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हिमांशु वेद नहीं रहे

तीव्र हृदयाघात के चलते हुआ निधन

* ‘ऑक्सिजन मैन’ के रूप में थे विख्यात
* कोविडकाल में दी थी उल्लेखनीय सेवाएं
अमरावती/दि.4- शहर के प्रतिष्ठित नागरिक, ख्यातनाम सामाजिक कार्यकर्ता तथा श्री वल्लभ गैसेस के संचालक हिमांशु अजीतकुमार वेद का आज तडके 4 बजे अकस्मात हुए तीव्र हृदयाघात के चलते निधन हो गया. 42 वर्षीश हिमांशु वेद अमरावती शहर में ‘ऑक्सिजन मैन’ के रूप में विख्यात थे. कोविड संक्रमण काल के दौरान सरकारी व निजी कोविड अस्पतालों में कृत्रिम ऑक्सिजन उपलब्ध कराने के मामले में उनकी सेवाएं बेहद उल्लेखनीय रही. साथ ही उनका शहर की कई सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक व शैक्षणिक संस्थाओं से भी बेहद निकट संबंध रहा. ऐसे में उनके निधन की खबर सुनकर समूचे शहर में शोक की लहर व्याप्त हो गई.
जानकारी के मुताबिक हिमांशु वेद विगत कुछ समय से स्वास्थ्य संबंधी कुछ परेशानियोें से जूझ रहे थे और कल शाम में भी उन्हें स्वास्थ्य संबंधी कुछ दिक्कते आयी थी. ऐसे में उन्होंने कल शाम ही अपनी स्वास्थ्य जांच भी करवायी थी. किंतु उस समय चिंता करने जैसी कोई बात दिखाई नहीं देने पर वे घर लौट आये. पश्चात आज तडके 4 बजे हिमांशु वेद की नींद खुली और वे वॉश रूम गये. जहां पर उन्हें जोर का चक्कर आया और वे वॉश रूम में ही गश खाकर गिर गये. यह देखकर उनकी पत्नी कुंजलबेन तुरंत उन्हें अपने साथ लेकर शहर के एक निजी अस्पताल में पहुंची. जहां पर डॉक्टरों ने प्राथमिक जांच के बाद हिमांशु वेद को मृत घोषित किया. यह खबर देखते ही देखते पूरे शहर में आग की तरह फैली और पूरे शहर में शोक की लहर व्याप्त हो गई.
स्व. हिमांशु वेद अपने पश्चात पत्नी कुंजलबेन वेद, बेटी राधा, दो पुत्र ध्रुव व अर्जून तथा दो विवाहीत बहने चेतनाबेन हीरामणी शर्मा (अहमदाबाद) व सपनाबेन संदीपभाई मेहता (अमरावती) का भरापुरा परिवार शोकाकुल छोड गये है. स्व. हिमांशु वेद की अंतिम यात्रा आज शाम 5.30 बजे कैम्प परिसर में आयएमए हॉल के पीछे स्थित उनके निवासस्थान से निकाली गई तथा बेहद शोकाकुल वातावरण के बीच हिंदू श्मशान भूमि में उनके पार्थिव पर अंतिम संस्कार किये गये. इससे पहले आज पूरा दिन वेद परिवार के निवासस्थान पर शहर के अनेकों गणमान्यों का तांता लगा रहा. जिन्होंने हिमांशु वेद के पार्थिव का अंतिम दर्शन करते हुए उन्हें भावपूर्ण श्रध्दांजलि अर्पित की. साथ ही हिंदू श्मशान भूमि में हजारों नम आंखों ने हिमांशु वेद को अंतिम विदाई दी.

* परिवार ने पूरा करवाया नेत्रदान का संकल्प
हिमांशु वेद व उनका पूरा परिवार सामाजिक कामों में समर्पित रहा और खुद हिमांशू वेद ने काफी पहले मरणोपरांत नेत्रदान का संकल्प लिया था. उनकी इस इच्छा को पहाड जैसे दुख की घडी में अपनी भावनाओं पर काबू पाते हुए उनकी पत्नी कुंजलबेन वेद ने पूरा किया. आज सुबह हिमांशु वेद का तीव्र हृदयाघात के चलते निधन हो जाने के बाद वेद परिवार द्वारा इसकी सूचना सबसे पहले हरीना नेत्रदान समिती को दी गई और उनसे हिमांशु वेद के नेत्र स्वीकार करने का अनुरोध किया गया. जिसके बाद हरीना नेत्रदान समिती के मनोज राठी, चंदूभाई पोपट व रामप्रकाश गिल्डा आदि ने हरीना अस्पताल के नेत्रशल्य चिकित्सकों के साथ वेद परिवार के आवास पर पहुंचकर नेत्रदान की प्रक्रिया पूर्ण की.

