अमरावती

‘गुड न्यूज’ के बाद कितनी बार करवाए गर्भवती की जांच

प्रसूति में खतरों को टालने हेतु सावधानी व सतर्कता जरुरी

अमरावती/दि.3 – प्रसूति यह प्रत्येक महिला के जीवन का सबसे कठिन प्रसंग होता है. इस समय गर्भवती महिला की ओर ज्यादा ध्यान देने की जरुरत होती है. इसके तहत प्रसूति के समय जच्चा-बच्चा के लिए रहने वाले खतरों को टालने के लिए ‘गुड न्यूज’ के बाद गर्भवती महिला की नियमित जांच करने की सलाह स्त्री रोग व प्रसूति विशेषज्ञों द्बारा दी जाती है.
गर्भवती महिला द्बारा गर्भधारणा पश्चात पहले तीन माह के दौरान अपना पंजीयन अपने नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, ग्रामीण अस्पताल, उपजिला अस्पताल व जिला स्त्री अस्पताल में करना जरुरी होता है. साथ ही इस दौरान टीटी के दो इंजेक्शन लगवाते हुए सोनोग्राफी करवाना भी आवश्यक होता है. जिसके तहत 16 से 18 सप्ताह की अवधि में पहली सोनोग्राफी बच्चे में रहने वाले किसी भी तरह के व्यंगत्व की जांच हेतु आवश्यक होती है. गर्भधारणा के बाद यह तमाम सावधानियां जच्चा-बच्चा के लिए बेहद जरुरी होती है.

* गर्भवती की ओर ध्यान देना जरुरी
गर्भधारणा के पश्चात गर्भवती महिला ने आराम करना चाहिए और किसी भी तरह का कोई मानसिक तनाव नहीं लेना चाहिए. इस दौरान फॉलिक ऍसीड की मात्रा बढाने के साथ ही डॉक्टर के पास जाकर नियमित जांच करनी चाहिए. इसके अलावा पौष्टिक आहार लेते हुए हल्का-फूल्का व्यायाम भी करना चाहिए और हिमोग्लोबिन की नियमित पडताल करनी चाहिए.

* गर्भधारणा के बाद कब और कितना बार करे जांच
गर्भधारणा के बाद से प्रसूति तक कम से कम 8 बार स्वास्थ्य जांच होना बेहद जरुरी है. इसके तहत पहले तीन माह के दौरान एक बार फिर अगले तीन माह के दौरान तीन बार तथा अंतिम तीन माह के दौरान 4 बार स्वास्थ्य जांच करवानी चाहिए.

* जारी वर्ष में 22 माता मृत्यु
आर्थिक वर्ष 2022-23 में अप्रैल से जनवरी तक 10 माह के दौरान जिले में 39 हजार 696 महिलाओं की प्रसूति हुई. जिसमें से 22 महिलाओं की प्रसूति के दौरान मौत हो गई. ऐसी जानकारी सामने आयी है.

* सन 2021-22 में 27 मौतें
आर्थिक वर्ष 2021-22 के दौरान जिले में 43 हजार 984 महिलाओं की प्रसूति हुई थी. जिसमें से 27 महिलाओं की प्रसूति के दौरान मौत हो गई. ऐसी जानकारी जिला स्वास्थ्य प्रशासन द्बारा दी गई है.

* माता मृत्यु की वजहें
अतिरक्तस्त्राव, जंतू संसर्ग, उच्च रक्तदाब, एन्यूमिया, गर्भ में बच्चे की अव्यवस्थित वृद्धि तथा प्लेटलेट की संख्या में कमी आदि को माता मृत्यु की प्रमुख वजहें कहा जा सकता है.
– सरकारी स्तर पर ऐसे लक्षण दिखाई देने वाली गर्भवती महिलाओं को अतिजोखिम वाली श्रेणी में रखा जाता है. अत: जोखिम को टालने हेतु सभी गर्भवती महिलाओं ने समय-समय पर अपनी स्वास्थ्य जांच करवानी चाहिए.
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गर्भधारणा होने के बाद महिलाओं द्बारा अपने स्वास्थ्य की ओर ध्यान देना बेहद आवश्यक है. साथ ही प्रसूति के समय जच्च-बच्चा के लिए पैदा होने वाली समस्याओं को टालने हेतु गर्भवती महिलाओं के लिए आवश्यक रहने वाली स्वास्थ्य जांच समय पर करानी चाहिए. साथ ही महिलाओं ने अपने आहार की ओर भी विशेष ध्यान देना चाहिए.
– डॉ. दिलीप रणमले,
जिला स्वास्थ्य अधिकारी,
जिप अमरावती.

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