अमरावती

और कितनी जानें लेगा चायना मांजा?

केवल कागजों पर ही है प्रतिबंध, कब होगी हकीकत में कार्रवाई

  • लगातार कस रहा इंसानों व पशु-पक्षियों के गले पर फंदा

अमरावती/दि.24 – दो दिन पूर्व एक नवयुवति की जान नायलॉन यानी चाईना मांजे की चपेट में आने से चली गई. वहीं इससे पहले सवा वर्ष पूर्व धामणगांव रेल्वे के वसाड गांव निवासी सात वर्षीय बच्चे की जान भी इसी चाईना मांजे की वजह से गई थी. इस बच्चे के मौत के मामले में भी अपराध दर्ज हुआ था, लेकिन कालांतर में इस घटना को भूला दिया गया. इसी तरह दिव्या गवई नामक युवती की मौत को भी आनेवाले वक्त में निश्चित तौर पर भुला दिया जायेगा. ऐसे में इस तरह के मामलों को लेकर अपराध दर्ज करने और दो-चार छापे मारने की कार्रवाई को महज कागजी लिपापोती कहा जा सकता है. इन सबके बीच सबसे मुख्य सवाल यह है कि, चाईना मांजे के उत्पादन, संग्रहण व बिक्री पर आखिर सच में कब प्रतिबंध लगेगा और कब पतंगों की बजाय जिंदा इंसानों सहित पशु-पक्षियों के गाल और गले कटने बंद होंगे.
उल्लेखनीय है कि, दिव्या शंकर गवई नामक युवती की मौत के बाद शहर पुलिस ने चार स्थानों पर छापा मारकर 51 हजार रूपये मूल्य का प्रतिबंधित चाईना मांजा जब्त किया है, लेकिन ऐसे जानलेवा हादसों को टालने के लिए सामाजिक सुरक्षा बेहद जरूरी है. चाईना मांजे की चपेट में आकर आज तक कई पशु-पक्षियों की जान गई है. साथ ही कई लोग भी इस मांजे की चपेट में आकर मृत अथवा घायल हुए है. ऐसे में इस मांजे का प्रयोग ही नहीं किया जाये. यह कदम उठाने की जरूरत है, क्योंकि इस मांजे को यह पता नहीं होता कि, वह किसका गला काट रहा है, पतंग उडानेवाले व्यक्ति के किसी परिजन का या फिर किसी आगंतुक का.

दिव्या मृत्यु मामले में धारा 304 दाखिल

दिव्या गवई के मृत्यु मामले में पुलिस द्वारा अज्ञात आरोपी के खिलाफ भादंवि की धारा 304 के तहत अपराध दर्ज किया गया है. इस मामले में दिव्या के पिता शंकर गवई द्वारा 22 जून को शिकायत दर्ज करायी गई थी. इससे एक दिन पहले 21 जून को अपनी दुपहिया पर समर्पण कालोनी से गुजरते समय दिव्या गवई के गले में चायना मांजा आकर अटक गया और इस मांजे की वजह से उसका गला कट गया. जिसमें उसकी मौत हो गई. इस मामले की जांच गाडगेनगर पुलिस थाने के सहायक पुलिस निरीक्षक महेश इंगोले कर रहे है.

चायना मांजा के खिलाफ हेल्प फाऊंडेशन चलायेगा हस्ताक्षर अभियान

चाईना मांजे की वजह से जहां एक ओर पशु-पक्षियों की जान के लिए काफी खतरा पैदा हो गया है, वहीं इसकी वजह से कई पशु-पक्षियों सहित इंसानों की जाने भी जा रही है. लेकिन इसके बावजूद चाईना मांजे की बिक्री और प्रयोग में कोई कमी नहीं आयी है. ऐसे में चाईना मांजे को अब एक सामाजिक समस्या कहा जा सकता है. अत: इस विषय को लेकर नागरिकों से उनके विचार जानने एवं इस विषय को लेकर जनजागृति करने हेतु हेल्प फाऊंडेशन की ओर से हस्ताक्षर अभियान चलाया जायेगा. जिसके लिए जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन से अनुमति मांगी गई है. इस अभियान का शुभारंभ जल्द ही इर्विन चौक में किया जायेगा, ऐसी जानकारी हेल्प फाऊंडेशन के अध्यक्ष रत्नदीप वानखडे द्वारा दी गई है. उन्होंने बताया कि, जिले में हमेशा के लिए चायना मांजे की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया जाये, इस हेतु यह जनजागृति अभियान लगातार जारी रहेगा.