* सामाजिक रूप से बेहद सक्रिय थे हिमांशु वेद
– कई संस्थाओं के साथ रहा बेहद गहरा नाता
बीई इलेक्ट्रीकल की शिक्षा प्राप्त हिमांशु वेद वैष्णव पंथ के अनुयायी थे और वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारों से बेहद प्रभावित रहे. संघ द्वारा संचालित वनवासी कल्याण अभियान में उनका काफी उल्लेखनीय योगदान रहा. साथ ही गोरक्षा व गोपालन के क्षेत्र में भी उनकी भूमिका बेहद उल्लेखनीय रही. चांदूर बाजार रोड स्थित गोकुलम गोरक्षण संस्था में हर संभव योगदान व सहायता प्रदान करनेवाले हिमांशू वेद ने नांदगांव पेठ स्थित अपने खेत में भी एक गौशाला स्थापित की थी. जहां पर ऑर्गेनिक दूध, दही व घी का उत्पादन किया जाता था. जे. एच. गोकुलदास प्रतिष्ठान व श्री वल्लभ गैसेस कंपनी का संचालन करनेवाले हिमांशु वेद द्वारा मधुरम प्री-प्राईमरी कॉन्व्हेंट स्कूल का संचालन भी किया जाता था. जिसकी शहर में तीन स्थानों पर शाखाएं संचालित हो रही है. इसके साथ ही वे संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ के सीनेट सदस्य भी रहे. साथ ही साथ वे गुजराती नवयुवक मंडल के पूर्व अध्यक्ष, रोटरी मिडटाउन के पूर्व सचिव तथा जलाराम सत्संग मंडल के सक्रिय सदस्य रहने के साथ ही बालकृष्णलाल हवेली के ट्रस्टी भी रहे. इन सबके साथ ही हिमांशु वेद द्वारा शहर की कई धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं के साथ नजदिकी संबंध रहा और वे विभिन्न सामाजिक कामों के लिए हमेशा ही अपनी ओर से यथोचित सहयोग व सहायता उपलब्ध कराया करते थे.

* कोविड काल में किया गया काम रहा उल्लेखनीय
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, जिस समय कोविड संक्रमण की दूसरी लहर का दौर शुरू हुआ, तो अकस्मात ही संक्रमण की चपेट में आनेवाले मरीजों की संख्या काफी अधिक बढ गई और कई मरीजों की स्थिति गंभीर रहने के चलते उन्हें बडे पैमाने पर कृत्रिम ऑक्सिजन की जरूरत पडने लगी. जिसके चलते कृत्रिम ऑक्सिजन की काफी किल्लत पैदा होने लगी. ऐसे समय हिमांशु वेद ही स्थानीय प्रशासन के लिए सबसे बडे मददगार के तौर पर सामने आये थे और उन्होंने अपने सभी संपर्क सूत्रों व स्त्रातों का उपयोग करते हुए कोविड अस्पतालों में मरीजों के इलाज हेतु कृत्रिम ऑक्सिजन मुहैय्या कराया था. इसके लिए हिमांशु वेद ने अपनी क्षमता से बाहर जाकर अकोला व वाशिम में भी ऑक्सिजन संग्रहण टैंक स्थापित किये थे और स्थानीय एमआयडीसी परिसर स्थित अपने कारखाने श्री वल्लभ गैसेस की क्षमता को भी कई गुना बढा दिया, ताकि ऑक्सिजन की कोई किल्लत पैदा न हो. इसके साथ ही उस दौर में हिमांशु वेद रोजाना 18 से 20 घंटे काम किया करते थे. जिसके तहत अपने कारखाने से सभी कोविड अस्पतालों को ऑक्सिजन की आपूर्ति सुनिश्चित कराने के साथ ही वे तत्कालीन जिलाधीश शैलेश नवाल व जिला तत्कालीन जिला शल्य चिकित्सक डॉ. श्यामसुंदर निकम के साथ लगातार बैठके करते हुए ऑक्सिजन की जरूरत का जायजा लिया करते थे, ताकि उस हिसाब से लिक्विड ऑक्सिजन की आपूर्ति सुनिश्चित कराई जा सके.

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