मेलघाट में 5 दिनों तक रहेगी होली की धूम
काम की तलाश में गये आदिवासी बंधु लौटे अपने गांवों की ओर

चिखलदरा/दि.13– होली आदिवासियों का मुख्य पर्व है. आदिवासी बंधु इस पर्व को नये-नये कपडे पहनकर ढोल ताशों के निनाद में अबीर, गुलाल उडाकर लोक नृत्य कर धूमधाम से मनाते हैं. पिछले अनेक वर्षो से यह परपंरा जारी है.
मेलघाट की धारणी व चिखलदरा तहसील आदिवासी बहुल है. यहां के आदिवासी बंधु होली पर्व की राह देखते हैं. रोजगार के लिए दोनों ही तहसील के आदिवासी बंधु अन्य प्रांत व महानगरों में जाते हैं. जैसे ही होली पर्व की आहट होती है. वे अपने गांवों की ओर लौट जाते हैं. आदिवासी बंधु होली की खरीदी परतवाडा, धारणी व चिखलदरा के बाजार से करते हैं. होली के दिनों में इन बाजारों में लाखों रूपए का का व्यवहार होता है.
होली के इस पारंपरिक पर्व को मनाने आदिवासी बंधुओं द्बारा नये कपडे, आभूषण व खाने पीने की वस्तुओं की जमकर खरीदी करते हैं. विशेषता मेलघाट में दो दिनों तक होली का दहन किया जाता है और 5 दिनों तक रंगोत्सव मनाया जाता है. इस दौरान गांव में यात्रा व उत्सव का भी आयोजन किया जाता है. मेघनाथ यात्रा सबसे बडी यात्रा होती है. इस यात्रा में बडी संख्या में आदिवासी महिला, पुरूष, युवक, युवतियां पारंपरिक परिधान कर शामिल होते हैं और अपनी आदिवासी बोली भाषा में गीत गाते है और लोक नृत्य कर अपने इस पर्व को धूमधाम से मनाते हैं.
* परंपरानुसार आदिवासी बंधु दो दिन करते हैं होली का दहन
आदिवासी परंपरा के अनुसार आदिवासी बंधु एक बडी व एक छोटी होली का दहन करते हैं. होली में हरे बास व लकडियों का इस्तेमाल किया जाता है.