अमरावती/दि.28 – हर व्यक्ति अपना खुद का घर बनाने हेतु प्रयास करता रहता है. इस बात और जरूरत को ध्यान में रखते हुए सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों में गृहकर्ज उपलब्ध करवाने हेतु एक प्रतिस्पर्धा ही लगी रहती है. ताकि अधिक से अधिक लोग उनसे कर्ज लें और अपने घर के सपने को साकार करें. इसी प्रतिस्पर्धा के तहत बैंकों द्वारा गृह कर्ज पर ब्याज दरों को कम किया गया है, लेकिन इन दिनों निर्माण कार्य हेतु आवश्यक रहनेवाले साहित्य की दरों में भारी-भरकम वृध्दी हो गई है. ऐसे में कर्ज जो सहज, पर कम ब्याज दर पर उपलब्ध हो रहा है, लेकिन साहित्य के महंगे हो जाने से कई लोगों के घर का सपना अब भी अधुरा पडा है.
शहर से दूर घर सस्ते, पर आवाजाही पर खर्च अधिक
शहर के आसपास स्थित परिसर में बडे पैमाने पर ले-आउट डालकर वहां कई बिल्डरों द्वारा घरों व फ्लैटस् स्कीम का निर्माण कार्य किया जा रहा है. शहरी क्षेत्रों की तुलना में इन इलाकों के घरों की कीमतें काफी कम होती है, लेकिन इन इलाकों तक रोजाना आने-जाने में काफी समस्याओं का सामना करने के साथ ही आवाजाही पर काफी खर्च करना पडता है. इसके अलावा शहरी क्षेत्र से काफी दूर रहनेवाले इन इलाकों में मुलभूत सुविधाएं भी पर्याप्त तरीके से उपलब्ध नहीं होती और घरों का निर्माण पूरा होने के बाद भी उन सुविधाओं को पूरा होने में काफी लंबा समय लगता है.
निर्माण साहित्य की तुलनात्मक दरें
साहित्य वर्ष 2018 वर्ष 2019 वर्ष 2020 वर्ष 2021
सिमेंट (प्रति बैग) 280 रू. 290 रू. 300 रू. 365 रू.
ईंट (प्रति एक हजार) 4,000 रू. 4,500 रू. 5,500 रू. 8,000 रू.
रेती (300 फूट) 7,000 रू. 8,000 रू. 10,000 रू. 16,000 रू.
गिट्टी (प्रति फूट) 16 रू. 20 रू. 21 रू. 30 रू.
लोहा (प्रति किलो) 40 रू. 42रू. 47 रू. 58 रू.
गृह कर्ज की दरें
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया – 6.80%
बैंक ऑफ इंडिया – 6.85%
बैंक ऑफ महाराष्ट्र – 6.90%
एचडीएफसी – 6.80%
आयसीआयसीआय – 6.75%