अमरावती

गेहूं की बजाय अधिक कीमत ज्वारी की!

निरोगी स्वास्थ्य हेतु शहर व ग्रामीण भागों में मांग

  • पहले से उत्पादन कम होने से दाम बढ़े

बडनेरा/दि.16 – पहले गरीबों के अनाज के रुप में ज्वारी की पहचान थी. भोजन में अधिक प्रमाण में ज्वारी की रोटी का सेवन किया जाता था. त्यौहार आदि के समय ही रोटियां बनाई जाती थी. लेकिन फिलहाल ज्वारी के दाम गेहूं से अधिक होने पर भी निरोगी स्वास्थ्य के लिए भाकरी की डिमांड बढ़ी है. गेहूं की बजाय अब ज्वारी की कीमत अधिक हो गई है.
20 से 25 वर्ष गेहूं की बजाय ज्वारी का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता था.जिसके चलते अधिकांश लोग गेहूं की बजाय ज्वारी का इस्तेमाल अधिक करते थे. पहले ज्वारी और कपास को प्रमुख फसल माना जाता था. फिलहाल सोयाबीन, कपास, तुअर इन फसलों का महत्व है. पहले से अब सिर्फ 15 प्रतिशत ज्वारी का उत्पादन लिया जा रहा है. नाममात्र उत्पादन होने से इसके दाम बढ़ गये हैं. आहार तज्ञों का कहना है कि ज्वारी में कार्बोहाइड्रेड का प्रमाण अधिक होने से स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त है. ज्वारी की रोटी की होटल में मांग है. अधिक दाम देकर लोग उसका आस्वाद लेते हैं, जिससे ज्वारी की कीमत बढ़ी है.
निरोगी स्वास्थ्य के लिए अब शहर के साथ ही ग्रामीण भागों में ज्वारी की रोटी खाने पर अधिक जोर दिया जा रहा है. गेहूं की रोटी से भी स्वास्थ्य को बड़ा फायदा है. लेकिन पचन क्रिया में गड़बड़ी वाले लोग गेहूं की बजाय ज्वारी की रोटी पसंद करते दिखाई दे रही है.

महंगाई के चलते गेहूं की रोटी ही

ज्वारी की भाकर का भोजन में सेवन करना शरीर के लिए लाभदायक है फिर भी बढ़ती महंगाई के कारण ज्वारी खरीदना मुश्किल है. ज्वारी की बजाय गेहूं के दाम कम हुए है व सहज उपलब्ध होने से अधिक मात्रा में इस्तेमाल किाय जाता है.
– नागोराव राऊत, माहुली चोर

ज्वारी सस्ती थी इसलिए खाते थे…

हमारे समय में गेहूं की तुलना में ज्वारी काफी सस्ती थी. उसका उत्पादन भी काफी था. ज्वारी देकर काम भी करवा लिया जाता था. पैसों की बचत व पौष्टिकता के कारण भाकर ही खायी जाती थी.
– दिलीप नेव्हारे, माहुली चोर

  • पहले रोटी की बजाय ज्वारी की भाकर ही खाते थे.पहले ज्वारी का उत्पादन भी बड़े पैमाने पर होता था. ज्वारी में पौष्टिकता भरपूर होने से शरीर मजबूत बनता है.
    – सुनील मोहतुरे, बडनेरा
  • अब ज्वारी का उत्पादन कम होने व गेहूं का उत्पादन अधिक पैमाने पर होने से भोजन में रोटी का इस्तेमाल किया जाता है. शासन व्दारा राशन में ज्वारी का वितरण करना चाहिए.
    – लीलाधर ठवकर, बडनेरा

सुदृढ़ स्वास्थ्य भाकर से ही

1. उच्च रक्तदाब, हृदय संबंधी बीमारियों की समस्या अब बड़े पैमाने पर बढ़ी है.इस पर मात करने के लिये आहार में ज्वारी का सेवन करना आवश्यक है.
2. ज्वारी के गुणकारी तत्व रक्त में नियंत्रण रखते है, वहीं बीमार व्यक्ति को भी ज्वारी की रोटी का सेवन करने की सलाह डॉक्टरों व्दारा दी जाती है.
3. भाकर खाने से एसिडिटी की तकलीफ नहीं होती बावजूद इसके पचन के लिए उत्तम है. भाकर खाने से अनेक फायदे है.

जिले में कम हुआ ज्वारी का उत्पादन

जिले में पहले मुख्य फसल के रुप में ज्वारी को माना जाता था. कालांतर में खेती में नये-नये तकनीकी ज्ञान विकसित हुए. किसान नयी-नयी फसलों की बुआई करने लगा. अब गेहूं का उत्पादन बड़े पैमाने पर लिया जा रहा है. जिससे ज्वारी को दुय्यम स्थान मिल रहा है. पक्षी ज्वारी की फसल को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाते हैं. बावजूद इसके जंगली सुअरों के आतंक से भी ज्वारी का काफी नुकसान होता है. इस वजन से भी किसानों ने ज्वारी का उत्पादन कम किया है.

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