अमरावती

कैसे होता है जमीन का बक्षीस पत्र?

अमरावती/दि.21– वारसा हक संशोधित कानून 2015 के अनुसार किसी महिला द्बारा खुद को मायके से उत्तराधिकार के तौर पर मिली जमीन का बक्षीस पत्र किया जा सकता है. कानूनी तौर पर ऐसी संपत्ति को स्वअर्जित संपत्ति माना जाता है. जिसके चलते कई लोग बक्षीस पत्र कराने हेतु आगे आ रहे है. इसके अलावा जमीन, घर व भूखंड का भी बक्षीस पत्र किया जा सकता है. यह प्रक्रिया कानूनी तौर पर करने हेतु दुय्यम निबंधक के पास पंजीयन करना पडता है.
* जमीन बक्षीस पत्र यानि क्या?
‘गिफ्ट डीड’ यह एक कानूनी दस्तावेज है. जिसके जरिए परिवार के सदस्यों द्बारा आपस में एक-दूसरे को संपत्ति की मिल्कियत हस्तांतरीत करना सुलभ हो जाता है.
* मुद्रांक शुल्क कितना?
संपत्ति के मालिक रहने वाले व्यक्ति को यदि अपने परिवार के सदस्यों को बक्षीस पत्र के जरिए अपनी संपत्ति देनी है, तो उसे संपत्ति के बाजार मूल्य के हिसाब से 3 फीसद रकम स्टैम्प ड्यूटी के तौर पर भरनी होती है.
* रजिस्ट्री करते समय कौनसी सतर्कता जरुरी?
स्थायी संपत्ति का बक्षीस पत्र पंजीकृत करना यानि कानूनी रुप से उसे रजिस्ट्रर्ड करना अनिवार्य है. जिस पर संपत्ति को बक्षीस के या दान के तौर पर देने वाले व्यक्ति सहित दो साक्षीदारों के हस्ताक्षर रहना जरुरी है. सबसे महत्वपूर्ण यह होता है कि, संपत्ति प्रदान करने वाले व्यक्ति द्बारा बक्षीस पत्र मान्य रहने की बात लिखकर देनी होती है.
* दो साक्षीदारों के हस्ताक्षर आवश्यक
बक्षीस पत्र करते समय अपने परिचित रहने वाले दो साक्षीदारों का उपस्थित रहना आवश्यक होता है. जिनके बक्षीस पत्र पर अनिवार्य रुप से हस्ताक्षर कराने होते है. इस प्रक्रिया के लिए दोनो साक्षीदारों का आधार कार्ड भी रहना आवश्यक है.
* संपत्ति देने वाले और लेने वाले का उपस्थित रहना अनिवार्य है
बक्षीस पत्र का यदि पंजीयन करना है, तो पंजीयन कानून 1908 की धारा 32 (अ) के अनुसार लिखकर देने वाले और लिखकर लेने वाले के दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने के साथ ही छायाचित्र व उंगलियों के निशान भी पंजीयन के लिए आवश्यक होते है.
* विवाद टालने पंजीयन आवश्यक
संपत्ति को लेकर किसी भी तरह का विवाद टालने हेतु दस्तावेज का पंजीकृत रहना बेहद आवश्यक है. ऐसे में यदि कोई भी संपत्ति खरीदी अथवा बेची जा रही है, तो उसका कानूनी तौर पर पंजीयन कराना महत्वपूर्ण है.

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