‘भूल भिंगरी’ नाटिका के साथ शुरु हुई हौशी मराठी नाट्य स्पर्धा
लिव-इन रिलेशनशीप के तथ्यों पर नाटिका में प्रकाश डाला गया
अमरावती/दि.7– मराठी नाटकों को मंच उपलब्ध करवाने वाली 61वीं म.रा. हौशी मराठी नाट्य स्पर्धा का प्राथमिक चरण संगीत सूर्य केशवराव भोसले सभागृह मेें शुरु हो गया. इस स्पर्धा के पहले दिन रजनीश जोशी लिखित व रिंकू सरोदे निर्मित वैष्णवी महिला व आदिवासी विकास बहुउद्देशीय संस्था की नाटिका भूल भिंगरी पेश की गई.
दो कलाकारों की भूमिका वाली इस नाटिका में लिव इन रिलेशनशीप के तथ्यों पर प्रकाश डाला गया. नाटिका में सुखी जीवन की कामना करते हुए संर्घष, पैसा और परिवार की अनदेखी, विफलता और चरमराती विवाह संस्था को दर्शाया गया हैं. यह कहानी विवाह संस्था को नकारकर लिव इन रिलेशन संस्कृति को अपनाकर जीने वाले युवाओं की हैं. इस रिलेशनशीप में रहने वाले जय (अतुल घुले) और लिनी (संपदा बनसोड) को 10 साल पूर्ण होने पर वह जश्न मना रहे थे. इससे नाटिका की शुुरुआत होती हैं. नाटिका के दृश्य आगे बढते हुए लिनी ने लिव इन को शादी का नाम देने की रट लगाई. मातृत्व के एहसास की भावना, जय खुद के पैरों पर सफलता से खडा हो सके जिसे टालने का प्रयास इन विषयों को निर्देशक ने बखूबी मंच पर पेशन करने का प्रयास किया. नाटिका के पहले चरण में जय को झूठ बोलकर नौकरी में सफल होने की बात दिखाई गई हैं. महत्वाकांक्षा के लिए उसने लिनी को भूला दिया. दोनों के बीच का तनाव, उससे निर्माण होने वाले संर्घष को प्रकाश व्यवस्था व्दारा प्रस्तुत करने के प्रयास किए गए. दोनों की सकारात्मक मानसिकता, सुस्पष्ट संवाद और आत्मविश्वास के जोड से इस नाटिका को दूसरे चरण में काफी प्रतिसाद मिला. हर्षद ससाने ने प्रकाश व्यवस्था व संकल्प गवई ने पार्श्व संगीत, अर्पिता सरोदे ने नैपत्थ्य संहिता, रंगभूषा रविना भुरभुरे ने, वेशभूषा गणेश वानखडे ने, रंगमंच व्यवस्था तुषार काकड, यश मोरे, पयोष्णी ठाकुर व निलम कुटेमाटे ने संभाली.