अमरावती

‘टू डी इको’ जांच में पाए गए 37 बालकों के दील में छेद

शून्य से 18 वर्ष की आयु वर्ग की जांच

अमरावती/दि.27– हृदयविकार की तकलीफ वाले मरीजों का उचित निदान करने के लिए अब जिला अस्पताल में ही ‘टू डी इको’ जांच करना संभव है. गत शुक्रवार को राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत ‘जागरुक पालक, सुदृढ बालक’ अभियान चलाया गया. इसमें 0 से 18 वर्ष के आयु वर्ग के हृदय तकलीफ के 67 बालकों की ‘टू डी इको’ जांच की गई. इसमें 37 बालकों के हृदय की शस्त्रक्रिया करने की आवश्यता रहने का निदान किया गया.
छोटे बालकों को भी जन्म से हृदयविकार हो रहा है. इसमें दील में छेद रहना, सांस लेने में तकलीफ होना, थकान लगने जैसे लक्षण रहते है. इस कारण ऐसे बालकों पर राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 0 से 18 वर्ष आयु के बालकों का समय पर निदान कर नि:शुल्क उपचार किया जाता है. हृदयविकार की बीमारी का निदान करने के लिए ‘टू डी इको’ आवश्यक है. पिछले 1 वर्ष पूर्व ही जिला अस्पताल को लाखों रुपए की ‘टू डी इको’ मशीन प्राप्त हुई थी. लेकिन अनेक तकनीकी दुविधा के कारण वह कार्यान्वित नहीं की गई. आखिरकार यह मशीन अब कार्यान्वित की गई है. पहले ही दिन राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 0 से 18 वर्ष आयुवर्ग के 67 बालकों की जांच की गई. इसमें 37 बालकों की हृदय शस्त्रक्रिया के लिए सावंगी मेघे में संदर्भित किया गया. इन बालकों पर नि:शुल्क हृदयविकार शस्त्रक्रिया की जाएगी, ऐसी जानकारी अस्पताल प्रशासन ने दी. जांच शिविर में हृदयविकार तज्ञ डॉ. शंतनु गोमासे ने बालकों की ‘टू डी इको’ जांच की. इस अवसर पर अतिरिक्त जिला शल्य चिकित्सक डॉ. प्रमोद निरवणे, डॉ. सुनील पाटिल, डॉ. एम.एस. पारिक, आरएमओ डॉ. नरेंद्र सोलंके, डॉ. प्रीति मोरे, आरबीएसके समन्वयक नीलेश पुनसे उपस्थित थे.

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