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सर्वोच्च न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला

पातुर नगर परिषद का उर्दू फलक हटाकर मराठी लगाने का आदेश

* एड. सत्यजित सिंह रघुवंशी के मार्गदर्शन में सुको में दायर हुआ था मुकदमा
अमरावती/ दि.2- अकोला जिले के पातुर नगर परिषद क्षेत्र की पार्षद वर्षा बगाडे व्दारा जारी संघर्ष में सर्वोच्च न्यायालय ने बडा फैसला सुनाया है. बगाडे ने नगर परिषद के सभी बोर्ड मराठी भाषा में लिखने की मांग की थी. इस कार्य में अमरावती निवासी उच्च न्यायालय के वकील व सवोच्च न्यायालक के प्रैक्टीशनर एड. सत्यजित सिंह रघुवंशी ने उनका मार्गदर्शन किया. इसके आधार पर यह मुकदमा सर्वोच्च न्यायालय में दायर किया. अदालत ने 29 अप्रैल 2022 को ऐतिहासिक फैसला पार्षद बगाडे के पक्ष में रखा.
जानकारी के अनुसार पातुर नगर का फलक 1984 से उर्दू भाषा में लिखा है. पार्षद वर्षा बगाडे ने यह फलक पूरी तरह से मराठी में लिखा जाए, यह प्रस्ताव नगर परिषद की सभा में रखा था. आम सभा में उचित न्याय न मिलने के कारण पार्षद बगाडे ने अकोला जिलाधिकारी से न्याय की गुहार लगाई थी. जिलाधिकारी ने भी नप का बोर्ड मराठी भाषा में लगाने का आदेश जारी किया था, लेकिन जिलाधिकारी के आदेश को नप ने कचरे की टोकरी दिखाई. इस वजह से मामले की अगली सुनवाई विभागीय आयुक्तालय अमरावती में ली गई. इस मामले पर संभागीय आयुक्त ने अंतिम निर्णय सुनाते हुए नप का फलक यथास्थिति रखने का आदेश दिया. इसके बाद पार्षद बगाडे ने हार न मानते हुए मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की.
उच्च न्यायालय ने भी विभागीय आयुक्त के निर्णय को सही करार देते हुए पार्षद बगाडे की याचिका खारीज कर दी. इसपर पार्षद बगाडे काफी हताश हो गई थी. तब पार्षद ने सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत जोशी से संपर्क किया. उन्होंने अमरावती के श्रीकृष्ण पेठ निवासी एड.सत्यजित सिंह रघुवंशी से मिलाकात कराई. एड. रघुवंशी ने इस मुकदमे की याचिका सर्वोच्च न्यायालय में दायर की. सर्वोच्च न्यायालय ने अन्य मामलों का सज्ञान लेते हुए नप संबंधित सदस्यों और अन्य संबंधितोें को 13 नवंबर 2021 के दिन नोटीस जारी किया. 29 अप्रैल 2022 को अंतिम पैरवी के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला पार्षद वर्षा बगाडे के पक्ष में सुनाया. अब उर्दु के सभी फलक हटाकर मराठी में लगाना होगा.

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