अमरावतीमहाराष्ट्रमुख्य समाचार

मेडिकल कॉलेज और पीएम मित्र से जागी आशा

कहाले ने पति-पत्नी की शासकीय जॉब पर भी उठाए सवाल

* दैनिक अमरावती मंडल से बातचीत भाग-2 (अंतिम)
अमरावती/दि.1- संभाग के मुख्यालय शहर रहने पर भी अमरावती के अनेक क्षेत्र में पिछडने के विषय में दो टूक बात करने वाले और विचार रखने वाले इंजि. असो. के अध्यक्ष मिलिंद कहाले ने कहा कि शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं पीएम मित्र टेक्सटाईल पार्क की बदौलत अमरावती में थोडी सूरत बदल सकती हैं. कुछ प्रमाण में जॉब क्रियेट हो सकती हैं. विशेषकर टेक्सटाईल पार्क के कारण अमरावती और पश्चिम विदर्भ के कपास उत्पादक किसानों को उनके उत्पाद का हाथों-हाथ एवं अच्छा दाम मिलेगा. यहां प्रॉडक्ट बनने से यहां के युवाओं को उद्यमों में रोजगार प्राप्त होगा. शासन दो लाख रोजगार का दावा कर रहा हैं. फिर भी कह सकते हैं. प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से काफी रोजगार पैदा होंगे. उन्होंने उद्योग, धंधे बढाने की दिशा में शासन के प्रयत्नों पर जोर दिया. कहाले ने कहा कि अमरावती में अर्थव्यवस्था को बढाने के लिए उद्योगों की समुची श्रृंखला का होना आवश्यक हैं.
जीएमसी लाएगी बडा परिवर्तन
शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय के इस सत्र से प्रारंभ होने की संभावना हैं. मिलिंद कहाले ने कहा कि जीएमसी के कारण अमरावती की अर्थव्यवस्था में अच्छा एवं सकारात्मक परिवर्तन वे अपेक्षित कर रहे हैं. कुछ ही वर्षो में इसका प्रभाव देखने मिलने वाला हैं. सैकडों विद्यार्थी देशभर से अमरावती में प्रतिवर्ष पढने के लिए, चिकित्सा विज्ञान की पढाई के लिए आएंगे. उनके यहां पढने और पढाई करने के साथ ईको सिस्टम को प्रोत्साहन मिलने की बात कहाले ने कही. कहाले ने पुनः समझाकर बताया कि विद्यार्थी के साथ-साथ उनके अभिभावक भी आएंगे. इससे भी अमरावती को नई पहचान और यहां के काम धंधो को गति मिलेगी. मेडिकल कॉलेज का स्टॉफ यहां रहेगा. उसका भी इको सिस्टम में योगदान होगा.
एक ही परिवार में दो नौकरी क्यों?
मिलिंद कहाले ने कहा कि कई मामलों में देखा गया कि पति और पत्नी दोनों को शासकीय जॉब प्राप्त हैं. इससे लाखों रुपए एक ही घर में प्रति माह आते हैं. जबकि अन्य सैकडों हजारों युवक एमपीएससी और यूपीएससी की परीक्षाएं देते हैं. बावजूद इसके उन्हें जॉब नहीं मिलती. जिससे समाज में असमानता बढती हैें. एक वर्ग पैसे वाला और दूसरा वंचित वर्ग में गिनना पडता हैं. यह असमानता भी कई बार समस्याएं पैदा करता हैं. विशेषकर विवाह संबंधों में बडी दिक्कत आती हैं. युवतियां अपने से कम वेतन वाले युवक से विवाह के लिए जल्दी राजी नहीं होती. वहीं कई बार समाज और अन्य दबाव से विवाह हो भी जाए तो वे अधिक समय तक नहीं टिकते. यह एक नई समस्या हाल के वर्षो में समाज के सामने सतत बढ रही हैं.
शालाओं को यातायात प्रबंधन सशुल्क सिखाने तैयार
इंजि. असो. के अध्यक्ष कहाले ने दावा किया कि शहर की निजी या शासकीय अधिकांश शालाओं में यातायात प्रबंधन नहीं होने से आए दिन दुर्घटनाओं की आशंका रहती हैं. उन्होंने यह भी कहा कि एरिया विशेष किसी एक शाला की बात नहीं. अमूमन सभी पर यह लागू होता हैं. इस समस्या से बेहतर नियोजन से निपटा जा सकता हैं. अपना इंजि. असो. केवल 1 हजार रुपये के शुल्क में शालाओं को यातायात प्रबंधन सिखलाने के लिए तैयार होने का दावा मिलिंद कहाले ने किया. कहाले व उनकी टीम को गत दिसंबर में हनुमान गढी में हुई शिवमहापुराण कथा दौरान 10 लाख से अधिक लोगोें के यातायात के प्रबंधन का अनुभव हैं. कहाले ने दावा किया कि वहां किसी भी समय न तो यातायात अवरुध्द हुआ, न कोई दुर्घटना पेश आयी. कहाले ने कहा कि शालाओं में भी उनकी अपनी जगह के अनुसार सिटी बस, ऑटो रिक्शा और अन्य वाहनों के इस प्रकार के नियोजन संभव हैं कि दुर्घटना न हो और यातायात भी सुचारु रहें. उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों की सेफ्टी का प्रश्न गंभीर हैं.
कितनी बार हुई सडक सुरक्षा समिति की बैठक
मिलिंद कहाले ने प्रश्न उठाया कि अमरावती में सडक सुरक्षा समिति की बैठक कब और कितनी बार हुई? उन्होंने कहा कि यातायात सुरक्षा के साथ-साथ सुचारू होना आवश्यक हैं. किसी भी शहर की प्रगति का इसे भी एक पैमाना माना जा सकता हैं. ऐसे में अमरावती में जिलाधीश ने कितनी बार सडक सुरक्षा समिति की बैठक ली. उसमें समस्याओं पर मंथन किया. विशेषज्ञों से राय ली आदि बाते शासन प्रशासन को बतानी चाहिए. भूतकाल में ऐसे अनेक हादसे हो रखे हैं. जिन्होंने कई लोगोें का जीवन प्रभावित कर दिया. सडक हादसों की रोकथाम के लिए कदम उठाए जाने चाहिए. इन विषयों पर भी हमारे जनप्रतिनिधि कुछ नहीं कहते या करते.

Back to top button