अमरावती

पिंपलोद गांव में ७२ साल से नहीं मनाई जाती होली और रंगपंचमी

होली पौर्णिमा के दिन संत पराशराम महाराज को दी थी समाधि

दर्यापुर / दि.६- श्री संत पराशराम महाराज के पावन स्पर्श से पूनित दर्यापुर तहसील के पिंपलोद गांव में विगत ७२ वर्षों से होली और रंगपंचमी का पर्व मनाया नहीं जाता. होली पौर्णिमा के दिन संत परशराम ने देहत्याग दिया था. इस दिन उनकी पुण्यतिथि रहने से गांव में होली और रंगपंचमी का पर्व मनाया नहीं जाता. पिंपलोद गांव जैतापुर में १४ मई १९०० वैशाख पौर्णिमा के दिन पिता बलिराम और मां भिमाबाई के घर श्री संत परशराम महाराज का जन्म हुआ था. मुरहा देवी में संतों सम्मेलन हुआ था. जिसमें संत पराशरम महाराज संतों के सम्मेलन मेें आए थे. पिंपलोद के गणमान्य नागरिक तात्यासाहेब उर्फ शामराव बापू देशमुख भी संत सम्मेलन में आए थे. उनके साथ दमनी में बैठकर संत श्री परशराम महाराज दत्त जयंती के दिन आए थे. उन्होंने कई चमत्कारों में से एक चमत्कार किया. येवदा रोड पर खारपान बेल्ट है, फिरभी वहां मीठे पानी का झरना खोज निकाला. आज इसे संत पराशरम महाराज जलकुंड के नाम से जाना जाता है. महाराज की जयंती निमित्त यात्रा उत्सव दिसंबर के महीने में संत पराशराम महाराज समाधि मंदिर में शुरू होता है. जयंती अवसरपर राज्य के कीर्तनकारों को कीर्तन मंदिर में होता है. तथा दिसंबर महिने में दत्तजयंती के दिन महाप्रसाद का आयोजन और दूसरे दिन दहीहांडी का आयोजन किया जाता है. पूरे दिन यात्रा रहती है. यात्रा में विविध सामग्री, खिलौने की दुकानें लगी रहती है. गांव के लोग दिवाली पर्व से अधिक यात्रा उत्सव को महत्व देते है. पिंपलोद गांव की विवाहित कन्याएं दिवाली को अपने मायके न आकर यात्रा में आती है, यह विशेषता है. संत परशराम महाराज का झंझा गांव में २२ मार्च १९५१ में देहांत हुआ था. पिंपलोद में होली पूर्णिमा के दिन उन्हें समाधि दी गई थी. तबसे गांव में होली, रंगपंचमी, पुरणपोली बंद है. महाराज की पुण्यतिथि पर परशराम नगर पिंपलोद, आयटीआय में भव्य दिंडी, पालकी निकलती है. काले का कीर्तन होता है. पश्चात महाप्रसाद का आयोजन किया जाता है. पंचक्रोशी के भक्तगण महाराज के दर्शन के लिए आते है. संत परशराम ने प्रकृति का संतुलन बनाए रखने का संदेश दिया था. महाराज पर असीम श्रद्धा रहने से पिंपलोद के ग्रामवासी होली और रंगपंचमी का पर्व नहीं मनाते. महाराज में अपार आस्था के कारण ७२ वर्षों से होली और रंगपंचमी नहीं मनाई जाती.

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