाते में जमा होती है. कोई पढा-लिखा रहा तो उसे अलग मजदूरी नहीं मिलती. ग्रीष्मकाल में जिले में रोगायो के भारी मात्रा में काम शुरु है.
– राम लंके,
उपजिलाधिकारी, रोगायो