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विद्यापीठ से यूजीसी का पर्याय स्वीकारने की अपील
अमरावती/दि.४ – इस समय समूचे विश्व में कोरोना संक्रमण का कहर जारी है. साथ ही देश में रोजाना ६० से ७० हजार कोरोना संक्रमित मरीज निकल रहे है. वहीं महाराष्ट्र में अन्य राज्यों की तुलना में कोरोना का संक्रमण काफी अधिक है. किंतु इन तमाम बातों की अनदेखी करते हुए महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के अंतिम वर्ष व अंतिम सत्र की परीक्षा लेने का निर्णय लिया गया है. लेकिन इस समय संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ से संलग्नित कई महाविद्यालयों में प्रशासन द्वारा कोरोंटाईन सेंटर बनाया गया था. जिन्हें अब तक खाली नहीं किया गया है. ऐसे में इन महाविद्यालयों में होनेवाली परीक्षाएं विद्यार्थियों के लिए कितनी सुरक्षित है, ऐसा सवाल खुद परीक्षार्थियों की ओर से उठाया जा रहा है.
बता दें कि, संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ की ओर से अंतिम वर्ष व अंतिम सत्र की परीक्षा लेने की तैयारी पूरी कर ली गयी है. विद्यापीठ अंतर्गत ३८२ महाविद्यालयों के अंतिम वर्ष में पढनेवाले ७० हजार विद्यार्थियों की परीक्षा लेने हेतु विद्यापीठ द्वारा १६७ परीक्षा केंद्र तय किये गये है. जिसमें से अधिकांश परीक्षा केंद्रों को प्रशासन द्वारा कोरोंटाईन सेंटर के तौर पर अधिग्रहित किया गया, लेकिन इसके बावजूद भी इन परीक्षा केंद्रों पर विद्यार्थियों को बुलाकर उनकी परीक्षा ली जायेगी. ऐसे में इसे विद्यार्थियों को जानबुझकर कोरोना के खतरे में ढकेलनेवाला काम कहा जा सकता है. ऐसा परीक्षार्थियों का कहना है.
साथ ही परीक्षार्थियों द्वारा सवाल पूछा जा रहा है कि, यदि कोरोंटाईन सेंटर रहनेवाले परीक्षा केंद्रों के जरिये कोई विद्यार्थी कोरोना संक्रमित होता है तो उसकी जिम्मेदारी किसकी होगी. ऐसे में विद्यापीठ ने यूजीसी द्वारा सुझाये गये अन्य पर्यायों पर विचार करना चाहिए और ओपन बुक टेस्ट फ्रॉम होम तथा असार्इंमेंट असेस्मेंट बेस जैसे पर्यायों के साथ परीक्षा लेनी चाहिए. जिनमें परीक्षार्थियों को परीक्षा केंद्र पर आने की जरूरत ही नहीं पडेगी.