अमरावती

ऐतिहासिक क्षेत्र कौंडण्यपुर विकास से कोसो दूर

महाभारत काल के

  • शासन, प्रशासन का पौराणिक स्थलों की ओर हो रहा दुर्लक्ष

धामणगांव रेलवे/दि.२६ – जीवन कैेसे जिया जाए, किस पध्दति से मरा जाए तथा मौत के पश्चात भी कीर्ति के रुप में कैसे जिया जा सकता है, इसका प्रत्यक्ष मार्गदर्शन रामायण और महाभारत में पाया जाता है. भगवान श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम के रुप में जाने जाते है, वहीं भगवान श्रीकृष्ण ने अपने अवतार में कई सीख मानवता को प्रदान किये है. भगवान श्रीकृष्ण की उपस्थिति का गवाह विदर्भ के अमरावती जिले के कौंडण्यपुर की उपेक्षा को देख मन खिन्न हो जाता है और प्रशासन की दया आती है. कौंडण्यपुर ऐतिहासिक स्थल रहने के बाद भी अभी भी उपेक्षित है. शासन प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं.
पौराणिक महत्व रखने वाले तथा मां रुख्मिणी का कौंडण्यपुर मायका है. वशिष्ठा नदी के किनारे प्राकृतिक सुंदरता से लबालब भरे इस क्षेत्र का विकास कब किया जाएगा, ऐसा सवाल नागरिक उठा रहे है. महाभरत में उल्लेखित कुंडीनपुरर यानी कौंडण्यपुर रुख्मिणी राजा की राजधानी और रुख्मिणी का मायका है. माता रुख्मिणी को भगवान श्रीकृष्ण से विवाह करना था, परंतु भाई व्दारा विवाह का विरोध किया गया.
कौंडण्यपुर के बाहर अंबा माता के मंदिर में रुख्मिणी दर्शन के लिए आई व यहीं से भगवान श्रीकृष्ण ने रुख्मिणी का हरण किया. इसलिए यह स्थान ऐतिहासिक होने के साथ ही पौराणिक भी है. इस जगह अभी भी अबिका माता का मंदिर तथा जिस मार्ग से भगवान श्रीकृष्ण ने माता रुख्मिणी का हरण किया था, उसकी खिडकी का दर्शन आज भी भाविक करते हुए कृतकृत्य हो जोते हैं. इस जगह को भेंट देने सैकडों भक्त रोज आते हैं और दर्शन लेकर ध्यनता मानते है. भक्त इस जगह विठ्ठल, रुख्मिणी, अंबिका माता मंदिर में दर्शन करते हैं. वशिष्ठा नदी में स्नान करते हैं. कार्तिक एकादशी के दिन यहां हजारों भक्तगणों की भीड जमा होती है. कौंडण्यपूर यह तीर्थक्षेत्र धामणगांव रेलवे से केवल २० किलोमीटर अंतर पर है.

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