* मन्नत मांगने की परंपरा, एक घंटे तक चलती है पूजन विधि
धारणी/ दि.19 – स्थानीय संतोषी माता मंदिर, होली चौक पर संपूर्ण धारणी में सबसे बडी होली बनाई जाती है. इस होली के समक्ष मन्नत मांगने की परंपरा है. होली दहन के वक्त होलिका में नारियल चढाकर अपनी पूरी बलाये उस आगे में भस्म की जाती है. यहां लगभग एक घंटे तक पूजन विधि होती है. इसके बाद आदिवासी बहुल क्षेत्र के प्रसिध्द गादली सुसुन नामक नृत्य कर आदिवासी बांधव होली मनाते है. इस वर्ष भी गांववासी एकत्रित रुप से होली चौक पर पहुंचे और परंपरा अनुसार होली का त्यौहार बनाया.
संतोषी माता मंदिर, होली चौक में बनने वाली होली पूरे धारणीभर में सबसे बडी होली रहती है. यह सबसे पुरानी होली है. इस होली की मान्यता है कि, इस जगह गांववासी जो भी मन्नते मांगते है, उनकी मन्नत पूरी होती है. आदिवासी बांधव होली में बीमारियां व अन्य परिसानियों से त्रस्त परिवार के सदस्य के शरीर से नारियल उतारकर डालते है. माना जाता है कि होली में इस तरह नारियल डालने से उनकी सारी बलाएं होली की अग्नि में भस्म हो जाती है. गांव की यह सबसे बडी होली में गांव के सभी सदस्य एकत्रित रूप से मनाते है. एकत्रित होने वाली पूजा लगभग 1 घंटे तक चलती है. इसके बाद पारंपरिक गादली सुसुन नृत्य किया जाता है. एक दूसरे पर रंग, गुलाल डालकर होली की शुभकामनाएं दी. होली के पश्चात पांच दिन बाद मेघनाथ की जत्रा भी भरती है. मेघनाथ उस लंबे खंभे पर चढकर उपर बंधी पोटली उतारने की परिपंरा है. चिकने खंभे पर चढते समय इस स्पर्धा में भाग लेने वाले व्यक्ति को उपस्थित लोग बेशरम की लकडी से मारते है. जो व्यक्ति मेघनाथ के उंचे खंभे पर चढने में सफल हो जाता है और पोटली लेकर उतरता है, उसे विजयी घोषित किया जाता है.