अमरावतीमहाराष्ट्र

कल से होलाष्टक, नहीं होंगे शुभ काम

पंडितों ने बताया कि ग्रहों का स्वभाव होता है तेज

* होलिका दहन के साथ होंगे खत्म
अमरावती/दि.6– फाल्गुन पूर्णिमा तिथि पर होलिका दहन 13 मार्च को है. 14 मार्च को रंगोत्सव मनाया जायेगा. होली का यह त्यौहार 8 दिन पहले ही प्रारंभ हो जाता है. जिसे होलाष्टक कहते हैं. इस संबंध में जानकारी देते हुए पंडितों ने बताया कि इस बार होलाष्टक शुक्रवार 7 मार्च से प्रारंभ हो रहा है. 7 मार्च से रंग पंचमी तक कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है. उन्होंने बताया कि फाल्गुन महीना शुरू होते ही चारों तरफ होली की धूम शुरू हो जाती है. उन्होंने बताया कि होलिका दहन के लिए इस बार भद्रा के कारण केवल 70 मिनट का ही मुहूर्त उपलब्ध हो रहा है. उन्होंने कहा कि भक्तों को चाहिए कि होलिका दहन मुहूर्त देखकर ही करें.
* क्या है होलाष्टक
पं. प्रकाश शर्मा ने बताया कि राजा हिरण्य कश्यप का पुत्र प्रल्हाद भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था. इस बात से दु:खी होकर राजा हिरण्य कश्यप अपने ही पुत्र को घोर यातनाएं देकर, डराकर, धमकाकर अपने अधीन करना चाहता था. उसने प्रल्हाद को 8 दिन घोर यातनाएं दी. इसी अवधि को होलाष्टक कहा जाता है. ये 8 दिन नकारात्मकता से भरे होते हैं. ये फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से प्रारंभ होेते हैं और फाल्गुन मास की पूर्णिमा तक माना जाता है. होलाष्टक हा अंत होलिका दहन के साथ हो जाता है.
* ग्रहों का स्वभाव होता है उग्र
पं. राहुल दायमा के अनुसार होलाष्टक के 8 दिन शुभ नहीं माने जाते है. क्योंकि इस दौरान ग्रहों का स्वभाव उग्र रहता है. उन्होेंने बताया कि इस अवधि में जीवन में कई तरह के बदलाव आने की संभावना होती है. होलाष्टक में शुभ कार्य करने की मनाई होती है. होलाष्टक में अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्बादशी को गुरू, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल और पूर्णिमा को राहु उग्र रहते हैं. इसके अलावा नकरात्मकता भी अधिक रहती है. इस अवधि में कोई भी कार्य करने से पहले ग्रहों की दशा का अनुमान लगा लेना चाहिए. ताकि काम में किसी तरह की बाधा उत्पन्न न हो.

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