शीतसत्र के मुहाने पर अस्पताल हो रहे ‘ऑलवेल’
स्वास्थ्य विभाग हुआ सक्रिय, हडताल के मद्देनजर ‘अलर्ट’
अमरावती/दि.21– सरकारी अस्पतालों में रहने वाली अस्वच्छता, दवाईयों का अभाव, कर्मचारियों की कमी जैसी समस्याओं के सतत बने रहने के साथ ही ठेका नियुक्त स्वास्थ्य कर्मियों की हडताल के बीच विधान मंडल के बीच शीतकालीन अधिवेशन भी सिर पर आ गया है. जिसके चलते राज्य के स्वास्थ्य महकमे की धडकने तेज हो गई है तथा सभी शहरी व ग्रामीण अस्पताल में हाई अलर्ट भेजा गया है. अधिवेशन से पहले जनप्रतिनिधिओं व पत्रकारों द्वारा सरकारी अस्पतालों को निश्चित तौर पर भेंट दी जाती है. जिसके चलते अस्पतालों में सबकुछ ‘ऑलवेल’ रखने के निर्देश स्वास्थ्य सेवा आयुक्त धीरजकुमार द्वारा दिए गए है.
बता दें कि, आगामी 7 दिसंबर को उपराजधानी नागपुर में राज्य विधान मंडल का शीतकालीन सत्र शुरु होने जा रहा है. प्रतिवर्ष ही अधिवेशन से पहले राज्य के सांसद व विधायक तथा उनके कार्यकर्ता आसपास स्थित जिलों के सरकारी अस्पतालों को भेंट देते है तथा वहां पर रहने वाली त्रृटियों को लेकर अधिवेशन में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पेश करते है. ऐसे में इस बार किसी भी अस्पताल में कोई भी त्रृटी अथवा कमी न मिले, इस बात को लेकर विशेष सतर्कता बरतने का आदेश स्वास्थ्य सेवा आयुक्त द्वारा जारी किया गया है.
* यह अलर्ट जारी हुआ
– स्वास्थ्य संस्था को पूरा समय शुरु रखे
– सभी अधिकारियों व कर्मचारियों की पूरा समय उपस्थिति हो.
– मुंबई से नागपुर व पुणे से नागपुर महामार्ग पर सभी सरकारी अस्पतालों को हाई अलर्ट पर रखा जाए.
– सभी सरकारी अस्पतालों में हर तरह की दवाई उपलब्ध रखी जाए और उसके रिकॉर्ड को अपडेट रखा जाए.
– एक्सपायरी वाली दवाओं का तत्काल निस्सारण किया जाए.
– प्रसूतिगृह शल्यक्रिया गृह व वार्ड में 24 घंटे पानी उपलब्ध रखा जाए.
* 25 अक्तूबर से चल रही ठेका नियुक्त स्वास्थ्य कर्मियों की हडताल
उल्लेखनीय है कि, राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान के सभी ठेका नियुक्त स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मचारी खुद को नियमित किए जाने की मांग को लेकर विगत 25 अक्तूबर से काम बंद आंदोलन कर रहे है. यह हडताल अब भी बदस्तुर जारी है. वहीं नियमित कर्मचारियों के 45 फीसद पद रिक्त है. ऐसे में कर्मचारी ही नहीं रहने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग में कामकाज कैसे हो रहा है. यह अपने आप में अनुसंधान का विषय है. साथ ही दबे स्वर में यह चर्चा भी चल रही है कि, स्वास्थ्य महकमें द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं को चूस्त-दुरुस्त रखने को लेकर केवल कागजी घोडे ही दौडाए जा रहे है.