शहर पुलिस ने चार स्थानों पर मारा छापा

अपराध शाखा व पुलिस आयुक्त के पथक ने राहुल नगर स्थित एक दुकान में छापा मारकर 660 रूपये का प्रतिबंधित चाईना मांजा जप्त किया. इस मामले में फ्रेजरपुरा पुलिस ने रहमान खान सुभान खान (54, साबनपुरा) नामक दुकानदार के खिलाफ अपराध दर्ज किया. वहीं उस्मान नगर परिसर से शेख रफीक शेख लाला (47, नालसाबपुरा) को हिरासत में लेते हुए उसके पास से चाईना मांजे सहित कुल 40 हजार 350 रूपये का माल जप्त किया गया. इसके अलावा मसानगंज परिसर निवासी दीप राकेश साहु (18) के पास से 6 हजार 400 रूपये का चाईना मांजा जप्त किया गया.

बडनेरा में भी अपराध हुआ दर्ज

चाईना मांजा की बिक्री करनेवाले राजेश पुंडलीक टरपे (39, जुनी बस्ती, बडनेरा) इस दुकानदार के खिलाफ कार्रवाई करते हुए बडनेरा पुलिस ने 3 हजार 600 रूपये मूल्य का चाईना मांजा बरामद किया और पर्यावरण अधिनियम अंतर्गत अपराध दर्ज किया गया.

  • पुलिस द्वारा तीन स्थानों पर छापे मारे गये और कई गोदामों व दुकानों में जांच-पडताल की गई. हालांकि इसमें कोई बहुत बडी खेप हाथ नहीं लगी है. किंतु गोपनीय विभाग के जरिये चाईना मांजे की बिक्री करनेवालों पर नजर रखी जा रही है. साथ ही इस बिक्री का मुख्य सूत्रधार कौन है, उसे खोजा जा रहा है.
    – डॉ. आरती सिंह
    पुलिस आयुक्त, अमरावती.
  • गत वर्ष चाईना मांजे की वजह से 19 पक्षियों की जान गई है. साथ ही आकाश में स्वच्छंद विचरण करनेवाले कई पंछी चाईना मांजे की चपेट में आकर बुरी तरह से घायल भी हुए है. चाईना मांजे की बिक्री वाले स्थानों पर कार्रवाई करने के अधिकार पुलिस के पास है. यदि चाईना मांजे का प्रयोग ऐसे ही चलता रहा, तो यह पर्यावरण के लिए काफी खतरनाक हो सकता है.
    – कैलास भूंबर
    वन परिक्षेत्र अधिकारी
  • चाईना मांजे की वजह से कितने पक्षियों की अब तक जान गई है, इसकी सटीक जानकारी वन विभाग तथा पुलिस के पास उपलब्ध नहीं है. किंतु इन दिनों चाईना मांजे की वजह से पक्षियों के मारे जाने व घायल होने की घटनाएं बढ गई है. यह बात पर्यावरण, प्रकृति व निसर्ग के लिए काफी दुर्भाग्यजनक है. प्रतिबंध रहने के बावजूद चाईना मांजा बिक्री के लिए कहां से आता है, इस बात का पता प्रशासन द्वारा लगाया जाना चाहिए.
    – यादव तरटे पाटील
    पक्षी मित्र

जैव विविधता खतरे में

इन दिनों शहरी क्षेत्र में सिमेंट कांक्रीट का जंगल तेजी से बढ रहा है. जिसकी वजह से पक्षियों का अधिवास पहले ही खतरे में है. वहीं दूसरी ओर चाईना मांजे की वजह से आकाश में भी पक्षियों के मुक्त संचार पर खतरा मंडरा रहा है. ऐसे में कूल मिलाकर जैवविविधता पर ही सवालिया निशान उपस्थित हो गया है.

तीन वर्ष में मांजे से मृत पक्षियों की संख्या

2019 – 42 मृत
2020 – 19 मृत
2021 – 8 मृत

मांजे के दाम (प्रति रील)

कॉटन मांजा – 200 रूपये
ग्लास मांजा – 480 रूपये
नायलॉन मांजा – 85 रूपये

ये पंछी हुए शिकार

चील, चिडिया, उल्लू, कबुतर, बगुले व कौवे

Related Articles

Back to top button