अमरावतीमहाराष्ट्र

किसान आत्महत्या रोकने ‘हनी विलेज’ लाभदायक

खादी व ग्रामोद्योग सभापति रवींद्र साठे का दावा

* अमझरी में निर्माण होगा ‘शहद का गांव’
अमरावती/दि.6खादी ग्रामोद्योग मंत्रालय ने अब खादी के अलावा शहद निर्माण का संकल्प लिया है. विगत दो वर्ष पूर्व महाबलेश्वर के मांगर गांव में ‘शहद संचालनालय’ का निर्माण कर शहद निर्मिती की जा रही है. इस वर्ष विदर्भ समेत राज्य के विविध जिलों में एक ‘हनी विलेज’ तैयार करने का निर्णय लिया है. जिले में आमझरी में इसके निर्माण की प्रक्रिया जारी है. शहद उत्पादन से जिले समेत राज्य में होनेवाली किसान आत्महत्या पर रोक लगाने में सहायता मिलेगी, ऐसा दावा महाराष्ट्र राज्य खादी व ग्रामोद्योग मंडल के सभापति रवींद्र साठे (राज्यमंत्री दर्जा) ने किया.
स्थानीय सरकारी विश्राम भवन में गुरुवार की शाम 5 बजे प्रेसवार्ता का आयोजन किया गया. इस अवसर पर रवींद्र साठे ने बताया कि, वि. स. पांगे से लेकर अब तक कई अध्यक्षों ने महाराष्ट्र राज्य खादी व ग्रामोद्योग मंडल की जिम्मेदारी संभाली है. मैं विगत दो वर्ष से इस मंडल का कामकाज संभाल रहा हूं. मंडल की ओर से यहां कार्यरत कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जिसमें अब अमरावती, नागपुर व पुणे संभाग शेष है. अमरावती संभाग के 57 कर्मचारियों को दो दिन प्रशिक्षण दिया जाएगा. इसके अलावा पुणे में 12 व 13 सितंबर को प्रशिक्षण कार्यक्रम होगा. मंडल की ओर से फिलहाल चार योजनाएं चलाई जा रही है. जिसमें पीएम रोजगार निर्मिती योजना, सीएम रोजगार निर्मिती योजना, सीएम विश्वकर्मा योजना, हनी केंद्र योजना का समावेश है. खादी ग्रामोद्योग मंडल में कुल 300 कर्मचारी कार्यरत है. शासन द्वारा 300 और कर्मचारियों को पदभर्ती के लिए मंजूरी प्रदान की है. जिसके चलते यह संख्या आनेवाले समय में 600 से 650 के करीब होगी.
वर्तमान में महाराष्ट्र राज्य खादी व ग्रामोद्योग मंडल ने ‘शहद का गांव’ की संकल्पना को साकार करने का फैसला लिया है. जिसकी शुरुआत दो वर्ष पूर्व महाबलेश्वर के मांगर गांव में की गई. यह उपक्रम शुरु करने से पूर्व गांव में 1800 किलो शहद निकलता था. अब 3500 किलो शहद निकलने लगा है. इसके अलावा कोल्हापुर के पांटगांव को भी ‘शहद का गांव’ बनाया है. आनेवाले समय में विदर्भ के 13 गांव को ‘शहद का गांव’ उपक्रम चलाया जाएगा. जिसके तहत जिलाधीश द्वारा मंजूरी प्रदान अमरावती जिले के अमझरी , वाशिम के मोहझाबंदी, यवतमाल के अंधारवाडी, नागपुर के नरहर, चंद्रपुर के पिरली, वर्धा के सिंधी रेल्वे का समावेश है. साथ ही अकोला के मालराजुरा, बुलढाणा के भिंगारा, गढचिरोली के कोंदावाडी, भंडारा के रावलवाडी, गोंदिया के डोंगरगांव का प्रस्ताव फिलहाल प्रक्रियाधीन है. अगर आनेवाले समय में ‘शहद का गांव’ के माध्यम से गांव-गांव में शहद का उत्पादन शुरु हुआ तो किसानों को खेती साथ पूरक व्यवसाय के रुप में शहद का उत्पादन करने का और करोडों रुपए कमाने का मौका मिलेगा. इसके किसानों को आत्महत्या करने की आवश्यकता नहीं रहेगी, यह विश्वास उन्होंने व्यक्त किया. आनेवाले समय में शहद को खादी ग्रामोद्योग मंडल द्वारा ब्रांड बनाने का विचार होने की बात उन्होंने कही.
सीएम विश्वकर्मा योजना की जानकारी देते हुए जिला खादी केंद्र के अधिकारी प्रदीप चेचरे ने बताया कि, संभाग में इस योजना के लिए कुल 3.50 लाख आवेदन प्राप्त हुए. इनमें 1.12 लाख केवल जिले से थे. 18 ट्रेड में से टेलर व मिस्त्री ट्रेड के लोगों ने सर्वाधिक आवेदन करने से राज्य सरकार ने सभी आवेदनों की पुर्नजांच के आदेश दिए थे. पश्चात 17.50 हजार आवेदनों को पात्र घोषित किया है. राज्य में अमरावती जिले में सर्वाधिक पात्र लाभार्थियों के आवेदन स्वीकार किए है. दूसरे स्थान पर 12 हजार आवेदन को अनुमति मिली है. अब आवेदन करनेवाले को केवल 3 दस्तावेज पेश करने होते है. जिसके साथ आवेदनकर्ताओं को वह पारंपारिक रुप से अथवा गुरु-शिष्य परंपरा के तहत यह व्यवसाय कर रहे है. इसका प्रमाण देना आवश्यक है. तभी संबंधित लाभार्थी का आवेदन स्वीकार किया जाता है. पात्र लाभार्थियों को 5 से 7 दिनों का प्रशिक्षण देकर उन्हें योजना का लाभ दिया जाता है. 17 सितंबर 2023 से आरंभ हुई इस योजना को अब एक वर्ष पूर्ण हो रहे है. आगामी 19 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में इस योजना की वर्षपूर्ति मनाई जाएगी.

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